Water transport ने जोड़े काशी-विंध्य के तार, गंगा की लहरों पर पर्यटन को मिली रफ्तार
शहर में अब गंगा में पर्यटन का दौर शुरू हो चुका है। गंगा के तटवर्ती दो पौराणिक नगरों के बीच रविवार को गंगधार के जरिए पर्यटन विस्तार की डगर पर आ गए। लंबे इंतजार के बाद सैम मानेकशा रो पैक्स (जलयान) ने रवानी भरी।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। शहर में अब गंगा में पर्यटन का दौर शुरू हो चुका है। गंगा के तटवर्ती दो पौराणिक नगरों के बीच रविवार को गंगधार के जरिए पर्यटन विस्तार की डगर पर आ गए। लंबे इंतजार के बाद सैम मानेकशा रो पैक्स (जलयान) ने रवानी भरी। इसके साथ काशी के आध्यात्मिक पर्यटन में नया अध्याय भी जुड़ा। आधुनिक सेतु के रूप में क्रूज ने यहां की आध्यात्मिकता को मीरजापुर की ऐतिहासकता से जोड़ा। सुबह 9:25 बजे कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने रविदास घाट पर हरी झंडी दिखाकर इसे मीरजापुर के लिए रवाना किया। 'हर-हर महादेव' के उद्धोष के बीच गंगधार पर गंगा रूट पर पहली बार इस अनूठे सफर का श्रीगणेश हुआ।
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण की ओर से पर्यटन विभाग को सौंपा गया खास रो पैक्स पहले दिन 90 लोगों को लेकर सफर पर निकला। तय क्षमता 250 यात्रियों के सापेक्ष सुविधाजनक यात्रा के लिहाज के इस पर फिलहाल 150 लोगों के लिए स्थान बनाया गया है। संचालन एजेंसी अलकनंदा क्रूज प्राइवेट लिमिटेड के संचालक विकास मालवीय ने बताया कि पहली यात्रा 140 लोगों के साथ सफलतापूर्वक पूरी की गई। इसी तरह बेहतर प्रतिक्रिया मिलने पर संचालन विंध्याचल तक करने पर भी विचार किया जा सकता है। चुनार के बालूघाट पर अगवानी में रो पैक्स पर पहुंचे मीरजापुर मंडल के कमिश्नर योगेश्वर राम मिश्र ने भी कुछ इसी तरह का प्रस्ताव संचालकों को दिया।
बोले यात्री :
बहुत ही मजेदार रविवार रहा। बच्चों को धार्मिक के साथ ही ऐतिहासिक चीजों की जानकारी मिली। पूरे दिन हमने मां गंगा की गोर में बिताया, इससे बढ़कर और क्या हो सकता है। - डा. एसके त्रिपाठी, सिगरा।
बहुत ही अच्छा अनुभव रहा। थोड़ा महंगा जरूर है, फिर भी दो-तीन माह में एक बार इसकी सवारी की जा सकती है। परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताने का बेहतर माध्यम है। - धीरेंद्र श्रीवास्तव, ककरमत्ता।
अच्छी शुरुआत है। अभी तक धार्मिक नजरिए से ही यहां पर्यटन की संभावना तलाशी जा रही थी। मगर इस यात्रा के माध्यम से धर्म के अलावा भी काशी के विविध रंग देखने को मिले। - डा. सोनी कुमारी, कमच्छा।
अध्यात्म के साथ इतिहास और शिक्षा का समावेश करते हुए एक बेहतरीन यात्रा का स्वरूप तैयार किया गया है। गीत-संगीत के साथ ही बहुत कुछ जानने और समझने को मिला। - डा. सोनी स्वरूप, ब्रिज इन्क्लेव।