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Work from Home : प्रो. पंजाब सिंह घर पर ही वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए कृषि वैज्ञानिकों से ले रहे सलाह

प्रो. पंजाब सिंह के मुताबिक घर पर दस दिन तक कार्यालय के कामकाज करने के बाद वर्क फ्रॉम होम की अवधारणा काफी कारगर और प्रभावी लग रही है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 04:57 PM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 04:57 PM (IST)
Work from Home : प्रो. पंजाब सिंह घर पर ही वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए कृषि वैज्ञानिकों से ले रहे सलाह
Work from Home : प्रो. पंजाब सिंह घर पर ही वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए कृषि वैज्ञानिकों से ले रहे सलाह

वाराणसी, जेएनएन। रुके हुए कार्यों को झटपट पूरा किया जा रहा है। वह वीडियो कॉल से बैठक या ई-मेल के जरिए। लॉकडाउन के समय को फालतू में गंवाने के बजाय आफिस का कामकाज निबटाना चाहिए। ऑफिस के मनोवैज्ञानिक दबाव से दूर परिवार संग चाय-नाश्ता कर तनावमुक्त काम करने का यह ट्रेंड अब हम सभी को पसंद आ रहा है। ऐसा मानना है बीएचयू के पूर्व कुलपति, रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय विश्वविद्यालय और मंगलायतन यूनिवर्सिटी के चांसलर प्रो. पंजाब सिंह का। प्रो. सिंह के मुताबिक घर पर दस दिन तक कार्यालय के कामकाज करने के बाद वर्क फ्रॉम होम की अवधारणा काफी कारगर और प्रभावी लग रही है। शांत दिमाग से अपना प्रोजेक्ट समय पर पूरा कर ले रहे हैैं। इसको आगे भी जारी रखने के लिए मूल्यांकन किया जा सकता है।

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बीओजी की बैठक घर से

प्रो. पंजाब सिंह को मंगलायतन यूनिवर्सिटी व रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के चांसलर के नाते तमाम अकादमिक कार्य भी घर से ही करने पड़ रहे हैं। लॉकडाउन की घोषणा के बावजूद विवि के बोर्ड ऑफ गवर्नर (बीओजी) की बैठक रद न करते हुए सदस्यों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की। महत्वपूर्ण फैसले भी लिए गए। मिनट्स ऑनलाइन मंगाकर कार्यों को शॉर्टकट में बेहतर ढंग से निबटाया जा रहा है। साथ ही शैक्षणिक गतिविधियों पर घर से ही नजर बनी हुई है।

कृषि वैज्ञानिकों से ली जा रही सलाह

वर्क फ्रॉम होम के तहत फॉर्ड फाउंडेशन के लिए प्रोजेक्ट प्लानिंग किया जा रहा हैं। अत्याधुनिक कृषि के लिए वैज्ञानिकों के साथ ई-मेल व फोन के माध्यम से सलाह लेकर पे्रजेंटेशन तैयार किया जा रहा है। इसके बाद संबंधित लोगों से फोन, ई-मेल व वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुझाव मांगकर प्रोजेक्ट पर बहसकर निर्णय की प्रक्रिया बढ़ाई जाती है। प्रो. सिंह के मुताबिक लॉकडाउन के बाद खेतों में इन परियोजनाओं को सक्रिय तौर पर लागू करना है। इस बीच रचनात्मक लेखन भी जारी है। प्रो. सिंह के अनुसार  उच्च शिक्षा में सुधार के लिए  सुझावात्मक लेखन कर रहे हैं। नई शिक्षा नीति से जुड़ीं उम्मीदों व परिस्थितियों की जानकारी लोगों को घर से ही दी जा रही है।

किताबों की ओर लौटने का दौर

लॉकडाउन के दौरान प्रो. पंजाब सिंह अपने दिन की शुरुआत और अंत किताबों के साथ ही करते हैं। उनका मानना है कि इस समय सबसे ज्यादा  लाभ किताबें पढऩे वालों को मिल रहा है। टास्क लेकर यदि रोज किताबें पढ़ी जाएं तो वैचारिक शांति मिलेगी। इस दौरान वह अनीता देसाई की फास्टिंग फिस्टिंग, सेकेंड चांस, लाइफ ऑफ पाई आदि किताबें पढ़ रहे हैैं।


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