Move to Jagran APP

Export अब दुबई में भी धूम मचाएगा बनारसी लंगड़ा आम, पहली खेप दुबई रवाना

Varanasi का लंगड़ा और दशहरी आम आज यानी गुरुवार को अपराहन 300 बजे दुबई के लिए निर्यात किया जाएगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 11:46 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 12:26 AM (IST)
Export अब दुबई में भी धूम मचाएगा बनारसी लंगड़ा आम, पहली खेप दुबई रवाना
Export अब दुबई में भी धूम मचाएगा बनारसी लंगड़ा आम, पहली खेप दुबई रवाना

वाराणसी, जेएनएन।  बनारस के लंगड़े आम की बात आते ही मुंह में पानी आ जाता है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस के आम की मिठास अब विदेश में भी धूम मचाएगा। मिर्जामुराद क्षेत्र के भिखारीपुर गांव में रेलवे लाइन के किनारे स्थित बगीचा से गुरुवार की शाम पहली बार बनारस का लंगडा आम का खेप दुबई के लिए भेजा गया। कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने निर्यात हेतु बनारस से वातानुकूलित मालवाहन पर लदे आम के खेप को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। बगीचे में पहुंचे कमिश्नर ने लंगडा आम को हाथ में लेकर देखने के साथ ही बाग मालिक संग बैठकर बातचीत भी की।बनारस का आम विदेश जाना एक अच्छी पहल है। यह भविष्य में कितना कारगर साबित होगा अब आने वाला समय बताएगा।

loksabha election banner

मिर्जामुराद के भिखारीपुर गांव निवासी काश्तकार व प्रगतिशील किसान शार्दूल विक्रम चौधरी उर्फ शीलू सिंह का घर से कुछ दूर रेलवे लाइन के किनारे 52 बीघहवा नाम से प्रसिद्ध आम का पुश्तैनी बगीचा है। इस समय बगीचे में 525 आम के पेड़ है। उन्होंने बताया कि विदेश में दशहरी आम का तो डिमांड है,पर बनारसी लंगडा आम का डिमांड बनाने के लिए पहली बार बनारस से लंगडा आम पीएम के आदर्श गांव जयापुर की जया सीड्स प्रोडूसर कंपनी द्वारा भेज रहा हूं। बगीचा में सुबह से ही करीब 25 आदमी आम तोड़ने में लगे रहे।प्रशिक्षण देकर आम तोड़वाया।दो वातानुकूलित पिकअप मालवाहन पर तीन टन लंगडा व दशहरी आम लदवाकर अपने निजी खर्च के जरिए सड़क मार्ग से लखनऊ भेज रहा हूं। लखनऊ के पैक हाउस में आम की ग्रेडिंग व पैकेजिंग के बाद इसे निर्यातक (एक्सपोर्टर) अपने खर्च से हवाई मार्ग से दिल्ली फिर दुबई ले जाएगा। मार्केट रेट वही तय होगा।शीलू सिंह का मानना है कि थोड़ा सा प्रयास किया गया है, अगर सफल रहा तो विदेशों में भी बनारस के लंगडा आम की डिमांड बढ़ेंगी और भविष्य का रास्ता खुलेगा। कमिश्नर दीपक अग्रवाल संग एपीडा के डा.सीबी सिंह, जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्ता समेत अन्य रहे।

लंगड़ा आम का नाम लंगड़ा कैसे पड़ा

बनारस का लंगड़ा आम पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध हैं। करीब 250 से 300 साल पुरानी बात है जब एक व्यक्ति ने आम खाकर उसका बीज घर के आंगन में लगा लिया। पेड़ के आम जब मीठे व गूदे से भरे आने लगे तो लोगों को भाने लगा। उस पेड़ को लगाने वाला व्यक्ति लंगड़ा कर चलता था इसलिए गांव के लोग उसे लंगड़ा कहते थे। इस वजह से धीरे-धीरे आम की उस किस्म का नाम लंगड़ा ही पड़ गया। हालांकि इस आम की किस्म देश भर में मिलती है लेकिन बनारस के लंगड़़े आम की बात ही कुछ और है। देश में 1500 किस्म के आम मिलते हैं, लेकिन इन सबमें लंगड़े आम का कोई तोड़ नहीं। मई से अगस्त के बीच आने वाले इस आम का रंग हरा या हल्का पीला होता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.