वैशाख पूर्णिमा 26 मई बुधवार को, सत्यनारायण भगवान की पूजा अर्चना का इस दिन विशेष महत्व
वैशाख पूर्णिमा 26 मई बुधवार को भारतीय संस्कृति सनातन धर्म में वैशाखी पूर्णिमा का पर्व वैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाने की परंपरा रही है। ज्योतिष आचार्य विमल जैन ने बताया कि इस बार बैसाखी बुद्ध पूर्णिमा 26 मई बुधवार को मनाया जाएगा।
वाराणसी, जेएनएन। वैशाख पूर्णिमा 26 मई बुधवार को भारतीय संस्कृति सनातन धर्म में वैशाखी पूर्णिमा का पर्व वैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाने की परंपरा रही है। ज्योतिष आचार्य विमल जैन ने बताया कि इस बार बैसाखी बुद्ध पूर्णिमा 26 मई बुधवार को मनाया जाएगा। वैशाखी पूर्णिमा को सिद्धिविनायक पूर्णिमा एवं सत्य विनायक पूर्णिमा भी कहते हैं वैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 25 मई मंगलवार की रात्रि 8:30 पर लगेगी जो कि अगले दिन 26 मई बुधवार को दिन में 4:44 तक रहेगी स्नान दान की पूर्णिमा भी इसी दिन मनाई जाएगी।
ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि व्रत करता को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में समस्त दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर अपने आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना के बाद श्री धर्मराज जी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। धर्मराज की मूर्ति स्थापित कर उनका श्रंगार करने के उपरांत पूर्ण श्रद्धा भक्ति भाव व आस्था के साथ ऋतु फल में विभिन्न प्रकार के मिष्ठान आदि अर्पित करके धूप दीप के साथ पूजा-अर्चना करनी चाहिए। धर्मराज की प्रसन्नता के लिए जल से भरा हुआ नवीन कलश विभिन्न प्रकार के पकवान व मिष्ठान ब्राह्मण को दान स्वरूप देना चाहिए। समस्त पापों के शमन व अच्छाई के लिए पांच या सात ब्राह्मण को चीनी सहित तिल दान किया जाता है। श्री धर्मराज की पूजा अर्चना करने से अकाल मृत्यु के भय का निवारण तथा सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है। वैशाख पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करके दान पुण्य किया जाएगा। 27 अप्रैल मंगलवार से प्रारंभ वैशाख मास के धार्मिक अनुष्ठान नियम संयम का समापन 26 मई बुधवार को हो जाएगा।
श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा अर्चना का इस दिन विशेष महत्व है। भगवान श्री हरि विष्णु के विग्रह के समक्ष तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए। सत्य विनायक व्रत की बैसाखी पूर्णिमा को रखा जाता है मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने वैशाख पूर्णिमा का महत्व अपने परम मित्र सुदामा को उस समय बताया था जब वे द्वारिका पहुंचे थे। श्री कृष्ण के बताने के अनुसार सुदामा जी ने व्रत किया उनके इससे उनकी दरिद्रता और दुख दूर हो गए। इससे वैशाख पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है। वैशाख पूर्णिमा पर भगवान विष्णु का तीसरा अवतार भगवान बुध के रूप में हुआ था वैशाख पूर्णिमा को ही परिनिर्वाण दिवस भी मनाया जाता है। बौद्ध धर्मावलंबी अपने मरता परंपरा के अनुसार आज के दिन बौद्ध विहार में विविध धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन भी करते हैं।