World AIDS Day : वाराणसी के एआरटी सेंटर में 8067 मरीज करा रहे इलाज, इस वर्ष अब तक मिले 407
World AIDS Day जिला एचआइवी एड्स एवं क्षय रोग अधिकारी डा. राकेश कुमार सिंह के मुताबिक जिले में वर्ष 2017 2018 और 2019 में क्रमश 1095 1093 व 1103 लोग एचआइवी पाजिटिव पाए गए थे। वहीं इस वर्ष अब तक करीब 407 मरीज मिले हैं।
वाराणसी [मुहम्मद रईस]। World AIDS Day कोरोना संक्रमण के दौर में लोगों की सजगता से न सिर्फ अन्य संक्रामक रोगों से बचाव हो रहा, बल्कि एड्स के केसों में भी कमी आई है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े यही तस्वीर बयां कर रहे हैं। पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार एड्स के मामले 63.10 फीसद कम दर्ज किए गए हैं।
आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2018 में दुनियाभर में कुल मिलाकर 3.7 करोड़ से अधिक लोग एचआइवी से ग्रसित मिले थे, जिनमें से तकरीबन 11 लाख मरीजों की मौत हो गई। भारत में 21 लाख लोग इससे पीडि़त थे, जिनमें से करीब 85 हजार की हुई।
जिला एचआइवी एड्स एवं क्षय रोग अधिकारी डा. राकेश कुमार सिंह के मुताबिक जिले में वर्ष 2017, 2018 और 2019 में क्रमश: 1095, 1093 व 1103 लोग एचआइवी पाजिटिव पाए गए थे। वहीं इस वर्ष अब तक करीब 407 मरीज मिले हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय व बीएचयू हास्पिटल के एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) सेंटर में 8067 मरीज अपना इलाज करा रहे हैं।
एड्स से बचने को जागरूकता जरूरी
डा. राकेश कुमार सिंह ने बताया कि यदि एड्स से बचना है तो इसके प्रति जागरुक रहना होगा। जन-सामान्य को इसकी जानकारी देने के क्रम में प्रति वर्ष एक नई थीम के साथ एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम राक द रिबन रखी गई है।
यहां कराएं जांच
जिले में एड्स की निश्शुल्क जांच के लिए 10 एचसीटीएस (एचआइवी काउंसिलिंग टेस्टिं ग सर्विस) हैं, जिनमें 8 आइसीटीसी (इंटीग्रेटेड काउंसिलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर) और दो पीपीटीसीटी (प्रिवेंटिंग पेरेंट टू चाइल्ड ट्रांसमिशन) सेंटर बनाए गए हैं। वहीं इलाज के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय व बीएचयू अस्पताल में एआरटी सेंटर हैं, जहां एड्स मरीजों की निश्शुल्क जांच व इलाज की सुविधा उपलब्ध है।
72 घंटे के भीतर पीईपी लेने से संभव है बचाव
डा. सिंह ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति एचआइवी संक्रमण की जद में आता है तो वह 72 घंटे के भीतर एआरटी सेंटर पर पीईपी (पोस्ट एक्सपोजर प्रोफिलेक्सिस) दवा की पहली डोज ले सकता है। यह दवा लगातार 28 दिन लेने पर एचआइवी के संपर्क में आया व्यक्ति इसके संक्रमण से पूरी तरह बच सकता है।
यह है एड्स
एड्स यानि एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम एक बीमारी है, जो एचआइवी (ह्यूमन इम्यूनो डिफिशिएंसी वायरस) से होती हैं। यह वायरस धीरे-धीरे व्यक्ति की संक्रमण से लडऩे की क्षमता को कम कर देता हैं।
ये हैं संक्रमण के कारण
एचआइवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से, संक्रमित ब्लड चढ़ाने से, संक्रमित सुई लगाने से एचआइवी संक्रमण का खतरा बना रहता है। यदि कोई महिला एचआइवी संक्रमित है तो उसके होने वाले बच्चे के भी संक्रमित होने की आशंका बनी रहती है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शुरुआती दिनों में किसी प्रकार का लक्षण सामने नहीं आता। कुछ सालों बाद लक्षण उभरने लगते हैं, जिसे अमूमन लोग समझ नहीं पाते।
इन लक्षणों से करें पहचान
डब्ल्यूएचओ के अनुसार प्रारंभिक संक्रमण के बाद पहले कुछ हफ्तों में लोगों को बुखार या सिरदर्द, गले में खराश अथवा कोई इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी का अनुभव नहीं हो सकता। संक्रमण लगातार प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता रहता है। इससे वह सूजन, वजन घटना, बुखार, दस्त व खांसी जैसे अन्य लक्षण विकसित होने लगते हैं। उपचार के बिना वह तपेदिक (टीबी), क्रिप्टोकोकल मेनिन्जाइटिस, गंभीर जीवाणु संक्रमण के साथ ही लिम्फोमास और कपोसी के सारकोमा जैसी कैंसर की गंभीर बीमारी हो जाती है।
ऐसे करें बचाव
- सुरक्षित सबंध बनाएं।
- खून चढ़ाने से पहले जांच लें।
- एक बार के बाद सुई-टीके का उपयोग नहीं
- मां एचआइवी संक्रमित हो तो संस्थागत प्रसव ही कराएं।
सावधानी से ही होगा एड्स से बचाव
विश्व एड्स दिवस पर मंगलवार को जिले में जगह-जगह जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। लोगों को एचआइवी व एड्स के बारे में और उससे बचाव के उपाय बताए गए। सीएमओ कार्यालय में भी गोष्ठी आयोजित हुई, जिसमें कोरोना संक्रमण काल में एचआइवी को लेकर और अधिक सजग रहने को लेकर चर्चा की गई।