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Varanasi Panchayat Elections : जनता ने पुराने को नकारा और नए पर जताया भरोसा, 40 में से 10 भी पुराने नहीं जीते

वाराणसी पंचायत चुनाव में इस बार मतदाताओं ने पुराने साथियों को नकार दिया है। मतदाताओं ने नए चेहरे पर भरोसा जताया है। यही कारण है कि पंचायत चुनाव में इस बार 40 में से 10 भी जिला पंचायत सदस्य दोबारा निर्वाचित नहीं हुुए।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 11 May 2021 08:30 AM (IST)Updated: Tue, 11 May 2021 08:30 AM (IST)
Varanasi Panchayat Elections : जनता ने पुराने को नकारा और नए पर जताया भरोसा, 40 में से 10 भी पुराने नहीं जीते
पंचायत चुनाव में इस बार मतदाताओं ने पुराने साथियों को नकार दिया है।

वाराणसी [जेपी पांडेय] । यह पब्लिक है सब जानती है। आप क्षेत्र में क्या में काम करा रहे हैं, क्या नहीं कराएं। आप क्षेत्र में कितना समय देते हैं। अपने क्षेत्र की जनता का कितना ख्याल रखते हैं। फोन जाने पर उपलब्ध रहते या पहुंचते है की नहीं। इसका हिसाब जनता जरूर लेती है लेकिन प्रत्याशियों को तब समझ में आता है जब वह चुनाव हार जाते है। पंचायत चुनाव में इस बार मतदाताओं ने पुराने साथियों को नकार दिया है। मतदाताओं ने नए चेहरे पर भरोसा जताया है। यही कारण है कि पंचायत चुनाव में इस बार 40 में से 10 भी जिला पंचायत सदस्य दोबारा निर्वाचित नहीं हुुए। इतना ही नहीं, कई पठाधीसाें की भी बात जनता नहीं मानी है। ये मठाधीस जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के दौरान सेटिंग कराते हैं। प्रत्याशियों के साथ वे भी सदमे में हैं।

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चुनाव छोटा हो या बड़ा। सभी चुनाव में मतदाता ही प्रत्याशियों को चुनकर दिल्ली से लेकर गांव की सरकार तक भेजते हैं। चुनाव आने के साथ विभिन्न पार्टियों के नेता, प्रत्याशी और उनके समर्थक क्षेत्र में दौड़ने लगते हैं। मतदाताओं से क्षेत्र में विकास के नाम पर वोट मांगते हैं लेकिन जीतने के साथ वह क्षेत्र में दिखाई नहीं पड़ते हैं। मतदाताओं के पूछने पर वे स्पष्ट जवाब तक नहीं देते हैं। वे कुर्सी की धौंस जमाते हैं, कुछ लोग डर के मारे विरोध नहीं कर पाते हैं लेकिन समय का इंतजार करते हैं। वह समय हाेता है चुनाव का। चुनाव में वोट मांगने के दौरान मतदाता उनसे दूरी बना लेते हैं और उन्हें हराकर नए चेहरे के सामने लाते हैं जिससे क्षेत्र का विकास हो सके।

इस बार भी जनता ने ऐसा ही किया है। पुराने चेहरे में सिर्फ सेवापुरी ब्लाक के कांंग्रेस के हर्षवर्धन सिंह की पत्नी स्वाति सिंह, इससे पहले हर्षवर्धन सिंह जिला पंचायत सदस्य थे। इसी ब्लाक में डा. सुजीत सिंह भी दोबारा जीते हैं। पिंडरा ब्लाक से गौतम सिंह जीते हैं, इससे पहले उनकी पत्नी ज्योति सिंह जिला पंचायत सदस्य थीं। काशी विद्यापीठ ब्लाक के सेक्टर नंबर तीन से पूनम मौर्या इस बार जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं हैं। इससे पहले उनके पति कुंवर वीरेंद्र जिला पंचायत सदस्य रहे। वहीं, हरहुआ ब्लाक के सेक्टर नंबर एक और तीन से दो बार अमित सोनकर जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। इस बार सेक्टर चार से चुनाव लड़े थे और बसपा के प्रत्याशी सुभाष जैसल ने उन्हें हरा दिया।

बड़ागांव ब्लाक के सेक्टर नंबर चार से पिछली बार अनिता यादव जिला पंचायत सदस्य रहीं और इस बार भी मैदान में थी लेकिन हार का सामना करना पड़ा। सेवापुरी ब्लाक के सेक्टर नंबर चार से जिला पंचायत सदस्य रहे आशीष सिंह इस बार महिला सीट होने पर अपनी पत्नी पूजा सिंह को चुनाव लड़ाया था और चुनाव हार गई। काशी विद्यापीठ ब्लाक के सेक्टर नंबर सात से जिला पंचायत सदस्य रहीं इसरत जहां इकबाल फरूकी सेक्टर नंबर एक से चुनाव लड़ी थी और हार गई। इसी ब्लाक के सेक्टर नंबर चार से जिला पंचायत सदस्य रहे राजेश यादव सेक्टर तीन से पत्नी उषा यादव को चुनाव लड़ाए थे और हार गई।


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