बनारस जानता है खिचड़ी का महत्व, सुबह-शाम यहां के अन्नक्षेत्रों में वितरित होता है खिचड़ी का प्रसाद
Makar Sankranti 2022 यहां के मठ-मंदिरों और धर्मशालाओं पर खिचड़ी का वितरण कहीं रोज तो कहीं खास दिनों पर किया जाता है। आइए जानते हैं ऐसी ही मंदिरों व अन्य स्थानों को जहां सिर्फ मकर संक्रांति पर और आम दिनों में भी खिचड़ी का वितरण किया जाता है।
वाराणसी [देवेंद्र सिंह]। देशभर में मनाए जाने वाले मकर संक्रांति पर्व पर सिर्फ स्नान-दान और पतंगबाजी ही नहीं होती बल्कि तरह-तरह की स्वादिष्ट चीजें भी खाने को मिलती हैं। इनमें तिल के लड्डू, दही-चूड़ा, गुड, खिचड़ी आदि शामिल हैं। चावल और दाल को मिलाकर बनने वाली खिचड़ी सबसे खास होती है। मकर संक्रांति पर लगभग सभी घरों में खिचड़ी जरूर बनती है। यह स्वादिष्ट होने के साथ ही बहुत पौष्टिक भी होती है। बनारस इसके फायदे बेहतर जानता है तभी तो यहां के मठ-मंदिरों और धर्मशालाओं पर खिचड़ी का वितरण कहीं रोज तो कहीं खास दिनों पर किया जाता है। आइए जानते हैं ऐसी ही मंदिरों व अन्य स्थानों को जहां सिर्फ मकर संक्रांति पर और आम दिनों में भी खिचड़ी का वितरण किया जाता है।
गौरी-केदारेश्वर मंदिर में खिचड़ी प्रसाद लेने आते हैं भक्त : वाराणसी में हर मंदिर की अपनी कथा है। सोनारपुरा स्थित गौरी-केदारेश्वर मंदिर में स्थित शिवलिंग के बारे में भी कहा जाता है कि इनका निर्माण खिचड़ी से हुआ है। पुराणों में वर्णित कथा है कि ऋषि मान्धाता वाराणसी में गंगा तट पर कुटिया बनाकर शिव आराधना करते थे. खिचड़ी बनाकर हिमालय पर जाकर भगवान को भोग लगाते थे फिर पत्तल पर दो हिस्से में बांटकर स्वंय ग्रहण करते थे। अस्वस्थ होने पर भगवान से आकर भोग लगाने की प्रार्थना किया। भगवान शंकर वहां आए खिचड़ी का भोग लगाया और ऋषि की विनती पर अपने एक स्वरूप के वहां स्थापित होने का आशीर्वाद दिया। मकर संक्रांति पर बाबा का वार्षिक शृंगार होता है जिसमें कई क्विंटल खिचड़ी बनाकर भक्तों मं बांटी जाती है। प्रसाद पाने के लिए हजारों भक्त मंदिर पहुंचते हैं।
बाबा विश्वनाथ लगाते हैं खिचड़ी का भोग : बाबा विश्वनाथ की नगरी में तीज-त्योहार पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसमें बाबा को भी कहीं न कहीं से जोड़ लिया जाता है। मकर संक्रांति पर श्रद्धालु गंगा स्नान-दान के साथ ही बाबा विश्वनाथ का दर्शन करते हैं। उन्हें खास तौर पर बनायी गयी खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। इस बार भी मकर संक्रांति पर बाबा को खिचड़ी का भोग लगाया गया है। हालांकि हर बार की तरह भक्तों की भीड़ नहीं होगी कोरोना के तेज प्रसार को देखते हुए केवल परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है।
मारवाड़ी सेवा संघ की खिचड़ी से भरता है भूखों का पेट : काशी में मौजूद कई अन्न क्षेत्रों में अस्सी स्थित मारवाड़ी सेवा संघ की ओर से चलाए जाना वाला अन्न क्षेत्र खास महत्व रखता है। दशकों से हर रोज सैकड़ों जरूरतमंदों का पेट यहां मिलने वाले भोजन से भरता है। यहां ज्यादातर खिचड़ी का वितरण किया जाता है। बीच-बीच में किसी दानदाता की इच्छा पर अन्य भोजन भी प्रदान किया जाता है। अन्न क्षेत्र में शाम को मिलने वाले भोजन को पाने वालों की भीड़ लगी रहती है।
खिचड़ी बाबा में हर रोज बनती और बांटी जाती है खिचड़ी : खिचड़ी बाबा का मंदिर दशाश्वमेध मार्ग पर स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर प्रवेशद्वार के सामने है। यहां हर रोज सुबह भक्तों को खिचड़ी बांटी जाती है। सैकड़ों लोग यहां आकर प्रसाद के रूप में खिचड़ी ग्रहण करते हैं। यह अन्नक्षेत्र भी दशकों से चल रहा है। इसकी व्यवस्था भी पूरी तरह से दानदाताओं पर निर्भर होती है और उनकी कतार इतनी लम्बी है कि बिना किसी बाधा के खिचड़ी वितरण निरंतर चलता है। मंदिर के सामने ही चबूतरे पर बड़े-बड़े कड़ाहे में खिचड़ी बनती है और लोगों में वितरित की जाती है।
कई जगहों पर होता है वितरण : अन्नक्षेत्रों के अलावा बनारस कई जगहों पर खिचड़ी का वितरण किया जाता है। दशाश्वमेध स्थित गंगा मंदिर में आरती के बाद प्रसाद के रूप में भक्तों के बीच खिचड़ी का वितरण किया जाता है। गंगा आरती के दौरान बड़े कड़ाहे में खिचड़ी बनती है और भक्तों के बीच बांटी जाती है। सालों से चली आ रही यह परंपरा कोरोना काल में प्रभावित हुई है। अस्सी घाट पर हर शनिवार की सुबह स्थानीय लोग स्नानाथिर्यों को खिचड़ी बांटते हैं। इसके अलावा तीज-त्योहरों पर जगह-जगह खिचड़ी का वितरण होता है।
खिचड़ी में कार्बोहाइड्रेट्स और विटामिन्स भी : खिचड़ी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है। चिकित्सकों की मानें तो दाल और चावल मिलाकर बनायी जाने वाली खिचड़ी में कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन्स, मिनरल्स, वाटर, फाइबर्स जैसे कई हेल्दी न्यूट्रिएंट्स होते हैं। इसे खाने से इनडाइजेशन से बचाव होता है, वजह कम करने में लाभदायक होती है। खिचड़ी डायबिटीज से बचाव में मदद करती है। खिचड़ी वात, पित्त और कफ से बचाव में हेल्पफुल है। भारत के अलावा मध्य पूर्व के देशों, कई अफ्रीकन देश, मोरक्को, इजिप्ट जैसे देशों में खिचड़ी काफी पसंद की जाती है।
यह भी पढ़ें : 900 वर्ष में एक पखवारे आगे बढ़ गई मकर संक्रांति की तिथि, 5000 साल बाद फरवरी में मनेगी मकर संक्रांति
यह भी पढ़ें : मकर संक्रांति 2022 : दिमाग से बाहर खिचड़ी पकाने का अपना ही फायदा, सेहत भी रहेगी दुरुस्त