राजनीतिक दलों के सेनापति को तलाश है जाति का अचूक निशाना साधने वाले ‘अर्जुन’ की
इन दिनों प्रदेश में जोड़-तोड़ की राजनीति का जोर है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के गढ़ आजमगढ़ में भी राजनीतिक दलों के सेनापति अंदरखाने इसी जुगत में लगे हैं। सबको तलाश है जाति का अचूक निशाना साधने वाले ‘अर्जुन’ की।
आजमगढ़, राकेश श्रीवास्तव। देश में सरकार बनाने के लिए एक-एक सीट मायने रखेगी। मोदी लहर में भी मात्र एक सीट से संतोष करने के बावजूद भाजपा ने विकास के रथ को खूब दौड़ाया। चुनावी बिगुल बजने से ठीक पहले गृहमंत्री अमित शाह ने पूवार्ंचल के कई जिलों में राजनीतिक प्रभाव रखने वाले राजभर मतदाताओं के आराध्य महाराजा सुहेलदेव के नाम पर आजमगढ़ विश्वविद्यालय का शिलान्यास कर असरदार अस्त्र चलाया है।
इन विधानसभाओं में फंसेगा पेच: मुबारकपुर, दीदारगंज, सगड़ी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और सपा दोनों इस बार मुश्किल में होंगी। 2017 में बसपा के शाह आलम गुड्डू जमाली लगातार दूसरी बार विधायक बने तो सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष अखिलेश यादव मामूली अंतर से हारे। अब यहां नए समीकरण बन सकते हैं। ऐसी ही स्थिति दीदारगंज में हो सकती है। सपा के समर्पित नेता आदिल शेख वर्ष 2017 में मामूली मतों से हारे थे। यहां अबकी सुखदेव राजभर के पुत्र कमलाकांत नजर गड़ाए हैं। सगड़ी की बसपा विधायक वंदना सिंह अब भाजपा की हो चुकी हैं, जबकि देवेंद्र सिंह पहले से ही कतार में हैं। यहां दूसरे नंबर पर रही सपा भी पूरा जोर लगा रही है।
इन सीटों पर हुई कांटे की टक्कर: वर्ष 2017 में भाजपा अतरौलिया और लालगंज में क्रमश: सपा और बसपा से मामूली अंतर से हारी थी। कमोबेश यही स्थिति मेंहनगर में रही, जहां भाजपा गठबंधन की प्रत्याशी मंजू सरोज कुछ हजार वोटों से हारी थीं, जो अब भाजपा में क्षेत्रीय मंत्री हैं। हालांकि, सपा-बसपा को टक्कर देने वाले कुछ भाजपा प्रत्याशी इन दिनों ‘सपा की साइकिल’ से लखनऊ पहुंचने की फिराक में हैं। वहीं, भाजपा के तूणीर में भी कुछ तीखे तीर हैं।
सियासी दलों के सेनापतियों ने संभाली कमान: आजमगढ़ का राजनीतिक मिजाज दूसरे जिलों से अलग है। यहां से पहले मुलायम सिंह यादव चुनाव लड़कर संसद पहुंचे। फिर उनके बेटे अखिलेश यादव। यहां दावा समाजवाद का होता है, लेकिन सियासी समीकरण जातिवाद को बढ़ावा देते दिखते हैं। ब्राह्मण व निषाद बहुल अतरौलिया सीट सपा के कद्दावर नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री बलराम यादव व उनके बेटे संग्राम यादव की होकर रह गई है। आजमगढ़ सदर सीट पर पिछले आठ चुनावों से दुर्गा प्रसाद यादव का कब्जा है। बसपा के गढ़ लालगंज (सु.) में बसपा सांसद संगीता आजाद के पति अरिमर्दन आजाद जीते। अब भाजपा की इकलौती फूलपुर-पवई सीट को देखिए। यहां से पूर्व सांसद रमाकांत यादव के बेटे अरुण कांत विधायक बने।