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कम खर्च के स्वचालित नल से बचेगा जल, Agricultural इंजीनियरिंग के छात्र ने विकसित की सस्ती तकनीक

एग्रीकल्चरल अभियांत्रिकी के शोध छात्र अभिषेक कुमार ने कोरोना से लडऩे व पानी बचाने के लिए ऑटोमेटिक मिक्रोकंट्रोलर आधारित पानी का नल तैयार किया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 06:21 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 05:02 PM (IST)
कम खर्च के स्वचालित नल से बचेगा जल, Agricultural इंजीनियरिंग के छात्र ने विकसित की सस्ती तकनीक
कम खर्च के स्वचालित नल से बचेगा जल, Agricultural इंजीनियरिंग के छात्र ने विकसित की सस्ती तकनीक

वाराणसी [मुहम्मद रईस]। चंदौली के दहिया नामक छोटे से गांव के रहने वाले एग्रीकल्चरल अभियांत्रिकी के शोध छात्र अभिषेक कुमार ने कोरोना से लडऩे व पानी बचाने के लिए ऑटोमेटिक मिक्रोकंट्रोलर आधारित पानी का नल तैयार किया है। इसे बहुत ही आसानी से किसी भी पुराने नल की जगह लगाया जा सकता है। बाजार में पहले से उपलब्ध इस तरह की तकनीक से यह बेहद सस्ती है, जिसका फाइल भी पेटेंट किया जा चुका है।

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अभिषेक के मुताबिक पहले से मौजूद ऑटोमेटिक नलो के मुकाबले यह काफी सस्ता है। बाजार में इस तरह की तकनीक दो से पांच हजार रुपये में उपलब्ध हैं, जबकि उनके द्वारा तैयार नल महज 700 रुपये में तैयार हुआ है। इसे कितने भी गहरे वॉश बेसिन में या बिना वॉश बेसिन वाले जगह पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे चलाने के लिए पांच वाट से भी कम बिजली लगती है। पूरे उपकरण को हम घर की बिजली से, डीसी 12 वोल्ट बैटरी से, सोलर से या मिनी इन्वर्टर से भी चला सकते हैं। कोरोना संक्रमण काल में इसका उपयोग सुरक्षा के लिए तो होगा ही, साथ ही साथ इससे हमेशा पानी की भी बचत होती रहेगी। इस स्वचालित नल का प्रयोग विद्यालयों, अस्पतालों, रेलवे स्टेशन इत्यादि जगहों के लिए करना फायदेमंद साबित होगा।

अभिषेक तीन महीने से खुद कर रहे उपयोग

अभिषेक के मुताबिक जैसे ही किसी भी वस्तु या हाथ को इस नल के नीचे ले जाएंगे, ये पानी देने लगेगा। इस प्रकार बिना नल को छूए हम अपने हाथों की सफाई भी कर पाएंगे। इस नल का इंडियन पेटेंट आठ जून 2020 को फाइल किया गया है। एमएचआरडी-गेट, आइसीएआर-जेआरएफ, एसआरएफ व नेट जैसे राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में अभिषेक ने अच्छी रैंक हासिल किए हैं। इसका श्रेय वे अपनी माता अनीता शरण व पिता नानक शरण के मार्गदर्शन व आशीर्वाद को देते हैं।


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