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वाराणसी में वोकल फार लोकल का चढ़ा रंग, खादी उत्पादों को लोगों के बीच बेहतर मिला मंच

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर वोकल फार लोकल को काशी के लोग अब तरजीह दे रहे हैं। इसका असर खादी मेले में स्पष्ट दिखाई दे रहा है। इस बार खादी मेले में बहुत से स्टाल पहली बार लगे हैं।

By saurabh chakravartiEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 12:14 PM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 12:14 PM (IST)
वाराणसी में वोकल फार लोकल का चढ़ा रंग, खादी उत्पादों को लोगों के बीच बेहतर मिला मंच
खादी मेले में आयुर्वेद के उत्पाद की खरीदारी करती युवतियां।

वाराणसी [सौरभ पांडेय]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर वोकल फार लोकल को काशी के लोग अब तरजीह दे रहे हैं। इसका असर खादी मेले में स्पष्ट दिखाई दे रहा है। इस बार खादी मेले में बहुत से स्टाल पहली बार लगे हैं। हर वर्ष तो शाल, स्वेटर, सदरी और खादी के कपड़े पहनने वाले लोग तो खरीदारी करते ही रहे हैं, लेकिन इस बार युवा पीढ़ी का स्वदेशी उत्पादों पर सबसे ज्यादा रुझान देखने को मिल रहा है। खासतौर पर महिलाओं की तादाद ज्यादा है। उनकी पहली पसंद आर्टिफिशियल ज्वैलरी एवं ब्यूटी उत्पाद हैं।

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दस दिन में बिक गया पांच लाख का च्यवनप्राश

खादी मेले में बीते दस दिन में पांच लाख रुपये के च्यवनप्राश की बिक्री हुई है। इसके साथ ही आंवले का मुरब्बा व अन्य इम्यूनिटी बूस्टर उत्पादों की भी खूब मांग हो रही है। दरअसल कोरोना के कारण सभी लोग स्वास्थ्य के प्रति गंभीर हैं। इसका असर मेले में हो रही खरीदारी में दिख रहा है। मेले में पहुंच रहे लोगों के कदम आयुर्वेद के स्टाल देखते ही ठिठक जा रहे हैं। उसके बाद शुरू हो रही है, इम्यूनिटी बूस्टर उत्पादों की पूछताछ और खरीदारी।

राजस्थानी चोकर महिलाओं की पहली पसंद

खादी मेले में पहली बार आर्टिफिशियल ज्वैलरी को मंच मिला तो खरीदारों का रुझान भी बढ़ा। मेले में महिलाओं की पहली पसंद राजस्थानी चोकर (एनामिलवर्क किया हुआ हार) है। इसकी कीमत करीब 550 रुपये है। इसके अलावा लौंग सेट, रानी हार, झुमका, मीना की झुमकी की भी खूब मांग है। स्टाल संचालक राजेंद्र शर्मा ने बताया कि पहली बार हमारे उत्पाद को मंच मिला है। दस दिन में लगभग दो लाख का कारोबार हुआ है। अभी पांच दिन शेष है, उम्मीद है इतने की बिक्री और हो जाएगी।

स्वदेशी ब्यूटी उत्पादों से चमक रहा कारोबार

मेले में प्रतापगढ़ से आकर स्टाल लगाए बृजेश मिश्रा ने बताया कि साबून, शैंपू तो हर बार बिक रहे थे, लेकिन इस बार ग्राहकों का मूड बदल गया है। अब वे इससे हटकर विटामिन ई के तेल, प्याज के तेल, फेशियल, बाडी लोशन, फेसवाश, बाडी जेल, एसेंस आयल, उबटन, स्क्रब, फेस क्रीम, फेस टोनर, मेकअप फिक्सर आदि खरीद रहे हैं। खरीदारी देख लगता है कि लोगों का रुझान अब स्वदेशी की ओर बढ़ रहा है।

पहली बार लगा किताबों का स्टाल, पहुंच रहे साहित्य प्रेमी

खादी मेले में पहली बार किताबों के भी स्टाल लगाए गए हैं। स्टाल संचालक बलिया निवासी अजीत कुमार पांडेय कहते हैं कि पहली बार खादी मेले में किताब बेचने की अनुमति मिली है। उनका मानना है कि अन्य मेलों में इतनी किताबें नहीं बिकी होंगी जितनी की खादी मेले में बिक गईं। साहित्यप्रेमियों की जुटान सुबह से लेकर देर शाम तक हो रही है। अभी तक डेढ़ लाख पुस्तकों की बिक्री कर चुके हैं।

सही मायने में कहें तो अब जाकर खादी को वैश्विक मंच मिला

सही मायने में कहें तो अब जाकर खादी को वैश्विक मंच मिला है। पूर्व के वर्षों तक युवा पीढ़ी इस मेले से दूर रहती थी। मेले से युवाओं को जोडऩे के लिए उनके मतलब की चीजों को स्थान दिया गया है जिससे इस बार खादी मेले का ट्रेंड बढ़ा है।

-डीएस भाटी, निदेशक खादी ग्रामोद्योग।


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