चीन को मात देने के लिए समूह की महिलाएं भी तैयार, स्वनिर्मित रंग-बिरंगी राखियों से सजेंगी भाइयों की कलाई
चीन को मात देने के लिए जौनपुर में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी तैयार हैं। इस बार रक्षाबंधन पर वह भाइयों की कलाई पर दगाबाज चीन निर्मित राखियों को नहीं सजने देंगी
जौनपुर, जेएनएन। चीन को मात देने के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी तैयार हैं। इस बार रक्षाबंधन पर वह भाइयों की कलाई पर दगाबाज चीन निर्मित राखियों को नहीं सजने देंगी, बल्कि स्वयं द्वारा निर्मित रंग-बिरंगी राखियों से सजाएंगी। मेक इन इंडिया को मजबूती देने के लिहाज से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की ओर से इन्हें बकायदा प्रशिक्षित किया जाएगा। तैयार होने वाली इन देशी राखियों को बाजार उपलब्ध कराने की कवायद अभी से शुरू कर दी गई है। इस कड़ी में डिस्ट्रिक्ट मिशन मैनेजर (बीडीएम) भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
1300 सहायता समूह है सक्रिय
मौजूदा समय में जिले में तकरीबन 1300 स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं। जिनसे लगभग 13 हजार से अधिक महिलाएं जुड़ी हैं। इसमें 12 हजार महिलाएं काम कर रही हैं। सभी अलग-अलग क्षेत्र में निपुण हैं। महिलाओं की काबिलियत की पहचान कर इस बार इन्हें राखी बनाने का भी कार्य दिया जाएगा। मौजूदा समय में अधिकतर महिलाएं सिलाई-कढ़ाई के कार्य में लगी हैं, जिन्हें और हुनरमंद बनाने के लिए बकायदा कौशल विकास व ग्राम विकास की ओर से प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके अलावा अन्य एक्सपर्ट भी बाजार के हिसाब से राखियां बनाने के लिए उन्हें टिप्स देंगे।
चीनी राखियों का होगा बहिष्कार
रक्षाबंधन जैसे पर्व पर बाजार में चीनी राखियों का ढेर रहता है, जो इस बार देखने को नहीं मिलेगा। लद्दाख के गलवन में भारतीय जवानों संग कायरना हरकत के बाद आमलोगों में ही नहीं, बल्कि व्यापरियों में भी चीन के खिलाफ आक्रोश है। यही वजह है कि अन्य सामानों के अलावा चीनी राखी का भी इस बार पूर्ण रूप से बहिष्कार किया जाएगा। ऐसे में स्वनिर्मित राखियों की खरीदारी से जहां एक ओर से मेक इन इंडिया को बल मिलेगा, वहीं जरूरतमंद महिलाओं की भी जरूरतें पूरी हो सकेंगी।
इन ब्लाक की महिलाओं पर फोकस
बरसठी, रामपुर, शाहगंज, करंजाकला, बदलापुर, केराकत व मछलीशहर ब्लाक की महिलाओं पर फोकस किया गया है। बरसठी व रामपुर में बड़ी संख्या में महिलाएं दरी निर्माण का हिस्सा हैं। हुनरमंद महिलाओं को सूचीबद्ध इस अभियान का हिस्सा बनाया जाएगा।
आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं एक लाख दस हजार रुपये तक की मदद भी की जाएगी
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित राखियों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए जरूरी औपचारिकताओं को पूरा किया जा रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं एक लाख दस हजार रुपये तक की मदद भी की जाएगी। समूहों की महिलाएं पहले से ही कोई न कोई कार्य कर रही हैं। ऐसे में प्रशिक्षण कार्यक्रम से उनकी प्रतिभा में और निखार आएगा। कहा कि राखियों का बाजार उपलब्ध कराने को लेकर कवायद चल रही है।
-भूपेंद्र सिंह, उपायुक्त मनरेगा।