बिजली उत्पादन में यूपी पांचवें स्थान पर, कोयला आधारित बिजली में प्रदेश बन सकता है अव्वल
सभी घरों तक 24 घंटे बिजली देने की सरकार की मंशा को लेकर कई योजनाओं पर काम चल रहा है। ऐसे में सबसे ज्यादा आबादी वाले उत्तर प्रदेश पर सबसे ज्यादा निगाहें हैं।
सोनभद्र, जेएनएन। सभी घरों तक 24 घंटे बिजली देने की सरकार की मंशा को लेकर कई योजनाओं पर काम चल रहा है। ऐसे में सबसे ज्यादा आबादी वाले उत्तर प्रदेश पर सबसे ज्यादा निगाहें हैं। फिलहाल प्रदेश का ऊर्जा प्रबंधन प्रतिबंधित मांग के सापेक्ष बिजली देने में सफल हो रहा है। आने वाले वर्षों में प्रदेश की प्रतिबंधित मांग के 25 हजार मेगावाट से ज्यादा होने की संभावना है। इसको लेकर कई नई इकाइयों पर कार्य चल रहा है। हालांकि उत्तर प्रदेश बिजली उत्पादन के मामले में अभी भी देश में पांचवे स्थान पर है। फिलहाल 42,402 मेगावाट स्थापित क्षमता के साथ महाराष्ट्र सबसे ऊपर है। उसके बाद दूसरे स्थान पर गुजरात 35284.63 मेगावाट, तीसरे स्थान पर तमिलनाडु 31975 मेगावाट एवं कर्नाटक 28311 मेगावाट के साथ चौथे स्थान पर है।
उत्तरी क्षेत्र में यूपी पहले स्थान पर
वर्तमान में अगर उत्तरी क्षेत्र की बात की जाए तो इसके कुल नौ प्रदेशों में सबसे ज्यादा क्षमता उत्तर प्रदेश की है। प्रदेश में राज्य, निजी तथा केंद्रीय सेक्टर की स्थापित क्षमता 28,029 मेगावाट है। इनमें कोयला, गैस, डीजल, परमाणु एवं पानी से उत्पादित बिजली शामिल है। उसके बाद 20,460 मेगावाट के साथ राजस्थान दूसरे तथा 8224 मेगावाट के साथ पंजाब तीसरे स्थान पर है। हालांकि इसके बावजूद उत्तर प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति को 18 घंटे पर प्रतिबंधित किया गया है। ऐसे में आने वाले वर्षों में उत्पादन वृद्धि आवश्यक हो गयी है।
कोयला आधारित बिजली की बड़ी संभावना
देश में कुल उत्पादित बिजली में कोयला आधारित बिजली का हिस्सा 70 फीसदी के करीब है। आने वाले दिनों में भी सरकार द्वारा कोयला आधारित बिजली के उत्पादन पर ही ज्यादा निर्भरता दिखाई है। ऐसे में उत्तर प्रदेश भविष्य में बड़ी सम्भावना के तौर पर दिख रहा है। खासकर प्रदेश सरकार के अंतर्गत कोयला आधारित बिजली के मामले में उत्तर प्रदेश देश में सबसे ज्यादा बिजली पैदा करने वाला प्रदेश बन सकता है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश देश में 22,409 मेगावाट के साथ तीसरे स्थान पर है। देश में सबसे ज्यादा बिजली उत्पादन वाला प्रदेश महाराष्ट्र है, जहां कोयले आधारित इकाइयों की क्षमता 25,386 मेगावाट है। दूसरे नम्बर पर 23,128 मेगावाट के साथ छत्तीसगढ़ है। हालांकि उत्तर प्रदेश में चल रही योजनाएं भविष्य में इसे अव्वल बना सकती है। वर्तमान में कई पुरानी परियोजनाओं के चल रहे विस्तारीकरण योजना एवं नये विद्युत घरों के निर्माण से 13वीं पंचवर्षीय योजना में उत्पादन निगम की क्षमता में 6225 मेगावाट की वृद्धि होनी है। विस्तारीकरण के तहत ओबरा-सी में 1320 मेगावाट, हरदुआगंज में 660 मेगावाट एवं पनकी में 660 मेगावाट क्षमता की नई इकाइयां स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जवाहरपुर, एटा में 1320 मेगावाट क्षमता के नये विद्युतघर का निर्माण चल रहा है। इसके अलावा संयुक्त उपक्रम के तहत मेजा में एनटीपीसी के साथ 1320 मेगावाट तथा घाटमपुर में एनएलसी के साथ 1980 मेगावाट के नये विद्युतघर की प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा अगली पंचवर्षीय योजना तक 1600 मेगावाट की ओबरा डी भी प्रस्तावित है।