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वाराणसी में कोरोना संक्रमण के चलते सीमित अदालतों में न्यायिक कार्य, परिसर में गाइड लाइन तय

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए अदालत में न्यायिक कार्य संपादित किए जाने को लेकर हाईकोर्ट द्वारा जिला न्यायालय को दिशा निर्देश के अनुपालन में मंगलवार से सीमित अदालतों में ही न्यायिक कार्य संपादित किये जा रहे हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 12:38 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 12:38 PM (IST)
वाराणसी में कोरोना संक्रमण के चलते सीमित अदालतों में न्यायिक कार्य, परिसर में गाइड लाइन तय
मंगलवार से सीमित अदालतों में ही न्यायिक कार्य संपादित किये जा रहे हैं।

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए अदालत में न्यायिक कार्य संपादित किए जाने को लेकर हाईकोर्ट द्वारा जिला न्यायालय को दिशा निर्देश के अनुपालन में मंगलवार से सीमित अदालतों में ही न्यायिक कार्य संपादित किये जा रहे हैं। परिसर में भीड़ एकत्रित न हो इसके लिए न्यायालय प्रशासन की ओर से न्यायिक अधिकारियों,अधिवक्ताओं, कर्मचारियों,वादकारियों के लिए कई अहम गाइड लाइन निर्धारित किए गए हैं।

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प्रभारी जिला जज अशोक यादव के अनुसार हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से सीमित न्यायिक कार्य किए जा रहे हैं। जिला जज की अदालत के अलावा विशेष न्यायाधीशों (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, एससी-एसटी,पॉक्सो एक्ट, गैंगस्टर एक्ट, आवश्यक वस्तु अधिनियम, एनडीपीएस एक्ट, यूपीएसईबी), मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सिविल जज (सीनियर डिवीजन), सिविल जज (जूनियर डिवीजन शहर) तथा सिविल जज (जूनियर डिवीजन) न्यायालय में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हो रही है। इन अदालतों में विचाराधीन व नये जमानत प्रार्थना पत्रों,आवश्यक आपराधिक प्रकीर्णवाद, आवश्यक सिविल प्रार्थना पत्रों, विचाराधीन बंदियों से संबंधित न्यायिक कार्य के अलावा अन्य ऐसी प्रकृति के मामले जिन्हें जिला जज आवश्यक या उचित समझे ऐसे मामलों की सुनवाई की गई। अन्य अदालतों में लंबित मामलों में अग्रिम तिथि मुकर्रर की जाएंगी।

जिला न्यायालय में सृजित वेबसाइट (court.varanasi@gmail.com) पर अधिवक्ता जमानत प्रार्थना पत्र,अग्रिम जमानत अर्जी तथा अन्य आवश्यक प्रार्थना पत्रों को दाखिल कर सकते हैं। ऐसे प्रार्थना पत्रों पर अधिवक्ता/वादकारी का विवरण,मोबाइल नंबर व ई-मेल आईडी उल्लेखित करना अनिवार्य होगा। ई-मेल से प्राप्त होने वाले ऐसे प्रार्थना पत्रों को कम्प्यूटर अनुभाग द्वारा डाउनलोड करके सूची तैयार कर उसे संबंधित न्यायालय को प्रेषित की जाएगी। अधिवक्ताओं, वादकारियों द्वारा प्रेषित नवीन मामलों व प्रार्थना पत्रों (सिविल/फौजदारी) को प्राप्त करने के लिए न्यायिक सेवा केन्द्र (केंद्रीयकृत फाइलिंग काउंटर) का प्रयोग किया जाएगा और सीआईएस पर पंजीकृत किया जाएगा।

इस पर भी अधिवक्ता, वादकारी का विवरण,मोबाइल नंबर व ई-मेल उल्लेखित होना चाहिए ताकि किसी भी तरह की त्रुटि होने पर अधिवक्ता को सूचित किया जा सके। अधिवक्ताओं और वादकारियों की सहायता के लिए मोबाइल नंबर 9451231425 एवं 9450151351 हेल्प लाइन के रुप में चिन्हित किए गए हैं जिनका प्रयोग काज लिस्ट में मामलों की लिस्टिंग तथा टाइम स्लाट आदि की जानकारी प्राप्त किया जा सकता है।

परिसर में भीड़ एकत्रित न हो इस बाबत भी अधिवक्ताओं तथा वादकारियों के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। परिसर में वही अधिवक्ता व वादकारी आयें जिनके मुकदमे में सुनवाई होनी है और अपना कार्य संपादित करने के पश्चात् वे परिसर को छोड़ दें। प्रभारी जिला जज ने कोविड-19 के लिए निर्धारित मानकों का पालन सुनिश्चित कराने का निर्देश देते हुए कहा है कि पीठासीन अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके न्यायालय में कम से कम कर्मचारी आयें और किसी भी दशा में उनकी संख्या 50 प्रतिशत से ज्यादा न हो। परिसर की सेनेटाइजेशन,साफ-सफाई,सभी लोगों को मास्क पहने,उनके थर्मल स्कैनिंग परीक्षण को सुनिश्चित कराने का भी निर्देश दिए हैं। कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है कि बिना अनुमति मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे।


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