बनारस और संगीत में अद्भुत सामन्जस्य, प्रबुद्धजनों से चर्चा में बोलीं प्रसिद्ध लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी
बनारस और संगीत में अद्भुत सामन्जस्य प्रबुद्धजनों से चर्चा में बोलीं प्रसिद्ध लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी।
वाराणसी, जेएनएन। भारतीय संस्कृति विविधता से भरी है। काशी की संस्कृति और मस्ती दोनों ही अद्भुत है। बनारस व संगीत का आपस में अद्भुत सामंजस्य है। काशी के कण कण में संगीत है। विश्व में ऐसी नगरी न हुई है ना होगी। काशी को लेकर ये सोच और समझ पद्मश्री मालिनी अवस्थी की है। वे भाजपा प्रबुद्ध प्रकोष्ठ काशी क्षेत्र द्वारा आयोजित आनलाइन गुरुवारीय अड़ी में प्रबुद्धजनों के बीच अपने विचार रख रहीं थीं।
उन्होंने कहा कि बनारस की विश्वविख्यात शास्त्रीय गायिका पद्मविभूषण गिरिजा देवी (अप्पा जी) की वे गंडा बंध शिष्या हैं। ठुमरी जैसी लोक संगीत की शिक्षा उन्हीं से ली। पति के प्रशासनिक सेवा में होने के कारण अलग-अलग शहरों में रहना हुआ जिसके कारण मेरी गायिकी में विविधता आई। कोरोना संकटकाल में डाक्टर, नर्स, पुलिस, सफाई कर्मी एवं अन्य आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति करने वालों ने कोरोना वारियर्स के रूप में अपना दायित्व निभाया। इसी तरह सांस्कृतिक कर्मियों को भी कोरोना वारियर्स के रूप में देखा जाना चाहिए। असामान्य परिस्थिति को भी सामान्य बनाने में कलाकारों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। गीत संगीत भारतीय परंपराओं से जुड़े प्रत्येक अवसरों की भावपूर्ण अभिव्यक्ति किया। बताया कि बताया कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने 51 दिनों तक लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से अलग-अलग विषयों पर चर्चा की। कलाकार वही है जिसमें जिज्ञासा एवं ललक हो। पीएम मोदी और सीएम योगी के कार्य को सराहा। कहा कि आत्मनिर्भर भारत बनाने में देश के नागरिकों को भी सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना होगा। चर्चा के दौरान कुछ प्रसिद्ध लोक गीतों नीबिया की पेडिय़ा...को गाकर सुनाया। विषय प्रवर्तन क्षेत्रीय उपाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह ने व कार्यक्रम का संयोजन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनील मिश्र ने किया। कार्यक्रम में दैनिक जागरण के संपादक उत्तर प्रदेश आशुतोष शुक्ल, कविता मालवीय, अंकिता खत्री, डा. स्वाति, डा. मन्नू यादव, शशि कुमार, गणपति यादव, नवरतन राठी, संतोष सोलापुरकर आदि थे।