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सपा-बसपा के इर्द-गिर्द रही आजमगढ़ जिले का सवर्ण बाहुल्य लालगंज विधानसभा सीट की सियासत

UP Vidhan Sabha Chunav 2022 आजमगढ़ जिले की लालगंज तहसील व चार ब्लाक क्षेत्र में फैले 351 विधानसभा क्षेत्र लालगंज की सियासत सपा और बसपा के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही है। लालगंज विधानसभा सवर्ण बाहुल्य है लेकिन यहां की राजनीति सपा-बसपा के प्रत्‍याशी के आसपास रहती हेै।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 10:22 PM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 10:22 PM (IST)
सपा-बसपा के इर्द-गिर्द रही आजमगढ़ जिले का सवर्ण बाहुल्य लालगंज विधानसभा सीट की सियासत
UP Vidhan Sabha Chunav 2022: आजमगढ़ जिले की लालगंज तहसील व चार ब्लाक क्षेत्र में फैले 351 विधानसभा क्षेत्र लालगंज

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : लालगंज तहसील व चार ब्लाक क्षेत्र में फैले 351 विधानसभा क्षेत्र लालगंज की सियासत सपा और बसपा के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही है। यहां कभी भी लहर का असर नहीं रहा। मात्र एक बार मामूली मतों के अंतर से नरेंद्र सिंह कमल खिलाने में कामयाब हुए थे। उसके बाद सीट अारक्षित होने से उनकी दावेदारी भी खत्म हो गई।

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विधान सभा क्षेत्र पर नजर डालें तो 1967, 1969, 1974 में लगातार तीन बार कांग्रेस पार्टी से त्रिवेणी राय विधायक रहे । इमरजेंसी लगने के बाद 1977 में ईशदत्त यादव जनता पार्टी के विधायक चुने गए। क्षेत्र में लोकप्रिय व मिलनसार होने के कारण 1980 के विधानसभा चुनाव में फिर त्रिवेणी राय कांग्रेस से विधायक चुने गये थे। 1982 में त्रिवेणी राय का निधन होने के बाद पुनः चुनाव हुआ, तो उनके पुत्र रविंद्र राय काग्रेस पार्टी के विधायक चुने गए, लेकिन पिता की विरासत संभाल नहीं सके। 1985 में लालगंज विधानसभा की सीट पर श्रीप्रकाश सिंह उर्फ ज्ञानू सिंह जनता दल से विधायक चुने गए।मृदुभाषी ज्ञानू को 1989 के विधानसभा चुनाव में भी जनता ने स्वीकार किया।1991 के चुनाव में सुखदेव राजभर ने भाजपा के प्रत्याशी नरेंद्र सिंह को मात्र 24 मतों से पराजित कर बसपा से पहले विधायक चुने गए। मध्यावधि चुनाव 1993 में हुआ तो गठबंधन में सीट बसपा के खाते में गई और सुखदेव राजभर दूसरी बार विधायक चुने गए।1996 के विधानसभा चुनाव में लालगंज विधानसभा में पहली बार कमल का फूल खिला तो नरेंद्र सिंह विधायक चुने गए। बसपा की सरकार बनने पर सुखदेव राजभर को बसपा से विधान परिषद सदस्य बनाया गया। 2002 के चुनाव में भाजपा से नरेंद्र सिंह, सपा से विजेंद्र सिंह, कांग्रेस से रविंद्र राय और बसपा से सुखदेव राजभर मैदान में थे, जिसमें सुखदेव को जनता ने स्वीकार किया। 2007 के चुनाव में भी सुखदेव राजभर बसपा विधायक चुने गए। 2012 में परिसीमन के बाद सीट सुरक्षित होने पर बेचई सरोज सपा से विधानसभा पहुंचे। 2017 के विधानसभा चुनाव में राज्यसभा सदस्य गांधी आजाद के पुत्र अरिमर्दन आजाद उर्फ पप्पू बसपा से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। कहने के लिए लालगंज विधानसभा सवर्ण बाहुल्य है, लेकिन यहां की राजनीति सपा-बसपा के इर्द-गिर्द ही घूमती दिखती है। क्षेत्र में कुल 404000 मतदाता हैंं जिसमें सामान्य वर्ग से क्षत्रिय,भूमिहार, ब्राह्मण मिलाकर कुल साठ हजार, पिछडा वर्ग में यादव, वैश्य, राजभर, चौहान, निषाद, मौर्या, बरई व अन्य पिछड़ा मिलाकर कुल 1,90000, अनुसूचित जाति के 1,05 लाख, जबकि मुस्लिम मतदाता 35 हजार लगभग हैं।


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