विहंगम योग संत समाज का 95 वां वार्षिकोत्सव में विश्वशांति महायज्ञ का शुभारंभ
वाराणसी स्थित चौबेपुर में स्वर्वेद महिंदर धाम उमरहा में चल रहे विहंगम योग संत समाज के 95 वा वार्षिकोत्सव में कुंडीय विश्वशांति वैदिक महायज्ञ का शुभारंभ हुआ।
वाराणसी, जेएनएन। चौबेपुर में स्वर्वेद महिंदर धाम उमरहा में चल रहे विहंगम योग संत समाज के 95 वा वार्षिकोत्सव समारोह के दूसरे दिवस पर 5101 कुंडीय विश्वशाति वैदिक महायज्ञ का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर श्वेत ध्वज फहराया गया। महायज्ञ में आहुति देने बैठे यज्ञानुरागियों को संबोधित करते हुए संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने यज्ञ पर व्यापक प्रकाश डालते हुए कहा कि यज्ञ का अर्थ है त्याग, सेवा, सहयोग, समर्पण। जो कुछ भी मानव के लिए हितकारी है, जो हमारी आत्मा के कल्याण के लिए है, जो समाज, राष्ट्र , विश्व के लिए हितकारी है उसी का नाम है यज्ञ।
महाराज जी ने बताया कि यज्ञ का धुआं स्वास्थ्य लाभ एवं पर्यावरण को शुद्ध करता है। इस मौके पर आध्यात्मिक भजनों की प्रस्तुति भजन गायकों ने की। संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने भक्त व शिष्यों को संबोधित करते हुए कहा कि जहा प्रेम है वहीं पर परमात्मा का वास है। जहां सत्य है, श्रद्धा है, समर्पण है, सेवक का भाव है वहीं आत्मा का कल्याण है, वहीं परमात्मा का प्रकाश है। इस मौके पर तीन आध्यात्मिक ग्रन्थ रत्नों का भी विमोचन किया गया। यज्ञ के उपरात मानव मन की शाति व आध्यात्मिक उत्थान के निमित्त ब्रह्मविद्या विहंगम योग के क्त्रियात्मक ज्ञान की दीक्षा आगत नए जिज्ञासुओं को दिया गया।
इसमें लगभग 1300 नए जिज्ञासुओं ने ब्रह्मविद्या विहंगम योग के क्त्रियात्मक ज्ञान की दीक्षा को ग्रहणकर अपने जीवन का आध्यात्मिक मार्ग प्रसस्त किया। इस आयोजन में प्रतिदिन नि:शुल्क योग, आयुर्वेद, पंचगव्य, होम्योपैथ आदि चिकित्सा पद्धतियों द्वारा कुशल चिकित्सकों के निर्देशन में रोगियों को चिकित्सा परामर्श भी दिया जा रहा है। आयोजन में चार बड़े भोजनालय में 60 काउंटर बनाए गए हैं ताकि सहजता से सभी को भोजन व प्रसाद भक्तों को प्राप्त हो सके।