नक्सल क्षेत्र में अब जरूरत के मुताबिक सामग्री वितरण व स्वरोजगार के लिए किया जाएगा प्रशिक्षित
नक्सल क्षेत्र में अब रोजगार परक विशेष प्रशिक्षण दिये जाने की व्यवस्था की गई है।
सोनभद्र [सुजीत शुक्ल]। बदलते दौर के साथ व्यवस्थाओं में तब्दीली होना स्वाभाविक है। 90 के दशक में जनपद नक्सलवाद से गुजर रहा था। विपरीत स्थितियों को संतुलित करने के लिए पुलिस ने कुछ विशेष कदम बढ़ाए थे। उन्हें इसमें सफलता भी मिली। तीन दशक बाद स्थितियों में जबर्दस्त बदलाव हुआ है। ऐसे में पुलिस विभाग ने एक नया तरीका अपनाया हैै। इसके तहत महिलाओं में साड़ी, पुरुषों में धोती व खाने के लिए चावल, दाल वितरण की जगह साइकिल, सिलाई मशीन समेत रोजगार परक विशेष प्रशिक्षण दिये जाने की व्यवस्था की गई है।
दरअसल, 20वीं सदी के अस्सी के दशक में दस्यु सरगनाओं का बोलबाला था। जब यह ढलान पर हुआ तो नक्सलवाद पनपना शुरू हुआ। बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश से सटे आदिवासी बहुल जनपद में 90 के दशक में नक्सलवाद चरम पर था। इसी को रोकने के लिए पुलिस ने कम्युनिटी पुलिङ्क्षसग के तहत एक पहल शुरू की। संबंधित अधिकारी ने बताया कि वह दौर अत्यंत गरीबी का था। चावल व कपड़ा प्राथमिक था। दो जून की रोटी के लिए नक्सली संगठन आम जनता को बरगलाते थे। बताया कि अब समय बदल गया है। युवाओं में नई सोच विकसित हुई है। इसके देखते हुए जरूरत के मुताबिक छात्राओं में साइकिल, महिलाओं में सिलाई मशीन, युवाओं में लैपटॉप, किसानों में कृषि यंत्र बांटने की योजना बनी है।
कहां किसकी जरूरत होगी पड़ताल
थाना क्षेत्रों को चिह्नित कर जरूरतमंद को देखा जाएगा। जनपद में कुल 22 थाने हैं जिसमें 17 नक्सल प्रभावित में ही वितरण होगा। एएसपी नक्सल अभयनाथ त्रिपाठी ने बताया कि अब ज्यादा ध्यान कौशल विकास पर है। यह कोशिश है कि नक्सल क्षेत्र के लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षित किया जा सके।
अभी तक क्या-क्या बंटता था
कम्युनिटी पुलिसिंग का दायरा है तो काफी लंबा लेकिन, जिले में अब तक ज्यादातर कंबल, साइकिल, फुटबाल, वॉलीबाल, साड़ी, अनाज, पाठ्य सामग्री आदि का वितरण किया जाता रहा है। इसका उद्देश्य वंचित लोगों को मुख्य धारा से जोडऩा है।
लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जाए
कम्युनिटी पुलिसिंग का जो मूल उद्देश्य है यह यह कि नक्सल क्षेत्र के लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जाए। साड़ी, चावल बांटने की जगह अब कौशल विकास पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। हां अगर कहीं इसकी जरूरत होगी तो कुछ दिया जाएगा।
- आशीष श्रीवास्तव, पुलिस अधीक्षक।