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राहुल गांधी के बयान पर वाराणसी के बुद्धिजीवियों ने कहा, मतभेद बढ़ाना उचित नहीं

कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा तिरुवनंतपुरम में गत दिनों एक सार्वजनिक सभा में उत्तर भारत की राजनीति को लेकर की गई तल्ख टिप्पणी ने काशी के बौद्धिक समुदाय में गुस्सा भर दिया है। यह भाषा भारतीय राजनीति देश और समाज के लिए शुभ नहीं है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 06:50 AM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 11:47 AM (IST)
राहुल गांधी के बयान पर वाराणसी के बुद्धिजीवियों ने कहा, मतभेद बढ़ाना उचित नहीं
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के तल्ख टिप्पणी ने काशी के बौद्धिक समुदाय में गुस्सा भर दिया है।

वाराणसी , जेएनएन। कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा तिरुवनंतपुरम में गत दिनों एक सार्वजनिक सभा में उत्तर भारत की राजनीति को लेकर की गई तल्ख टिप्पणी ने काशी के बौद्धिक समुदाय में गुस्सा भर दिया है। राहुल ने इस बयान में कहा है 'पहले 15 वर्षों के लिए मैं उत्तर में एक सांसद था। मुझे एक अलग प्रकार की राजनीति की आदत हो गई थी लेकिन केरल आना मेरे लिए ताजगी भरा रहा, क्योंकि यहां के लोग मुद्दों की राजनीति करते हैं और सिर्फ सतही नहीं बल्कि मुद्दों की तह तक जाते हैं। लोगों ने इसकी  तीखी निंदा की है।

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पद्मश्री सरोज चूड़ामणि गोपाल उक्त बयान पर कहती हैं कि राहुल गांधी मुंहदेखी बात कर रहे हैं। संविधान यह अधिकार देता है कि आप भारत में कहीं से चुनाव लड़ें, मगर यह कौन-सी राजनीति है कि देश के एक हिस्से की बुराई करके आप दूसरे हिस्से को खुश करें। उनकी दादी इंदिरा गांधी ने भी दक्षिण भारत से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्होंने कभी इस तरह की भाषा का प्रयोग नहीं किया। यह भाषा भारतीय राजनीति, देश और समाज के लिए शुभ नहीं है।

भारत कला भवन के सेवानिवृत्त सहायक संग्रहालयाध्यक्ष डा. आरपी सिंह ने कहा कि राहुल गांधी पहले भी अपने बेतुके अतार्किक बयानों से यह साबित कर चुके हैं कि उनका कोई राजनीतिक बौद्धिक स्तर नहीं है। तभी तो उनके नेतृत्व में कांग्रेस पिछड़कर कहां से कहां चली गई्र है। जिस उत्तर भारत ने उनके परिवार की चार पीढिय़ों को राजनीतिक पहचान दी, एक ही चुनाव हारने के बाद उन्हें उसमें खामी नजर आने लगी। प्रो. सिंह ने कहा- 'यह आदमी पॉलिटिकल है ही नहीं। जिस तरह इन लोगों ने लोकतंत्र के लिए जरूरी एक सशक्त विपक्ष को खत्म कर दिया, इस तरह के बयानों से अब ये देश की एकता के पीछे पड़ गए हैं।

पद्मश्री महामहोपाध्याय भगीरथ प्रसाद त्रिपाठी 'वागीश शास्त्री कहते है कि उन्होंने राहुल गांधी के बयान को अभी सुना नहीं है, परंतु जो समाचार पत्रों में आया है, वह चिंताजनक है। किसी भी संसद सदस्य को देश की बजाय क्षेत्र को मुद्दा बनाना गलत है। भारत राष्ट्र सभी क्षेत्र, धर्म, भाषा और संस्कृति का समावेश करता है। इसमें किसी को निम्न या उच्च बताना ओछी मानसिकता है। यह दो क्षेत्रों के लोगों में मतभेद पैदा करने वाला बयान है।

वैदिक विद्वान चंद्रशेखर द्राविड़ घनपाठी ने कहा कि भारत सद्भाव व समभाव के लिए जाना जाता है। बड़े दल के बड़े नेता का इस तरह का बयान किसी स्तर पर उचित नहीं कहा जा सकता। यह पूरी तरह गैर जिम्मेदाराना है। उत्तर हो या दक्षिण, भारत एक है और एक ही रहेगा।


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