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पुराना डाटा नहीं कर सकेंगे री-कवर, ऑनलाइन कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल बेचते वक्त बरतें सावधानी

अपना मोबाइल कंप्यूटर लैपटाप को फार्मेट भी कर देते हैं। मगर तकनीक में जरा सी चूक मुसीबत बन सकती है इसे जानना आपके लिए जरूरी है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 06:30 AM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 03:41 PM (IST)
पुराना डाटा नहीं कर सकेंगे री-कवर, ऑनलाइन कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल बेचते वक्त बरतें सावधानी
पुराना डाटा नहीं कर सकेंगे री-कवर, ऑनलाइन कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल बेचते वक्त बरतें सावधानी

वाराणसी [वंदना सिंह]। आजकल ऑनलाइन लोग अपना कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल बेच देते हैं। इसमें उन्हें सुविधा होती है कि बस साइट पर बेचने वाले सामान की जानकारी व फोटो डाली और फिर इसके खरीदार आसानी से मिल जाते हैं। इसे बेचने से पहले लोग अपना मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटाप को फार्मेट भी कर देते हैं। मगर तकनीक में जरा सी चूक मुसीबत बन सकती है इसे जानना आपके लिए जरूरी है। जी हां, सिस्टम फार्मेट होने के बाद भी आपके गोपनीय डाटा, फोटो आदि को री-कवर किया जा सकता है जिससे हो सकता है गलत हाथों में जाने पर इसका दुरुपयोग हो सकता है जिसकी वजह से आपको मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।

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न दें अनजान हाथों में    

अक्सर लोग अपना फोन या मेमारी कार्ड गाना, वीडियो, रिंगटोन, वालपेपर आदि कॉपी कराने के लिए भी अनजान हाथों में दे देते हैं। ऐसी गलती न करें। आजकल कुछ लोग लोगों के डाटा को री-कवर कर गलत उपयोग कर रहे हैं। दरअसल कुछ रिकवरी साफ्टवेयर हैं जिनकी मदद से डिलीट डाटा को फिर से री-कवर किया जा सकता है। इसके साथ ही कई महीने पहले के  भी डाटा जो आपने डिलीट कर दिए थे उसे भी री-कवर किया जा सकता है।

कई हैं ऑप्शन

यह जानना जरूरी है कि जब कोई फाइल डिलीट की जाती है तो वह डिलीट नहीं होती। बल्कि आपके कंप्यूटर हार्ड ड्राइव में होती है। जबकि इसे री-साइकल बिन से भी डिलीट किया जा चुका हुआ होता है। इस वक्त डिलीट फाइलों की रिकवरी को रोकने के लिए कई आप्शन हैं जिससे फाइलों की रिकवरी को रोका जा सकता है।

स्टोरेज डिवाइस- यह अधिकतर दो प्रकार का हेाता है। एनटीएफएस यानी न्यू टेक्नोलॉजी फाइल सिस्टम और फैट फाइल एलोकेशन टेबल। इन दोनों में ही फाइल सेविंग की प्रक्रिया अलग-अलग तरह से होती है।

न्यू टेक्नोलॉजी फाइल सिस्टम - विंडो और अन्य आपरेटिंग सिस्टम में फाइल कहां रखी है यह जानने के लिए कंप्यूटर सिस्टम प्वाइंटर का प्रयोग करता है। इसमें प्रत्येक फाइल और फोल्डर का प्वांइटर होता है। प्वाइंटर एक तरह से सूचित करता है जो कंप्यूटर सिस्टम को जानकारी देता है कि फाइल कहां, कितने केबी, एमबी या जीबी का है। जब कोई फाइल डिलीट किया जाता है तो तो कंप्यूटर सिस्टम सिर्फ उस प्वाइंटर को ही डिलीट करता है न कि डाटा को। हालांकि डाटा कंप्यूटर सिस्टम के नजरिए से तो डिलीट हो जाता है और उतनी जगह भी खाली हो जाती है। मगर  डिलीट किया डाटा अब भी हार्ड ड्राइव में पड़ा रहता है। इस बात को जानना जरूरी है कि जब तक कंप्यूटर सिस्टम डिलीट की गई जगह को भर नहीं देता, तब तक डिलीट की गई फाइल को री-कवर किया जा सकता है। यही वजह है कि हार्ड ड्राइव से फाइल री-कवर हो जाती है।

फाइल एलोकेशन टेबल- ज्यादातर फैट सिस्टम मेमोरी कार्ड, पेनड्राइव, डिजिटल कै मरा, फ्लैश ड्राइव, स्मार्ट मीडिया कार्ड और स्टेट सालिड डिवाइस में इस्तेमाल होता है। इसमें कोई डाटा सेव करने पर उस डाटा का एक टेबल बन जाता है जिसमें सेव किए गए डाटा की पूरी जानकारी होती हैै। जब डाटा को डिलीट करते हैं तो इसमें सिर्फ टेबल डिलीट होता है जबकि डाटा वैसा का वैसा पड़ा रहता है। इसे री-कवर करना आसान होता है।

आईटी एक्सपर्ट आसिफ अब्बास के अनुसार कई साफ्टवेयर हैं जिन्हें इंस्टाल करने के बाद हार्ड ड्राइव को पूरी तरह से खाली किया जा सकता है। इसके लिए सीसी क्लीनर, वाइप फाइल, हार्ड वाइप, साइबर श्रेडर, इरेजर, फाइल श्रेडर, फ्री वाइप विजार्ड जैसे साफ्टवेयर इंस्टाल कर सकते है। इनका प्रयोग सरल होता है। इसमें डाटा को सीधे डिलीट न करके साफ्टवेयर के जरिए डिलीट करना होता है। साफ्टवेयर के वेबसाइट पर इंस्टाल और फाइल डिलीट की विस्तृत प्रक्रिया दी गई है। ये सारे साफ्टवेयर लगभग हर ऑपेरटिंग सिस्टम पर इंस्टाल किए जा सकते हैं।


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