ग्राम पंचायत चुनाव से पूर्व शुरू हुआ गांवों में खून-खराबा, डीजीपी की ओर से जारी आदेश नहीं हो रहा
ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने के करीब है। ऐसे में फिर से चुनावी आहट के बीच गंवई राजनीति गरमाने लगी है। चूंकि गांवों में इन दिनों बड़ी तादाद में प्रवासी भी आ चुके हैं।
आजमगढ़, जेएनएन। ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने के करीब है। ऐसे में फिर से चुनावी आहट के बीच गंवई राजनीति गरमाने लगी है। चूंकि गांवों में इन दिनों बड़ी तादाद में प्रवासी भी आ चुके हैं। इसलिए अबकी ग्राम प्रधानी चुनाव में जबरदस्त हिंसा होने की आशंका के दृष्टिगत डीजीपी ने एक आदेश जारी कर उसे अमल में लाने की हिदायत दी थी, जिससे खून-खराबे को रोका जा सका। पुलिस ने उनके आदेश को अमल में लाने का ङ्क्षढढोरा भी पीटा, लेकिन कागजी तैयारियां हवा में उड़ गईं हैं।
जिले में 24 घंटे के अंदर प्रधान समेत तीन की हत्या 'खून' ने पुलिसिया तैयारियों की पोल खोलकर रख दी है। गुरुवार की देर शाम को देवगांव कोतवाली क्षेत्र के अकबालपुर नाऊपुर गांव में प्रधानी चुनाव की रंजिश को लेकर हीरालाल यादव उर्फ मिठाई व उनके पुत्र तेज यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। दोहरे हत्याकांड में पुलिस को आक्रोश का सामना करना पड़ा था। शुक्रवार की देर शाम तरवां क्षेत्र के बांसगांव में प्रधान सत्यमेव जयते उर्फ पप्पू को हमलावरों ने गोलियों से भून दिया। हत्या के बाद उग्र लोगों ने बवाल काटा और तोडफ़ोड़, पथराव व चौकी में खड़े वाहनों को भी फूंक दिया था। ताबड़तोड़ हो रही हत्या, लूट आदि की घटनाओं में पुलिस का क्राइम कंट्रोल नहीं रह गया। जब भी कोई बड़ी वारदात होती है तो पुलिस के अधिकारी मातहतों पर कार्रवाई करने व ताश के पत्ते की तरह थानेदारों को फेटने तक ही उनकी कार्रवाई सीमित रह जाती है। फिर वहीं ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ होती है। क्राइम कंट्रोल का दावा हवा हवाई ही साबित हो रहा है। हालांकि, कांग्रेसियों ने जिले में थानों की नीलामी का आरोप लगाते हुए एसएसपी पर गंभीर आरोप लगाए थे। इंटेलिजेंस भी उस पर सक्रिय हुई, लेकिन ताबड़तोड़ हत्याओं ने पूरी व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है।