कालीन उद्योग को गति देने के लिए वर्चुअल फेयर ही विकल्प, सरकार ने हरी झंडी दी तो आयोजन संभव
देश-विदेश में आयोजित होने वाले पारंपरिक कालीन मेलों का आयोजन पिछले 18 माह से ठप है। महामारी के कारण उपजे हालात को देखते हुए इस साल अंतरराष्ट्रीय स्तर के मेले का आयोजन कराना संभव नहीं है। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) ने वर्चुअल फेयर का सफल आयोजन किया था।
भदोही, जेएनएन। देश-विदेश में आयोजित होने वाले पारंपरिक कालीन मेलों का आयोजन पिछले 18 माह से ठप है। महामारी के कारण उपजे हालात को देखते हुए इस साल अंतरराष्ट्रीय स्तर के मेले का आयोजन कराना संभव नहीं है। चीन में आयोजित चाइना एशियन डोमोटेक्स में पिछले दो बार से भारतीय निर्यातक भागीदारी नहीं कर रहे हैं। ऐसे में कालीन उद्योग को गति प्रदान करने के लिए वर्चुअल फेयर ही एकमात्र विकल्प है। पिछले साल डोमोटेक्स, इंडिया कारपेट एक्सपो सहित अन्य मेलों के रद होने के बाद कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) ने वर्चुअल फेयर का सफल आयोजन किया था।
इससे कालीन उद्योग को काफी बल मिला था। आनलाइन आयातक-निर्यातक मीट का उद्योग को काफी फायदा मिला था। ऐसे में एक बार फिर से वर्चुअल फेयर के आयोजन की संभावना जगी है। हालांकि सीईपीसी के वर्तमान बोर्ड का कार्यकाल 17 जून को समाप्त हो रहा है। ऐसे मे परिषद फिलहाल कोई निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है। परिषद के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार ने अगले चुनाव तक कार्यभार संभालने की अनुमति प्रदान की तो वर्चुअल फेयर का आयोजन संभव हो सकता है।
महामारी के दौर में पारंपरिक मेलों का आयोजन संभव नहीं है। पूर्व में आयोजित वर्चुअल फेयर कारगर साबित हुआ था। आनलाइन ही सही उत्पादों के प्रदर्शन का अवसर मिलना चाहिए। आयातक भी इस बात को बखूबी समझते हैं। इस पर विचार करने की जरूरत है।
- प्रशांत मिश्रा, निर्यातक
कोरोना के कारण परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है। इस समय अधिकतर उद्योग धंधे आनलाइन हो रहे हैं। कालीन का व्यवसाय भी आनलाइन प्रगति पा रहा है। ऐसे में वर्चुअल फेयर उद्योग को पुन: जीवनदान दे सकता है। परिषद को इस दिशा में पहल करना चाहिए।
- साहिल खन्ना, निर्यातक
पिछले साल आयोजित वर्चुअल फेयर कालीन उद्योग के लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ था। वर्चुअल फेयर का आयोजन करना बड़ी बात नहीं है लेकिन उनका कार्यकाल 17 जून को समाप्त हो रहा है। ऐसे में वह तभी कोई निर्णय ले सकते हैं जब सरकार से अनुमति मिले। सरकार ने हरी झंडी दे दी तो आयोजन किया जा सकता है।
- सिद्धनाथ सिंह, चेयरमैन (कालीन निर्यात संवर्धन परिषद)