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Tik Tok एप पर बनाया था जनाजे का वीडियो, असली अर्थी उठी तो हर किसी की आंखें हो गई नम

अपना जनाजा निकालते हुए टिकटाक एप पर वीडियो बनाया था लेकिन उसे नहीं पता था कि 26 दिन बाद यानी शनिवार को उसका असली जनाजा निकलेगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 12:19 AM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 08:32 AM (IST)
Tik Tok एप पर बनाया था जनाजे का वीडियो, असली अर्थी उठी तो हर किसी की आंखें हो गई नम
Tik Tok एप पर बनाया था जनाजे का वीडियो, असली अर्थी उठी तो हर किसी की आंखें हो गई नम

वाराणसी [संजय यादव]। रामनगर के वाजिदपुर गांव के सामने गंगा नदी में स्नान करते डूबे पांच किशोरों में सैफ ने बीते तीन मई को अपना जनाजा निकालते हुए टिकटाक एप पर वीडियो बनाया था लेकिन उसे नहीं पता था कि 26 दिन बाद यानी शनिवार को उसका असली जनाजा निकलेगा।

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टिकटॉक वीडियो को याद कर हर किसी की आंखें नम हो गईं। घर व मुहल्ले में मातम छा गया। सैफ टिकटॉक एप पर दोस्तों के साथ मिलकर वीडियो बनाने का शौक था। सैफ के भाई महताब पान की दुकान चलाता था। सैफ अपने भाई की दुकान सुबह खोलता था। वहां से जो पैसा मिलता था। उसमें 20 रुपये बचा कर ईद की खुशियां मनाने के लिए अपने दोस्त फरदीन की मां परवीन के यहां जमा करता था जिन्होंने जमा एक हजार रुपये व कुछ कपड़े वापस किया। कर दिया। वहीं, मृत फरदीन नन्हीं सी उम्र में अब्बू को ढांढस बंधाते हुए कहता था कि बड़ा होता को परिवार का दुख दूर हो जाएगा। बहनों का निकाह भी कराएगा। उसके पिता मुमताज रामनगर किले में राज परिवार की कृष्णा प्रिया के यहां काम करता है। कृष्णा प्रिया ने दुख जताते हुए मदद का भरोसा दिया। वहीं, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व एमएलसी लक्ष्मण आचार्य, विधायक सौरभ श्रीवास्तव, पालिकाध्यक्ष रेखा शर्मा, पूर्व पार्षद जितेंद्र सेठ आदि ने घर पर पहुंच कर शोक व्यक्त किया।

विदित हो, वाजिदपुर गांव के सामने गुरुवार को गंगा में डूबने से पांच किशोरों की मौत हो गई। हादसे की वजह बना सोशल मीडिया प्लेटफार्म टिकटॉक। हादसे की जानकारी मिलते ही एसपी सिटी, एडीएम सिटी समेत कई थानों की फोर्स पहुंच गई। वहीं मृतकों के परिवारजन के चित्कार से माहौल गमगीन हो गया।

घर वालों को नहीं थी भनक, इतनी दूर जाते हैं गंगा में नहाने

 गंगा की गहराई पांच गहरे दोस्तों की मौत का कारण बन गई। फरदीन, मो. सैफ, रेहान, रिजवान तथा तौसिफ सभी लगभग हम उम्र थे। तौफीक और रिजवान तो थे चचेरे भाई लेकिन दोनों दोस्त सरीखे रहते थे। वारीगढही निवासी बुनकर मोहम्मद रईस को दो लड़कियां और एक बेटा रिजवान था। वह पीएन कॉलेज में कक्षा आठवीं कक्षा का छात्र था। रेहान भी अपने परिवार का इकलौता बेटा था। एक बहन है। पिता नियाज सऊदी अरब में काम करते हैं। दादा रियाज की तो आंखें नम हो जा रही थीं। फरदीन भी दो बहन और एक भाई में सबसे छोटा था। उसके पिता मुमताज बुनकर हैं। फरदीन भी कक्षा आठ का छात्र था। पांचों में सबसे ज्यादा उम्र का 19 वर्षीय तौफीक चार भाई व दो बहनों में तीसरे नंबर पर था। पिता मोहम्मद रफीक ऑटो चालक होने के साथ बुनकरी कर परिवार का पालन-पोषण करते हैं। इधर, कुछ माह पूर्व से वह आटो चलाना छोड़ दिए है। वहीं मोहम्मद सैफ छह भाई और तीन बहनों में सबसे छोटा था। बदहवास पिता इब्राहिम को यकीन ही नहीं हो रहा था कि सैफ अब दुनिया में नहीं रहा। ईद के दिन से ही सब नहाने की बात कह कर घर से निकलते थे लेकिन इतनी दूर जाते थे ये किसी को भनक नही थी। सिर्फ रेहान को छोड़ दे तो सभी के घर भी आसपास ही थे। परिजन बस यही कहते रहे कि क्या पता था रोज निकलने वाले आज लौटकर नहीं आएंगे।


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