बुनकरों और शिल्पकारों को आर्थिक राहत पैकेज दिया जाए, फोरम ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भेजा पत्र
कोरोना महामारी के इस दौर में आल इंडिया हस्तशिल्प कामगार बुनकर फोरम ने बुनकर व शिल्पकारों को भी राहत पैकेज देने हेतु सरकार से मांग की हैं। इस बाबत प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री राज्यपाल समेत कपड़ा मंत्री को पत्र भेजा गया।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना महामारी के इस दौर में आल इंडिया हस्तशिल्प कामगार बुनकर फोरम ने बुनकर व शिल्पकारों को भी राहत पैकेज देने हेतु सरकार से मांग की हैं। इस बाबत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल समेत कपड़ा मंत्री को पत्र भेजा गया।
मिर्जामुराद के मेंहदीगंज गांव निवासी आल इंडिया बुनकर फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो.अकरम अली ने बताया कि वाराणसी में 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री ने अपने प्रथम वक्तव्य में ही मां गंगा और बुनकरों पर विशेष जोर दिया था।2015-16 में भी उन्होंने बुनकर समाज के दर्द को कई बार अपने उद्बोधन में चर्चा किए, क्यों कि वाराणसी बुनकर बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण यहां का बुनकर गांव और शहर दोनों जगह अपना लूम और करघा चलाता हैं।खेतिहर नहीं होने के साथ ही मनरेगा मजदूर की श्रेणी में भी न होने के कारण बुनकरों को सरकारी सहायता और राहत पाने से वंचित होना पड़ रहा। बुनकर समाज दाने-दाने को मोहताज हैं, क्योंकि स्वाभिमानी कारीगर हुनरमंद बुनकर एक वर्ष बाद भी कोई नया लघु उद्योग, गृह उद्योग प्रारंभ नहीं कर पाया हैं, और ना ही बुनकर समाज को किसान भाइयों की तरह दो हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि अथवा अनाज का भी लाभ नही मिल पाता हैं।जबकि सरकार सबका साथ सबका विकास और सबको विश्वास का नारा देकर बनारस ही नहीं मिर्जापुर, भदोही, मऊ, मुबारकपुर, मऊआइमा, टांडा अकबरपुर जो कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर बांसगांव गाजीपुर बुनकर शिल्पकार बाहुल्य क्षेत्र हैं।जहां हिंदू- मुसलमान दोनों इस हुनर से जुड़े हुए हैं।जिससे गंगा-जमुनी तहजीब का एक ताना-बाना भी सद्भाव के रूप में समाज में मजबूती से निर्माण करता हैं, किंतु इस वर्ग और समाज को किसी श्रेणी में नहीं आने के कारण जनहित में काम करने वाली संस्था बुनकर फोरम ने पिछले साल करोना काल में ही सरकार से मांग किया था कि 2014 के पहले के बुनकर कार्ड आर्टीजन कार्ड धारकों का डाटा एडीआईए आफिस और उपायुक्त हस्तशिल्प के कार्यालय से निकलवा कर उसी आधार पर समाज को राहत दिया जा सकता हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि खेती-बारी नहीं होने के कारण इनके पास रोजाना भोजन की भी कोई व्यवस्था नहीं होती।इस समय शादियां कैंसिल होने से साड़ियों के आर्डर कैंसिल होने से करघा और चरखा भी बंद हैं।मोहल्ले में जमीन कम होने के कारण घनी आबादी में निवास करते हैं।अशिक्षा मजबूरी हैं।जिससे रोग बढ़ता हैं।सरकार को चाहिए उनके मोहल्ले में वार्ड लेवल पर कैंप लगाकर वैक्सीन लगवाने और कोरोनावायरस पैकेट को वितरण करने की व्यवस्था करें।जिससे इस वर्ग और समाज के जीवन को भी सुरक्षित रखा जा सके।बनारस की साड़ी पूरी दुनिया में अपनी पहचान रखती हैं, क्यों कि अशिक्षित बुनकर शिल्पकार ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं कर सकता।करघा लूम बंद होने से बुनकर शिल्पकारो का बिजली वसूली, बैंक की वसूली व अन्य कर जो कि सरकार अन्य शहरों में विशेष जनों को देती हैं, पर सितंबर तक इस समाज और वर्ग का वसूली भी रोक दें। जिससे यह अपने को मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर सकें। बुनकर फोरम के लोग सरकार की योजनाओं के साथ हैं, उसकी जागरूकता के लिए क्रियान्वयन के लिए जो भी शासन-प्रशासन का निर्देश हो हमारे कार्यकर्ता करने के लिए तैयार हैं।उम्मीद है हम सब के सांसद देश के प्रधानमंत्री जो कि बुनकरों के शुभचिंतक रहे हैं।हम सब पर ध्यान देंगे।इससे पूर्व में प्रधानमंत्री ने बुनकरों की बिजली समस्या को संज्ञान में लेकर मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर पूर्व की भांति बिजली बिल वसूलने का आदेश पारित करवाए थे।