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जल संरक्षण की पहल : अपनी काशी में कूपों को मिलेगा नवजीवन तो दूर होगा जल संकट

प्राकृतिक जल के स्त्रोत दिन-प्रतिदिन नष्ट होते चले जा रहे हैं। इस कारण मनुष्य के सामने जल संकट एक विकराल समस्या के रूप में प्रकट हुई है।

By Edited By: Published: Sun, 14 Jul 2019 01:33 AM (IST)Updated: Sun, 14 Jul 2019 10:05 AM (IST)
जल संरक्षण की पहल : अपनी काशी में कूपों को मिलेगा नवजीवन तो दूर होगा जल संकट
जल संरक्षण की पहल : अपनी काशी में कूपों को मिलेगा नवजीवन तो दूर होगा जल संकट

वाराणसी, जेएनएन। प्राकृतिक जल के स्त्रोत दिन-प्रतिदिन नष्ट होते चले जा रहे हैं। इस कारण मनुष्य के सामने जल संकट एक विकराल समस्या के रूप में प्रकट हुई है। हमारे देश में शुद्ध पेयजल की गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है। नदियों का देश होने के बावजूद भी हमारे देश के कई भागों में आज शुद्ध पेयजल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। यह समस्या सरकार के साथ-साथ संपूर्ण मानव जाति के लिए एक चुनौती साबित हो रही है। इसको लेकर सरकार भी चिंतित हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में प्रदेश के राज्यमंत्री नीलकंठ तिवारी ने जल स्रोतों को बचाने की कवायद शुरू की है।

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उन्होंने तालाबों के सुंदरीकरण के साथ ही कूपों को नवजीवन देने के लिए आदेशित किया है। यह कार्य बारिश के बाद होगा। एक वक्त था जब पेयजल व्यवस्था केंद्रीयकृत नहीं थी। नलकूप का पानी पाइप के सहारे घरों तक नहीं पहुंचता था। उस वक्त नगर के कूप ही पेयजल की मांग को पूरा करते थे। यही वजह है कि नगर के विभिन्न इलाकों में सार्वजनिक स्थलों पर कूपों की खोदाई की गई है। राजा-महाराजाओं के अलावा सेठ-महाजन ने भी पुण्य कमाने के लिए कूपों का निर्माण कराया, मगर वक्त बीतने के साथ नगर की कीमती हो रही जमीनों को देखते हुए कूपों का अस्तित्व तेजी से खत्म हो रहा है। लोग कब्जा कर जल के इस स्रोत को बंद कर बिल्डिंग बना दे रहे हैं। इसे देखते हुए राज्यमंत्री ने आदेशित किया है कि बारिश के बाद कूपों को सूचीबद्ध कर उनको नवजीवन दिया जाएगा। राज्यमंत्री का तर्क है कि कूप व हैंडपंप से पीने का पानी बर्बाद नहीं होता है। जितनी जरूरत होती है उतना ही लोग पानी का उपयोग करते हैं, क्योंकि इन स्रोतों से पानी के लिए लोगों को मेहनत करनी होती है, जबकि सबमर्सिबल व वाटर पंप से निकले पानी को बर्बाद करने में संकोच नहीं होता। उनका दावा है कि सभी नलकूप व हैंडपंप दुरुस्त हो जाएं तो नगर में पेयजल की समस्या होगी ही नहीं।

नगर में हैंडपंप व कुएं -23 सौ हैंडपंप -250 कुएं

गांव में हैंडपंप व कुएं बदहाल ग्रामीण क्षेत्रों में हैंडपंप व कुएं बदहाल हैं। कुएं के जल स्रोत दूषित हो गए हैं तो अधिकतर हैंडपंप खराब हैं। बहुत से लोगों ने निजी सबमर्सिबल पंप लगा रखा है जिससे मनमाना पानी का दोहन कर रहे हैं।

चोलापुर ब्लाक : -972 कुएं -4100 हैंडपंप

हरहुआ ब्लाक : -850 कुएं -4100 हैंडपंप

बड़ागांव ब्लाक : -850 कुएं -5500 हैंडपंप

सेवापुरी ब्लाक : -1132 कुएं -6342 हैंडपंप

आराजीलाइन ब्लाक : -1050 कुएं -4015 हैंडपंप

काशी विद्यापीठ ब्लाक : -150 कुएं -4307 हैंडपंप

चिरईगांव ब्लाक : -1755 कुएं -4945 हैंडपंप

यहां पानी बर्बादी की शिकायतें

-तुलसी नगर टड़िया में पाइप लीकेज से बहता है पानी।

-लंका के रश्मि नगर में पेयजल पाइपलाइन में लीकेज

-बड़ा लालपुर स्थित विद्युत उपकेंद्र के पास लीकेज

भूजल स्तर तेजी से नीचे गिरता जा रहा। इसकी मुख्य दो वजहें हैं। पहला-बेतहाशा भूजल दोहन, दूसरा- जल संचयन के स्रोत तालाबों को पाट देना। इस ओर जिला प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है। - जितेंद्र सेठ, पूर्व पार्षद

देखा जाता है कि लोगों के घरों की छत पर रखी पानी के टंकी से पानी गिरता रहता है। नलों को खोलकर छोड़ देते हैं जिससे पानी बर्बाद होता रहता है। इसे रोकने की जरूरत है ताकि पानी बचा सकें। -मीनल नाहर

सिर्फ सरकार के प्रयास से सब कुछ नहीं होना है। पानी बचाने के लिए सभी को प्रयास करना होगा। इसके लिए सबसे पहले पानी बर्बाद न करने का संकल्प लें, फिर बचाने की कोशिश करें। - दीपशिखा, एएसपी की पत्नी


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