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जहां फावड़ा नहीं मार सकते वहां तन गए मकान, नहीं रोकते पुरातत्व विभाग और वीडीएकर्मी

पुरातात्विक धरोहर की बाउंड्री से 100 मीटर के दायरे में जहां फावड़ा नहीं मार सकते वहां दो-दो मंजिला अवैध मकान बनकर तैयार हो गए हैं कई निर्माण जोरों पर जारी है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 31 Mar 2019 08:25 PM (IST)Updated: Mon, 01 Apr 2019 09:05 AM (IST)
जहां फावड़ा नहीं मार सकते वहां तन गए मकान, नहीं रोकते पुरातत्व विभाग और वीडीएकर्मी
जहां फावड़ा नहीं मार सकते वहां तन गए मकान, नहीं रोकते पुरातत्व विभाग और वीडीएकर्मी

वाराणसी, जेएनएन। पुरातात्विक धरोहर की बाउंड्री से 100 मीटर के दायरे में जहां फावड़ा नहीं मार सकते वहां दो-दो मंजिला अवैध मकान बनकर तैयार हो गए हैं, कई निर्माण जोरों पर जारी है। पुरातत्व कर्मी अवैध निर्माण को रोकने की बजाय उसे बनवाने का ठेका तक लेते हैं। वहीं, कागजी कोरम पूरा करने के लिए विकास प्राधिकरण और पुलिस को पत्र भेज देते हैं जिससे बाद में कोई सवाल नहीं उठे। पुरातत्व विभाग 600 से अधिक पत्राचार कर चुका है लेकिन आज तक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

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पुरातत्व के ये हैं नियम : पुरातात्विक अवशेष की बाउंड्री से 100 मीटर के दायरे में कोई निर्माण नहीं हो सकता है। बाउंड्री से 300 मीटर के दायरे में साढ़े सात मीटर ऊंचाई की अनुमति निर्माण के लिए मिलती है। गिने-चुने लोग ही 100 मीटर के बाहर निर्माण करने की अनापत्ति प्रमाणपत्र पुरातत्व विभाग से लेते हैं। यह एनओसी दिल्ली से मिलती है। 

यहां है पुरातात्विक धरोहर : सारनाथ में धम्मेख और चौखंडी स्तूप, तिलमापुर में टीला, राजघाट में लाल खां का मकबरा, राजेंद्रघाट पर मान महल आदि। 

वीडीए नोटिस को बनता है कमाई का जरिया : अपनी गर्दन बचाने के लिए पुरातत्व विभाग विकास प्राधिकरण को रोज दो-चार पत्र अवैध निर्माण का भेजता है। वीडीए कर्मी अवैध निर्माण को रोकने की बजाय उसे कमाई का जरिया मानते हैं। वे नोटिस मिलने पर मौके पर जाते जरूर है लेकिन अवैध निर्माण रोकने की बजाय उसका सौदा करते हैं। 

ध्वस्तीकरण का आदेश, हो रहा निर्माण : पुरातात्विक धरोहर धम्मेख स्तूप के पास 13 अवैध निर्माण को वीडीए ने ध्वस्तीकरण का नोटिस जारी किया है। वीडीए कर्मी उस अवैध निर्माण को रोकने की बजाय अपना हिस्सा लेकर चले आते हैं। अवैध निर्माण में तीन बौद्ध मंदिर भी शामिल है। 


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