डायबिटीज पर वार करेगी 'विदारी कंद' औषधि, पैंक्रियाज के कमजोर बीटा सेल को देती शक्ति
आप डायबिटिक हैं तो अब घबराने की जरूरत नहीं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिनल केमिस्ट्री ने इसका हल तलाश लिया है।
By Vandana SinghEdited By: Published: Sun, 26 May 2019 06:48 PM (IST)Updated: Mon, 27 May 2019 02:17 PM (IST)
वाराणसी, [अनुराग सिंह] । आप डायबिटिक हैं तो अब घबराने की जरूरत नहीं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिनल केमिस्ट्री ने इसका हल तलाश लिया है। विदारी कंद औषधि में मौजूद प्यूरेरोन, ट्यूबरोस्टन, रोबिनीन जैसे तत्व डायबिटीज के इलाज में कारगर साबित हुए हैं। प्रस्तुत है शोध पर आधारित अनुराग सिंह की रिपोर्ट...।
डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिनल केमिस्ट्री में प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी के नेतृत्व में शोध छात्रा शिवानी श्रीवास्तव का वर्ष 2018 में इस पर शोध हुआ। शोध में पाया गया कि विदारी कंद (प्यूरेरिया टुबेरोस) एक डायबिटीक विरोधक औषधि है। जो की पैंक्रियाज (अग्नाशय) में कमजोर बीटा सेल के सशक्तीकरण का कार्य करती है। इस उपचार का आधार इंक्रेटिन हार्मोन को इंटेस्टाइन के जरिए ब्लड में बढ़ाना है। ब्लड में आने के बाद ये पैंक्रियाज में मौजूद रिसेप्टर के द्वारा इंसुलिन का लेबल बढ़ा देते हैं। जीएलपी1 व जीआइपी दोनों को निष्क्रिय करने वाला एंजाइम डीपीपी4 ज्यादातर डायबिटीज में बढ़ा मिलता है, लेकिन विदारी कंद इस एंजाइम को भी निष्क्रिय कर देता है।
चूहों पर सफल ट्रायल : शोध छात्रा शिवानी श्रीवास्तव ने बताया कि चूहों को स्ट्रेप्टोजोसिन के द्वारा डायबिटिक बनाया गया फिर उन्हें 60 दिन के लिए सिबियर डायबिटिक बनाने के लिए छोड़ दिया गया। समय-समय पर उनका ग्लूकोज प्रोफाइल भी चेक किया गया। जब पैंक्रियाज काफी हद तक डैमेज पाया गया तब 10 दिनों तक चूहों को विदारी कंद औषधि दिया गया। इसमें पाया गया कि विदारी कंद में कमजोर व क्षतिग्रस्त बीटा सेल को शक्ति प्रदान करने की क्षमता है और मालिकूलर डाकिंग के माध्यम से ये पाया कि प्यूरेरोन, ट्यूबरोस्टन, रोबिनीन में सब विदारी कंद के मुख्य कंपोनेंट है। जो इस उपचार के मुख्य कारक हैं।
प्रकाशित हो चुका है पेपर : ये पेपर बायो मेडिसिन एंड फार मेको थेरेपी में वर्ष 2018 में प्रकाशित हो चुका है। यह फ्रांस का जर्नल है।
शोध करने वाली टीम : शोध टीम में शिवानी श्रीवास्तव, प्रिया सिंह, हर्ष पांडेय व प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी।
कम खर्च में बेहतर उपचार : अभी तक डायबिटीज के मरीजों को इंक्रिटिन हार्मोन बढ़ाने वाली दवाई लेनी पड़ती है। ये इन्क्रेटिन आधारित दवा बाजार में लगभग चार से पांच हजार रुपये में उपलब्ध होती है। इसी तरह विदारी कंद औषधि भी डायबिटीज के इलाज में कारगर साबित होगी। इसकी औषधि अन्य दवाओं की अपेक्षा किफायती होगी।
12 वर्षों से चल रहा था कार्य : इस प्रयोगशाला में पिछले 12 वर्षों से विदारीकंद पर कार्य चल रहा था तथा डीबीटी द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट के द्वारा इसका डायबिटिक नेफ्रोपैथी में बचाव के लिए सफल प्रयोग किया गया। इस समय प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी, प्रो. राजेंद्र प्रसाद व डा. अजय पांडेय के निर्देशन में पीटीवाई2 नामक औषधि का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। बीएचयू प्रशासन इस दवा की टेक्नोलॉजी को किसी दवा निर्माता को देना चाहती हैं ताकि यह बहु उपयोगी दवा जनता तक पहुंच सके।
डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिनल केमिस्ट्री में प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी के नेतृत्व में शोध छात्रा शिवानी श्रीवास्तव का वर्ष 2018 में इस पर शोध हुआ। शोध में पाया गया कि विदारी कंद (प्यूरेरिया टुबेरोस) एक डायबिटीक विरोधक औषधि है। जो की पैंक्रियाज (अग्नाशय) में कमजोर बीटा सेल के सशक्तीकरण का कार्य करती है। इस उपचार का आधार इंक्रेटिन हार्मोन को इंटेस्टाइन के जरिए ब्लड में बढ़ाना है। ब्लड में आने के बाद ये पैंक्रियाज में मौजूद रिसेप्टर के द्वारा इंसुलिन का लेबल बढ़ा देते हैं। जीएलपी1 व जीआइपी दोनों को निष्क्रिय करने वाला एंजाइम डीपीपी4 ज्यादातर डायबिटीज में बढ़ा मिलता है, लेकिन विदारी कंद इस एंजाइम को भी निष्क्रिय कर देता है।
चूहों पर सफल ट्रायल : शोध छात्रा शिवानी श्रीवास्तव ने बताया कि चूहों को स्ट्रेप्टोजोसिन के द्वारा डायबिटिक बनाया गया फिर उन्हें 60 दिन के लिए सिबियर डायबिटिक बनाने के लिए छोड़ दिया गया। समय-समय पर उनका ग्लूकोज प्रोफाइल भी चेक किया गया। जब पैंक्रियाज काफी हद तक डैमेज पाया गया तब 10 दिनों तक चूहों को विदारी कंद औषधि दिया गया। इसमें पाया गया कि विदारी कंद में कमजोर व क्षतिग्रस्त बीटा सेल को शक्ति प्रदान करने की क्षमता है और मालिकूलर डाकिंग के माध्यम से ये पाया कि प्यूरेरोन, ट्यूबरोस्टन, रोबिनीन में सब विदारी कंद के मुख्य कंपोनेंट है। जो इस उपचार के मुख्य कारक हैं।
प्रकाशित हो चुका है पेपर : ये पेपर बायो मेडिसिन एंड फार मेको थेरेपी में वर्ष 2018 में प्रकाशित हो चुका है। यह फ्रांस का जर्नल है।
शोध करने वाली टीम : शोध टीम में शिवानी श्रीवास्तव, प्रिया सिंह, हर्ष पांडेय व प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी।
कम खर्च में बेहतर उपचार : अभी तक डायबिटीज के मरीजों को इंक्रिटिन हार्मोन बढ़ाने वाली दवाई लेनी पड़ती है। ये इन्क्रेटिन आधारित दवा बाजार में लगभग चार से पांच हजार रुपये में उपलब्ध होती है। इसी तरह विदारी कंद औषधि भी डायबिटीज के इलाज में कारगर साबित होगी। इसकी औषधि अन्य दवाओं की अपेक्षा किफायती होगी।
12 वर्षों से चल रहा था कार्य : इस प्रयोगशाला में पिछले 12 वर्षों से विदारीकंद पर कार्य चल रहा था तथा डीबीटी द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट के द्वारा इसका डायबिटिक नेफ्रोपैथी में बचाव के लिए सफल प्रयोग किया गया। इस समय प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी, प्रो. राजेंद्र प्रसाद व डा. अजय पांडेय के निर्देशन में पीटीवाई2 नामक औषधि का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। बीएचयू प्रशासन इस दवा की टेक्नोलॉजी को किसी दवा निर्माता को देना चाहती हैं ताकि यह बहु उपयोगी दवा जनता तक पहुंच सके।
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