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काशी आनंद में सदानीरा के तट पर निखरी यूपी की लोक संस्कृति

वाराणसी : सरस सलीला सदानीरा के सुरम्य तट पर गुरुवार को सजी लोक संस्कृति की संध्या में उत्तर प्रदेश क

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Jun 2018 10:54 AM (IST)Updated: Fri, 08 Jun 2018 10:54 AM (IST)
काशी आनंद में सदानीरा के तट पर निखरी यूपी की लोक संस्कृति
काशी आनंद में सदानीरा के तट पर निखरी यूपी की लोक संस्कृति

वाराणसी : सरस सलीला सदानीरा के सुरम्य तट पर गुरुवार को सजी लोक संस्कृति की संध्या में उत्तर प्रदेश के कलाकारों ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियों से विविधिता के अनेक रंग बिखेरे। काशी में संपूर्ण भारत की संस्कृति का एहसास कराया और दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच सम्मान पाया।

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मौका था दैनिक जागरण के नैत्यिक कार्यक्रम भारत आनंद-काशी आनंद का। डा. राजेंद्र प्रसाद घाट के मुक्ताकाशीय मंच पर नित्य प्रति विभिन्न राज्यों की बेहतरीन लोक संस्कृतियों की प्रस्तुति के क्रम में गुरुवार को उत्तर प्रदेश के कलाकारों की बारी रही। प्रदेश की लोक संस्कृति के मुताबिक कलाकारों ने लोक गीतों व सुमधुर भजनों से श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। कार्यक्रम का आगाज आजमगढ़ से आए जानेमाने गायक विजय बागी के भजन- लहर-लहर लहराए गंगा, नाचे शिव अविनाशी, बम-बम बोले काशी.. से हुआ। इसके बाद इन्होंने देशभक्ति व कजरी की प्रस्तुति की। इसी कड़ी में नगर की उदीयमान गायिका ज्योति सिंह माही ने अपने भजन- रामजी से पूछे जनकपुर के नारी, बता द बबुआ.. व कोयल बिना ना सोहे राजा.. सुनाकर श्रोताओं की तालियां बटोरीं। जौनपुर से आए भजन गायक अवधेश पाठक ने अपने भजन- बाबा तोहरे धमवा के नाहीं ओर छोर बा.. सुनाकर वाहवाही लूटी। इस दौरान श्रोता हर-हर महादेव का उद्घोष कर गायक कलाकारों का उत्साहवर्धन करते रहे। इन गायकों के साथ तबले पर नीतेश श्रीवास्तव, आर्गन पर संदीप पटेल, ढोलक पर नसीम व पैड पर अमित ने संगत किया। इस कार्यक्रम का संयोजन कन्हैया दुबे केडी ने किया।

भजन व लोक गीतों की प्रस्तुति के बाद श्रृजा मुखर्जी ने कथक की भावपूर्ण प्रस्तुति कर अपनी भाव भंगिमाओं से दर्शकों को विभोर किया। सोलबीर डांस अकादमी में नृत्य प्रशिक्षिका श्रीमती शिप्रा चक्रवर्ती से नृत्य कला के गुर सीख रही श्रृजा ने कथक का आरंभ सरस्वती व कृष्ण वंदना से किया। इस दौरान इन्होंने कथक की विभिन्न विधाओं की प्रस्तुति कर सिद्धस्थ होने की ओर कारगर कदम बढ़ाए। देशभक्ति गीत- जननी जन्मभूमिश्च- पर कथक की प्रस्तुति कर इन्होंने दर्शकों की वाहवाही बटोरी।

इसी कड़ी में डा. श्रीमती श्रावणी विश्वास व उस्ताद शाहिद परवेज के शिष्य तथा इटावा घराने के नवोदित कलाकार रोनित चटर्जी का सितार वादन हुआ। इन्होंने सितार पर राग यमन की अवतारणा की। साथ ही रघुपति राघव राज राम.. धुन बजाकर श्रोताओं का दिल जीता। इनके साथ तबले पर गौतम चक्रवर्ती के शिष्य बॉब भंट्टाचार्य ने संगत किया।

संध्या का समापन कजरी पर समूह नृत्य से हुआ। एसकेआईसी ग्रुप की नृत्यांगनाओं ने प्रशिक्षिका पूनम शुक्ला के नेतृत्व में 'कैसे खेले जइबू सावन में कजरिया..' गीत पर नृत्य की बेहतरीन प्रस्तुति कर दर्शकों की वाहवाही बटोरी। इस समूह नृत्य में स्नेहा दीक्षित, मनीषा कपूर, भाव्या दीक्षित, खुशी झा, सोनाली साहनी व स्मृति केशरी शामिल थीं। अंत में दैनिक जागरण की ओर से सभी कलाकारों को प्रमाण पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। इस दौरान सुरभि सुंदरी, श्रीमती बीना मिश्रा, सौरभ मुखर्जी व शिप्रा चक्रवर्ती समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। राजू चौधरी व चंदन ने विशेष सहयोग किया। संयोजन काशी मिश्रा व संचालन राजेश त्रिपाठी ने किया। धन्यवाद प्रकाश रवींद्र प्रकाश त्रिपाठी ने किया।


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