यूपी विधानसभा चुनाव 2022 : आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी के दांव से सियासी दंगल में बढ़ेगा रोमांच, होगा महामुकाबला
UP Vidhan Sabha Chunav 2022 सपा आजमगढ़ को अपना गढ़ मानती है। ऐसे में एक-एक सीट जीतने को अंकगणित लगाने संग उसके साइड इफेक्ट भी देखे जा रहे हैं। सपा उम्मीदवारों के नामों की सूची सामने आने के बाद चुनावी चाणक्य ऐसी ही चर्चा कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : सपा के सियासी दांव से ‘गढ़’ में मुकाबला रोमांचकारी रास्ते पर बढ़ चला है। फूलपुर- पवई से रमाकांत यादव के उम्मीदवार बनने से उनके पुत्र एवं भाजपा विधायक अरुण कांत यादव से सीधा जंग के आसार हैं। दीदारगंज के पहले विधायक आदिल शेख का टिकट कटना भी मुकाबले में रोमांच बढ़ाने वाला होगा। उम्मीदवारों की सूची सामने आते ही दूसरे दलों के योद्धा समीकरण साधने में जुट गए हैं।
सपा आजमगढ़ को अपना गढ़ मानती है। ऐसे में एक-एक सीट जीतने को अंकगणित लगाने संग उसके साइड इफेक्ट भी देखे जा रहे हैं। सपा उम्मीदवारों के नामों की सूची सामने आने के बाद चुनावी चाणक्य ऐसी ही चर्चा कर रहे हैं। सपा रमाकांत यादव को फूलपुर-पवई से उतारकर भाजपा से उसकी इकलौती सीट भी छीन लेना चाहती है। यहां से रमाकांत के पुत्र अरुण कांत ही कमल खिलाने में सफल हो पाए थे। दीदारगंज से आदिल शेख का टिकट काटकर सपा की ओर से राजभर मतदाताओं को साधने की कोशिश हुई है। इसकी शुरुआत भाजपा ने आजमगढ़ राज्य विश्वविद्यालय को महाराजा सुहेलदेव का नाम देकर की थी। हालांकि, आदिल शेख का लड़ाई से बाहर होना दूसरे योद्धाओं के लिए समीकरण सधने जैसा है। दीदारगंज में 25 फीसद मुस्लिम वोट नया गुल खिलाने की स्थिति में है। अतरौलिया में संग्राम यादव, आजमगढ़ सदर से दुर्गा प्रसाद यादव, निजामाबाद से आलमबदी और गोपालपुर से नफीस व लालगंज से बेचई सरोज पुराने चेहरे हैं। मुबारकपुर, मेंहनगर, और सगड़ी से उम्मीदवारी को कई धुरंधर लगे हैं। इतना तो तय है कि इन सीटों पर भी सपा फूंक-फूंककर कदम रख रही है, तो भाजपा व बसपा चुप्पी साधे तमाशा देख रहे हैं। दोनों ही सियासी दल सामने वाले की दांव को ध्यान में रखकर धुरंधर उतारेंगे। कारण कि जीत उसी की होगी, जिसके पास जातीय समीकरण साध कर तीर चलाने वाला अर्जुन होगा ...।
वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव में वोटों की स्थिति
विधानसभा
अतरौलिया
गोपालपुर
आजमगढ़ सदर-सपा
निजामाबाद
फूलपुर-पवई
दीदारगंज
लालगंज