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वाराणसी जिला पंचायत अध्यक्ष : समाजवादी पार्टी प्रत्याशी का पर्चा खारिज होने के कारण एहतियातन मुख्यालय पर डटी रही फोर्स

जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करने वाली समाजवादी पार्टी समर्थित प्रत्याशी चंदा यादव का पर्चा खारिज होने के कारण बवाल की आशंका को देखते जिला मुख्यालय पर दूसरे दिन रविवार को भी भारी मात्रा में पुलिस फोर्स डटी रही।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 28 Jun 2021 09:10 AM (IST)Updated: Mon, 28 Jun 2021 12:03 PM (IST)
वाराणसी जिला पंचायत अध्यक्ष : समाजवादी पार्टी प्रत्याशी का पर्चा खारिज होने के कारण एहतियातन मुख्यालय पर डटी रही फोर्स
जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करने वाली समाजवादी पार्टी का पर्चा खारिज होने के कारण बवाल की आशंका।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करने वाली समाजवादी पार्टी समर्थित प्रत्याशी चंदा यादव का पर्चा खारिज होने के कारण बवाल की आशंका को देखते जिला मुख्यालय पर दूसरे दिन रविवार को भी भारी मात्रा में पुलिस फोर्स डटी रही। आशंका जाहिर की जा रही थी कि सपा समर्थक धरना प्रदर्शन कर सकते हैं लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। पुलिस फोर्स ने देर शाम राहत की सांस ली। हालांकि सोमवार को कार्यालय खुलने के बाद सतर्कता बरतने के निर्देश जारी किए गए हैं।

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दूसरी तरफ, जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए एक मात्र प्रत्याशी के तौर पर भाजपा समर्थित पूनम मौर्या के मैदान में होने के कारण जीत तय है। सिर्फ औपचारिक घोषणा होनी शेष है। नामांकन पत्रों की वापसी की तिथि 29 जून निर्धारित है। तय तिथि को सुबह 11 बजे से दोपहर तीन बजे तक नामांकन वापसी निर्धारित है। इस अवधि के बाद यानी दोपहर तीन बजे के बाद भाजपा प्रत्याशी को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया जाएगा। साथ ही जीत का सर्टिफिकेट भी आरओ की ओर से दिया जाएगा। इस चुनाव के लिए तीन जुलाई को वोटिंग व मतगणना निर्धारित रहा लेकिन निर्विरोध होने के कारण इसकी नौबत नहीं आई।

सत्ता और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग : कांग्रेस नेता पूर्व विधायक अजय राय ने कहा कि शासन-प्रशासन, सत्ता और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके भाजपा ने बनारस सहित कई अन्य जिलों में अलोकतांत्रिक तरीके से जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमाया है। हर लड़ाई में संघर्ष मायने रखता है। राजनीति में अपने वजूद के लिए संघर्ष करते रहना चाहिए। सपा ने बनारस में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के बजाए अपने हाथ खड़े कर दिए। वहीं कांग्रेस ने भाजपा को शिकस्त देने के लिए बिना शर्त सपा को अपने पांच निर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों का समर्थन दिया था फिर भी समाजवादी पार्टी मैदान छोड़कर हट गई। समाजवादी पार्टी को जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में संघर्ष करना चाहिए था। भाजपा सरकार की दमनकारी नीतियों को उजागर करना चाहिए था। भाजपा नेतृत्व को सत्ता का गुरूर है। विपक्ष के प्रति द्वेषभाव है। अहंकार उनके सिर चढ़कर बोल रहा है।


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