Virtual Carpet Fair : 42 देशों के 86 आयातक देखेंगे पूर्वांचल समेत देश भर में तैयार कालीन को
देश में तैयार होने हो रही कालीन को दुनिया भर तक पहुंचाने की कोशिश सही रास्ते पर है। 21 से 25 अगस्त के बीच इंटरनेशनल वर्चुअल कारपेट फेयर होना है।
भदोही, जेएनएन। देश में तैयार होने हो रही कालीन को दुनिया भर तक पहुंचाने की कोशिश सही रास्ते पर है। 21 से 25 अगस्त के बीच इंटरनेशनल वर्चुअल कारपेट फेयर होना है। इसके लिये पूर्वांचल समेत देश भर के कालीन की डिजाइन और गुणवत्ता को आयातक देखेंगे और भारी-भरकम ऑडर मिलेंगे। कार्यक्रम में शामिल होने के लिये कालीन संवर्धन विकास परिषद (सीईपीसी) ने दुनिया भर के आयातकों को न्योता भेजा है। इसमें शनिवार को 42 देशों के 86 आयातकों ने कार्यक्रम में शामिल होने की सहमति दे दी है। वे कहे हैं कि वह यहां तैयार कालीन ऑनलाइन देखेंगे। कार्यक्रम में करीब 400 आयातकों की संभावना है, संख्या अभी बढ़ेगी। फिलहाल कार्यक्रम की जमीन तैयार की जा रही है। सात कंपनियों से आवेदन मांगे हैं। देश के विभिन्न प्रांतों के करीब 150 निर्यातकों ने पंजीकरण करा लिया है। इससे सीईपीसी उत्साहित है।
पहले ही जारी हो चुका है डेमो
पंजीकरण कराने के लिए परिषद फेयर का डेमो पहले ही जारी कर चुका है। चूंकि महामारी के चलते पारंपरिक कालीन मेलों का आयोजन करना संभव नहीं है। ऐसे में वर्चुअल कारपेट फेयर से कालीन उद्योग की डूबती नैया को बचाने की कोशिश शुरू हुई है। 25 अगस्त के बाद पता चलेगा कि आयातकों-निर्यातकों में कितना उत्साह रहा।
निर्यातकों को दी गई पूरी जानकारी
सीईपीसी के इक्जक्यूटिव डायरेक्टर संजय कुमार की मानें तो भागीदारी के लिए आयातकों की सहमति मिलने लगी है। 500 आयातकों के भाग लेने की संभावना है। देश भर से 200 निर्यातक भी कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। वह पहली बार अपने उत्पादों की ब्रांडडिंग ऑनलाइन प्लेटफार्म पर करेंगे। इसके लिये 150 निर्यातकों ने पंजीकरण भी करा लिया है। यह संख्या 400 हो सकती है। सीईपीसी ने डेमो जारी कर निर्यातकों को लाॅग इन, आईडी, पासवर्ड व शुल्क के बारे में जानकारी दी है।
15 से 20 हजार है शुल्क : वर्चुअल फेयर में भागीदारी के लिए 15 से 20 हजार रुपये शुल्क तय किया गया है। ईडी संजय कुमार ने बताया कि 15 हजार रुपये में पंजीकरण कराने वाली कंपनी के दो लोग आयातकों से बात कर सकते हैं जबकि 20 हजार रुपये में तीन लोगों को बात करने की सुविधा प्रदान की जाएगी। आयातकों-निर्यातकों के बीच व्यवसाय को लेकर जो भी बात होगी वह उन्हीं तक सीमित रहेगी। इसकी व्यवस्था की गई है।