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रिफार्म यूपी कांग्रेस मुहिम 'अभिव्यक्ति दशा और दिशा की' में उजागर हुई कमजोरियां

रिफार्म यूपी कांग्रेस मुहिम के तहत आयोजित काग्रेस जमीनी कार्यकर्ता संवाद संगोष्ठी अभिव्यक्ति दशा और दिशा की प्रथम कड़ी रविवार को वीरेश्वर आश्रम शिवाला में संपन्न हुई।

By Edited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 12:51 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jul 2019 12:55 PM (IST)
रिफार्म यूपी कांग्रेस मुहिम 'अभिव्यक्ति दशा और दिशा की' में उजागर हुई कमजोरियां
रिफार्म यूपी कांग्रेस मुहिम 'अभिव्यक्ति दशा और दिशा की' में उजागर हुई कमजोरियां

वाराणसी, जेएनएन। रिफार्म यूपी कांग्रेस मुहिम के तहत आयोजित काग्रेस जमीनी कार्यकर्ता संवाद संगोष्ठी 'अभिव्यक्ति दशा और दिशा की' प्रथम कड़ी रविवार को वीरेश्वर आश्रम शिवाला में संपन्न हुई। प्रदेश व्यापी कार्यकर्ताओं से संवाद द्वारा सकारात्मक सांगठनिक सुधार लाने की इस मुहिम को काशी हिंदू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष व प्रदेश काग्रेस कमेटी के पूर्व प्रवक्ता कमलाकर त्रिपाठी आयोजित कर रहे हैं। संगोष्ठी में वक्ताओं का यह मत था कि राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा प्रदेश की कमान उन लोगों को सौंपी जानी चाहिए जिनका एक लंबा समय जीवन जन सेवा में गुजरा हो। कई सालों से दूसरे दलों से आयातित लोगों को प्रदेश की कमान सौंपने के कारण काग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं को तरजीह नहीं मिली। अलबत्ता, कई जगह अपमानित भी होना पड़ा।

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चुनाव में जमीनी कार्यकर्ताओं को तरजीह मिलनी चाहिए। कार्यकर्ताओं से शीर्ष नेतृत्व का सीधा संवाद होना चाहिए। देखा गया है कि प्रदेश नेतृत्व, हर जिले में चुनिंदा दो या चार लोगों के संपर्क में रहता है और वही दो-चार लोग पीसीसी सदस्य, एआईसीसी सदस्य, विधानसभा और लोकसभा के प्रत्याशी भी बन जाते हैं। संगोष्ठी में प्रोफेसर अनिल उपाध्याय, पीयूष अवस्थी, जय प्रकाश शर्मा, आनंद चौबे, आदित्य दुबे, ज्ञान यदुवंशी, एडवोकेट जैकी शुक्ला, गोविंद शर्मा, ओम शुक्ला, ताहिर अंसारी, राकेश मिश्रा, श्रद्धानंद जग्गू, गोलू पटेल, विश्वनाथ कुंवर, हरीश मिश्रा, अजीजुद्दीन अंसारी आदि ने विचार रखे। अध्यक्षता कमलाकर त्रिपाठी ने की।

कांग्रेस ने किया यह निर्णय

-सत्तारूढ़ दल की गलत नीतियों के खिलाफ जिले व ब्लॉक स्तर पर आंदोलन

-डीएलडब्ल्यू कारखाना के निजीकरण को लेकर उठेंगे विरोध के स्वर

-शिक्षा, बेरोजगारी और स्वास्थ्य जैसे अनेक मुद्दे हैं जिन पर प्रदेश व केंद्र सरकार को घेरा जा सकता है।

-राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर पर आक्रामक प्रवक्ताओं की नियुक्ति

-मणिशकर अय्यर, दिग्विजय सिंह, सैम पित्रोदा जैसे अनर्गल बयानबाजी पर अंकुश लगे।


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