प्रधानमंत्री से पहले मौके पर पहुंचने के लिए वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ने की बाइक की सवारी
बीएचयू हेलीपैड पर पीएम को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय जाने के लिए हेलीकाप्टर में बैठाने के बाद पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश को रुद्राक्ष तक पहुंचने के लिए बाइक की सवारी करनी पड़ी। उन्हें पीएम से पहले रुद्राक्ष पहुंचना था लिहाजा सीपी ने तत्काल बाइक का सहारा लिया।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। बीएचयू हेलीपैड पर पीएम को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय जाने के लिए हेलीकाप्टर में बैठाने के बाद पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश को रुद्राक्ष तक पहुंचने के लिए बाइक की सवारी करनी पड़ी। उन्हें पीएम से पहले रुद्राक्ष पहुंचना था, लिहाजा सीपी ने तत्काल बाइक का सहारा लिया।
बीएचयू में मौजूद पुलिस कमिश्नर ने पहले पीएम मोदी को बीएचयू से रुद्राक्ष के लिए रवाना किया फिर वहां की व्यवस्था मातहतों को दी। उन्हें लगा कि पीएम मोदी का हेलीकाप्टर संस्कृत यूनिवर्सिटी में पहुंचने और वहां से सिगरा तक सड़क मार्ग से आने से पहले उन्हें रुद्राक्ष पहुंच जाना चाहिए। वीआईपी कार्यक्रम के कारण अगर रास्ता बंद हो तो कार उसमें न फंसे इसलिए उन्होंने बाइक की सवारी का आइडिया निकाला। जब तक पीएम मोदी का हेलीकाप्टर संस्कृत यूनिवर्सिटी पहुंचा तब तक पुलिस कमिश्नर भी बीएचयू से सिगरा के रुद्राक्ष सेंटर बाइक से पहुंच गए। कमिश्नर को बाइक से देखकर मातहत भी एकबारगी चौक भी गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा के मद्देनजर शहर से लेकर बीएचयू आयोजन स्थल तक पांच स्तरीय सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे। स्पेशल आपरेशन ग्रुप (एसपीजी) ने कमान संभाल रखी थी। काफिले में शामिल पीएम की गाड़ी सुरक्षा उपकरणों से लैस थी। साथ ही दो डमी गाडिय़ां भी चल रहीं थीं। इसमें गाड़ी के ऊपर बहुत-से उपकरण फिट थे। ये उपकरण ऐसे हैं जिनसे सड़क के दोनों तरफ 100 मीटर की दूरी पर रखा विस्फोटक डिफ्यूज किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी के सुरक्षा घेरे में पहली लेयर एसपीजी कमांडो की थी। सुरक्षा कवच की दूसरी लेयर निजी सुरक्षा की थी। एसपीजी कमांडो की तरह इन्हेंं आसपास के लोगों के शरीर या इशारों में किसी भी तरह हरकत का आकलन करके संभावित खतरों को समझने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। तीसरे स्तर में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड यानी एनएसजी के कमांडो थे, जिन्हेंं उच्च स्तरीय प्रशिक्षण के बाद पीएम की सुरक्षा में तैनात किए जाता है। चौथी परत अर्धसैनिक बलों व विभिन्न राज्य की पुलिस अफसरों व कर्मियों की थी। अंतिम परत में स्थानीय पुलिस थी। इसके साथ ही आयोजन के दौरान बिना अनुमति के अंदर प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित था। पीएम के काफिले की आवाजाही वाले मार्ग पर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए थे। छतों पर आटोमेटिक हथियारों से लैस जवान थे।
यातायात पर नहीं पड़ा कोई असर
वीवीआइपी की आवाजाही के दौरान यातायात व्यवस्था पर कोई खास असर नहीं पड़ा। यातायात सुचारू रहे इसके लिए पूरी प्लानिंग की गई थी। इसका परिणाम रहा कि कहीं जाम जैसी समस्या पैदा नहीं हुई। लोग भी पहले से पीएम के आगमन को लेकर वाकिफ थे। इसलिए सड़क पर यातायात का दबाव देखने को नहीं मिला।