Move to Jagran APP

Vaccination Drive In India: तीसरी लहर को सुस्त करने के लिए हमारे पास है वैक्सीन का ब्रह्मास्त्र

तीसरी लहर को सुस्त करने के लिए हमारे पास वैक्सीन का ब्रह्मास्त्र है। अगर छह महीने में 50 फीसद जनसंख्या को यह प्राणरक्षक टीका लग जाए तो हम आने वाली कोरोना की हर लहर का रुख मोड़ सकते हैं और जिंदगियां बचा सकते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 03:04 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 03:05 PM (IST)
Vaccination Drive In India: तीसरी लहर को सुस्त करने के लिए हमारे पास है वैक्सीन का ब्रह्मास्त्र
जब देश पूरा सुरक्षित हो जाएगा तभी हमें ढील देनी चाहिए।

प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे। पहली लहर में तो किसी को ठीक से मालूम ही नहीं था कि दूसरी लहर भी आ सकती है। हमने बेफिक्र होकर कोरोना को चुनौती दी। मान लिया कि कोरोना को मात दे दी है। आज शायद ही कोई परिवार होगा जहां कोई संक्रमित नहीं है या किसी नाते-रिश्तेदार या दोस्त को गंवाया नहीं है। रोज पुराने रिकार्ड ध्वस्त हो रहे हैं। अब कुछ राज्यों में संक्रमण के प्रसार की दर धीमी होनी शुरू हो गई है तो सुनिश्चित करना होगा कि नए हॉटस्पॉट न बनने पाए और वायरस की चेन टूटे।

loksabha election banner

देश में कोरोना का प्रसार कम हो रहा है, इसे हम बेसिक रिप्रोडक्टिव नंबर या आरओ मानक से भी समझ सकते हैं। किसी भी महामारी में एक समय पर आरओ मानक किसी संक्रमित व्यक्ति द्वारा फैलाए गए औसत संक्रमण को दिखाता है। अंतत: जो आरओ पिछले माह अप्रैल के तीसरे सप्ताह तक 1.31 था, वह अब 1.16 हो गया है। यानी 100 व्यक्ति 131 लोगों को संक्रमित करते थे, तीन सप्ताह बाद 116 लोगों को वायरस दे रहे हैं। पूरे देश में जब तक यह मानक एक से कम न हो जाए, कहना जल्दबाजी होगी की दूसरी लहर घटने लगी है।

कोरोना की इस सुनामीनुमा लहर की व्यापकता विश्व के किसी भी विकसित देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर सकती थी। जाहिर है इसका असर भारत जैसे विकासशील देश पर काफी बुरे तरीके से पड़ा है। प्रतिदिन संक्रमण की संख्या चार लाख तक पहुंच गई, मरने वालों की संख्या भी उसी अनुपात में बढ़ रही है। मृत्युदर पिछली लहर से भले कम हो, हमने काफी लोगों को खो दिया है। यह जरूर है कि हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स को समय रहते टीका लगाना काम आया और वे महामारी से मजबूती से लोहा ले रहे हैं।

दूसरी लहर ने इतने गहरे जख्म दिए हैं कि हमें अभी से तीसरी लहर का खौफ सताने लगा है। यही डर और सीख पहली लहर से मिल गई होती तो दूसरी लहर से हम दूर होते। अत: इस बार हमें ठान लेना है कि दूसरी लहर के जाने के बाद भी हम कोविड प्रोटोकॉल का पालन करेंगे और लोग तीसरी लहर को अपने दम पर रोक कर दिखाएंगे। अभी यह कहना मुश्किल है कि तीसरी लहर कब तक आएगी। बहरहाल, इसके प्रभाव को कम से कम करने के लिए हमारे पास वैक्सीन का ब्रह्मास्त्र है। अगर अगले छह महीने में कम से कम 50 फीसद भारतीयों को टीका लगा दिया जाए तो ज्यादा संभावना है कि हम कोरोना की हर लहर को मोड़ सकते हैं। तब ज्यादातर लोगों में वैक्सीन से अर्जित इम्युनिटी होगी, जो प्राकृतिक संक्रमण से मिली इम्युनिटी से कहीं बेहतर है।

आज कई जगहों पर सुनने को मिल रहा है कि दूसरी लहर में 45 वर्ष से कम उम्र के लोग ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं, जबकि भारत सरकार के आंकड़े देखें तो पहली लहर में लगभग 31 फीसद संक्रमित 30 वर्ष से कम आयु के थे। दूसरी लहर में यह आंकड़ा 32 फीसद है। दोनों ही लहरों में 21 फीसद संक्रमित 30 से 45 वर्ष के बीच के हैं। पिछली लहर में जान गंवाने वाले 20 फीसद लोग 50 वर्ष या उससे कम उम्र के थे। इस बार यह दर 19 फीसद है। एक बात गौर करने वाली है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन नहीं लगने से तीसरी लहर में उन्हें संक्रमण का खतरा काफी ज्यादा है। विश्व के अन्य देशों में देखा गया है कि जब तक बच्चे अधिक वजन वाले न हों और कोई अंतर्निहित श्वसन समस्या नहीं है तो वे कोरोना के भीषण स्वरूप से बचे रहेंगे। ऐसी कोई समस्या न होने पर अधिकांश बच्चों को आक्सीजन थेरेपी या अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए बच्चों को लेकर ज्यादा सशंकित होने की जरूरत नहीं है।

यह भी देखें कि इजरायल, यूके और अमेरिका, जहां क्रमश: 60 फीसद, 52 फीसद और 45 फीसद लोगों को टीके की कम से कम एक डोज दी जा चुकी है, वहां संक्रमण की दर काफी नीचे आ चुकी है। इन देशों ने बच्चों को टीका लगाए बगैर ही संक्रमण को नियंत्रित कर लिया। भारत को भी इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। अभी तक के शोध से यह भी पता चलता है कि प्राकृतिक संक्रमण से उबरने वाले लोगों में टीके की एक डोज भी पर्याप्त एंटीबाडी का निर्माण कर रही है, जो असंक्रमित लोगों के लिए वैक्सीन की दो डोज के बराबर है। इस बीच टीका बनाने वाली कंपनियों को भी इन टीकों का बच्चों पर परीक्षण करने का समय मिल जाएगा। इसके साथ ही हमें सतर्कता का यही स्तर तब तक बनाए रखना है जब तक कि देश के हर व्यक्ति को वैक्सीन की खुराक न लग जाए। जब देश पूरा सुरक्षित हो जाएगा तभी हमें ढील देनी चाहिए। लक्ष्य मिलने तक कोई विराम नहीं।

[जीन विज्ञानी, जंतु विज्ञान विभाग, बीएचयू, वाराणसी]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.