पूर्वांचल में बढ़ने लगी ठंड तो गलने लगा मशरूम, अचानक बढ़ी दुश्वारी से किसान चिंतित
गत दो दिनों से बढ़ी गलन मशरूम उत्पादक किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। गलन के कारण मशरूम में गलन की समस्या पैदा हो गई है। इससे लगभग जिले के दो सौ मशरूम इकाइयां प्रभावित हो रही हैं।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। मौसम की मार से आम जन ही नहीं बल्कि फसलें भी परेशान हैं। जी हां! मशरूम पर गलन की मार व्यापक स्तर पर सप्ताह भर में पड़ने से किसान काफी चिंतित हो गए हैं। माना जा रहा है कि मौसम का यही रूख बना रहा तो किसानों के सामने लगात निकालने तक की दुश्वारी हो जाएगी। मौसम विभाग की ओर से हालांकि इस सप्ताह के आखिर तक राहत की उम्मीद जताई जा रही है।
गत दो दिनों से बढ़ी गलन मशरूम उत्पादक किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। गलन के कारण मशरूम में गलन की समस्या पैदा हो गई है। इससे लगभग जिले के दो सौ मशरूम इकाइयां प्रभावित हो रही हैं। इधर बीच किसानों का रूझान मशरूम की खेती की ओर बढ़ा है। इसका सबसे बड़ा कारण है कम लागत और अधिक मुनाफा। इस कारण मशरूम उत्पादकों की संख्या बढ़ी है।
यह सीजन सफेद बटन मशरूम का है। इसके लिए तापमान 15-18 डिग्री सेल्सियस और आर्द्रता 85 से 90 फीसद होनी चाहिए। अचानक कम हुए तापमान से फफूंदी की समस्या भी पैदा हो गई है। गलन को यदि किसान समय पर नियंत्रित नहीं करेंगे तो इसका असर मशरूम उत्पादन पर पड़ेगा।
इस तरह फसलों को रखें सुरक्षित : जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्ता की मानें तो तापमान में आई अचानक गिरावट से मशरूम में गलन की समस्या आई है। इससे बचाव के लिए किसानों को मशरूम उत्पादन इकाई का तापमान बढ़ाना चाहिए। इसके लिए मशरूम की इकाई को दिन में कम से कम पांच घंटे तक खोल कर रखें। इसके साथ ही मशरूम की इकाई में बिजली के हीटर और बल्बों को जलाकर रखें। इससे मशरूम की इकाई में गरमाहट बनी रहेगी। इकाई में ताजे पानी का छिड़काव करें। गल रहे मशरूम के अवशेषों को निकाल दें। इससे गलन की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।