दिल्ली, पंजाब से वाराणसी लौटे मजदूर घर-घर जाकर पूछ रहे गेहूं कटाई के लिए
मुंबई दिल्ली व पंजाब से वाराणसी लौटे मजदूर इस दिनों फसल मालिकों के घर पहुंच कर पूछ रहे हैं बाउजी गेहूं काटे के होई त बतईहा...।
वाराणसी [अशोक सिंह]। लॉकडाउन के कारण हजारों की संख्या में पूर्वांचल के विभिन्न जिलों के मजदूर मुंबई, दिल्ली व पंजाब से गांव लौट आए हैं। रोजगार तो गया ही, यहां भी उनका कामकाज ठप है। इस समय मात्र एक कार्य है तैयार रबी की फसल की कटाई व मड़ाई। ऐसे में ये मौका नहीं चूकना चाहते और स्वयं फसल मालिकों के घर पहुंच कर पूछ रहे हैं बाउजी गेहूं काटे के होई त बतईहा...।
विकास खंड बिरांव के बड़ागांव निवासी राजेश सिंह ने बताया कि दो मजदूर घर पर आए और गेहूं की कटाई के विषय में पूछने लगे। हम उन्हें पहचानते भी नहीं थे। पूछने पर बताया कि वे फलाने के लड़के हैं और गुडग़ांव में बिल्डिंग निर्माण में मजदूर के रूप में काम करते थे। लॉकडाउन की वजह से गांव लौट आए हैं। उनका नाम मनरेगा लिस्ट में भी नहीं है। जहां काम करते थे वहां प्रतिष्ठान ने उनका नाम श्रम विभाग में पंजीकृत नहीं कराया जिससे उन्हें कोई सरकारी सहायता भी नहीं मिल रही। ऐसे में लॉकडाउन तक रबी फसल की कटाई ही उनका सहारा है। राजेश के मुताबिक प्रति वर्ष कटाई के लिए मजदूर खोजे नहीं मिलते थे, लेकिन आज स्वयं काम मांग कर रहे हैं।
कटाई में शारीरिक दूरी का पालन
जिलाधिकारी ने कृषि कार्यों के लिए अनुमति प्रदान कर दी है। चांदमारी निवासी किसान प्रवेश कुमार बताते हैं कि फसलों की कटाई के दौरान शारीरिक दूरी तो रहती ही है। मजदूर एक जगह बैठकर अपने बाएं व दाहिने दोनों तरफ एक-एक मीटर की फसल को काटता है। इस प्रकार दो मजदूरों के बीच करीब दो मीटर की दूरी रहती है। इसके अलावा प्रशासन के निर्देंश को ध्यान में रखकर शारीरिक दूरी का पालन किया जा रहा है।
वाराणसी में तैयार है आधे से अधिक गेहूं, चना व सरसों की फसल
60000 हेक्टेयर-गेहूं की फसल
3000 हेक्टेयर-चना की फसल
1500 हेक्टेयर-सरसों की फसल
1360-गांवों की संख्या
3676841-जनपद की कुल जनसंख्या
1535 वर्ग किलोमीटर-कुल क्षेत्रफल।
मंडी शुल्क हो खत्म ताकि जनता को मिल सके सस्ता आटा
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरके चौधरी की अध्यक्षता में मंडलीय कार्यकारिणी की बैठक शनिवार को लॉकडाउन के कारण जूम एप पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई। इसमें उद्यमियों की दिक्कतें सरकार तक पहुंचाने व निराकरण के उपायों पर मंथन किया गया। आइआइए के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरके चौधरी ने बताया कि मुख्यमंत्री व ऊर्जा मंत्री ने वैश्विक महामारी के कारण उद्योगों को राहत देने के लिए अगले दो माह के विद्युत बिलों पर फिक्स चार्ज माफ करने की घोषणा की थी। इससे इतर विद्युत विभाग द्वारा फिक्स चार्ज स्थगित करने की बात की है। सरकार व विभागीय घोषणाओं में विरोधाभास से उद्यमियों में रोष है। स्थिति स्पष्ट करने को आइआइए जल्द पत्र भेजा जाएगा। उद्यमियों ने कहा कि उद्योग विभाग कर्मचारियों की सैलरी के लिए लगातार दबाव बना रहा है, लेकिन अभी तक सरकार की घोषणा के अनुरूप प्रोविडेंट फंड पर कोई नोटिफिकेशन नहीं आया है। इससे असमंजस की स्थिति है, वहीं कर्मियों की सैलरी नहीं बन पा रही। मंडी शुल्क उत्तर प्रदेश समेत कुछ ही राज्यों में लागू है। बावजूद इसके उद्यमी महामारी में आटे का मूल्य स्थिर किए हुए हैं। सरकार मंडी शुल्क खत्म करे तो जनता को सस्ता आटा उपलब्ध हो सके। राष्ट्रीयकृत बैंकों ने आरबीआइ के रेपो रेट अनुसार ऋण रेट में कमी की लेकिन उद्योगों को ज्यादा ऋण देने वाला सिडबी इसका पालन ही नहीं कर रहा। डीजल-पेट्रोल के दाम क्रूड आयल में भारी कमी के सापेक्ष किया जाए, ताकि माल ढुलाई के खर्च में कमी हो।