दैनिक जागरण संस्कारशाला में समझाया- 'अच्छे संस्कार से ही तकनीक के बेहतर उपयोग की समझ'
विज्ञान व प्रौद्योगिकी ने मानव के जीवन पद्धति को ही बदल दिया है। पहले जो काम करने में वर्षो लगते थे अब वह कुछ दिनों व घंटों में पूरे किए जा सकते हैं।
वाराणसी, जेएनएन। विज्ञान व प्रौद्योगिकी ने मानव के जीवन पद्धति को ही बदल दिया है। पहले जो काम करने में वर्षो लगते थे अब वह कुछ दिनों व घंटों में पूरे किए जा सकते हैं। मानव जीवन को और बेहतर बनाने के लिए नए-नए आविष्कारों का क्रम जारी है। वहीं तकनीक का दुरुपयोग भी हो रहा है। ऐसे में तकनीक के संग संस्कार भी बेहद जरूरी है। तकनीक के बेहतर उपयोग की समझ अच्छे संस्कार से ही संभव है। 'दैनिक जागरण संस्कारशाला' के तहत शनिवार को वनिता पब्लिक स्कूल (लहुराबीर) आयोजित 'तकनीक का बेहतर उपयोग' विषयक कार्यशाला में शिक्षकों ने बच्चों को तकनीक का दुरूपयोग न करने की सलाह दी।
कहा कि तकनीक का ही कमाल है कि वर्तमान युग में हर व्यक्ति के हाथ में स्मार्ट फोन मौजूद है लेकिन इसका उपयोग कितना करें, कब करें इसकी समझ बच्चों को ही नहीं है। यहां तक कि कुछ बड़ो को भी नहीं हैं। कुछ बाइक चलाते हुए फोन से बात करते हैं। ऐसे लोग न केवल अपना बल्कि सामने वाले का भी जान जोखिम में डाल देते हैं। मोबाइल, कान में इयर फोन लगाने से कई दुर्घटनाएं हो चुकी है और जान भी जा चुकी है। यह तकनीक का दुरुपयोग हुआ। वहीं इंटरनेट व कंप्यूटर का उपयोग हम पठन-पाठन में करते हैं तो तकनीक का हम बेहतर उपयोग करते हैं। इससे इतर मोबाइल फोन से गेम्स खेलना, देर रात चैटिंग करना तकनीक का दुरुपयोग है। कहा कि युवाओं से तेजी से सोशल मीडिया की लत लग रही है।
घर में रहने के बावजूद मोबाइल फोन पर व्यस्त रहते हैं। इसका दुष्परिणाम संबंधित व्यक्ति पर ही नहीं, पूरे परिवार पड़ रहा है। मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल करने से जहां अनिद्रा, थकान, सुस्ती, कमजोरी सहित ब्रेन कैंसर होने का खतरा रहता है वहीं परिवार में आपसी प्रेम-सद्भाव भी टूट रहा है। एक ही छत के नीचे पांच-पांच सदस्य होने के बावजूद आपस में कम व फेसबुक के दोस्तों से ऑनलाइन बातचीत अधिक हो रही है। यही कारण है कि फेसबुक पर हजारों दोस्त होने के बावजूद कुछ लोग अपने आप अकेला महसूस करते हैं। ऐसे में हमें तकनीक के बेहतर उपयोग की समझ विकसित करनी ही होगी।
संचार क्रांति के इस आधुनिक युग में हमें तकनीक का उपयोग बहुत ही सावधानी पूर्वक करना चाहिए। वाट्सएप व फेसबुक का सही उपयोग करने की समझ हर विद्यार्थियों को करनी होगी ताकि तकनीक उनके विकास में सहायक बने न कि बाधक। इसके बेहतर उपयोग के लिए विद्यालय में समय-समय पर कार्यशाला आयोजित करते रहना चाहिए ताकि विद्यार्थियों को अच्छे व बुरे का फर्क हो सके। -डा. रेणुका नागर, प्रधानाचार्य
मोबाइल ने लोगों के सोचने व समझने की दिशा बदल दी है। फोन के माध्यम से समय व पैसे ही भी बचत हो रही है। अब घर बैठे ऑनलाइन लोग मार्केटिंग भी कर रहे हैं। ऐसे में तकनीक से अपडेट रहना शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए भी जरूरी है। तकनीक के दुरुपयोग से हमें दूरी बनाने की आवश्कता है। - डा. संगीता श्रीवास्तव, अध्यापिका
हम दिन-प्रतिदिन नए सुविधाओं का उपयोग कर रहे हैं। यह सब तकनीक के विकास के कारण ही संभव हो रहा है। वहीं कुछ लोग इसका दुरुपयोग भी कर रहे हैं। इसका सही इस्तेमाल न करना हमारे जीवन के लिए घातक साबित हो सकता है। ऐसे में हमें इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि ग्लोबल होते हुए इस आधुनिक परिवेश में हम परस्पर समन्वय बनाए रखे। -प्रियंका श्रीवास्तव, अध्यापिका
मोबाइल फोन का सही तरीके से इस्तेमाल करने के बारे में विद्यालय में विस्तार से जानकारी दी गई। आगे से इस बात का ध्यान रखेगे। -नवेली यादव
संस्कारशाला पाठ के माध्यम से विद्यालय में तकनीक के बेहतर उपयोग के बारे में जानकारी दी गई। यह जानकारी हम सभी के लिए उपयोगी है। हमें तकनीक के उपयोग की समझ विकसित करनी होगी। - रूद्र कुमार सेठ
- दैनिक जागरण में संस्कारशाला कालम के तहत अच्छी-अच्छी कहानियां पढ़ने को मिल रही है। आज संस्कारशाला पाठ का हिस्सा बनने का भी सौभाग्य मिला। इससे काफी प्रेरणा मिली। - आस्था सक्सेना
- विद्यालय में संस्कारशाला की कहानी सुनाई गई। काफी अच्छा लगा। इसे जीवन में भी उतारने का भी प्रयास करेंगे। अब तकनीक का उपयोग सोच-समझ कर ही करेंगे ताकि जीवन में इसका लाभ मिल सके। - अभिजीत श्रीवास्तव