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Unlock की संजीवनी से दीवाली के लिए 'Plaster of Paris' के मूर्तिकारों को नवजीवन

दस दिनों से मार्केट में बाहरी व्यापारी आ रहे हैं और दीपावली पर विघ्नहर्ता और धन की देवी मां लक्ष्मी की मूर्तियों को ले जा रहे हैं। शारदीय नवरात्र के साथ त्योहारी मौसम शुरू हो रहा है तो चुनार की मूर्ति मंडी भी ग्राहकों से गुलजार होने लगी है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 11 Oct 2020 06:20 AM (IST)Updated: Sun, 11 Oct 2020 01:28 PM (IST)
Unlock की संजीवनी से दीवाली के लिए 'Plaster of Paris' के मूर्तिकारों को नवजीवन
त्योहारी मौसम शुरू हो रहा है तो चुनार की मूर्ति मंडी भी ग्राहकों से गुलजार होने लगी है।

मीरजापुर [गुरप्रीत सिंह शम्‍मी]। कोरोना संकट के बीच व्यवसायिक गतिविधियों को गति देने के लिए सरकार द्वारा किए गए अनलॉक के बाद नगर की प्लास्टर आफ पेरिस मूर्ति मंडी की चमक ग्राहकों के साथ वापस लौटने लगी है। पिछले एक सप्ताह दस दिनों से मार्केट में बाहरी व्यापारी आ रहे हैं और दीपावली पर पूजे जाने वाले विघ्नहर्ता और धन की देवी मां लक्ष्मी की मूर्तियों को ले जा रहे हैं। आने वाले शारदीय नवरात्र के साथ त्योहारी मौसम शुरू हो रहा है तो चुनार की मूर्ति मंडी भी ग्राहकों से गुलजार होने लगी है।

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हालांकि इस बार कोरोना के चलते पीओपी मूर्तियों का उत्पादन ही 50 फीसद से कम हुआ है। अगस्त महीने तक बाजार से ग्राहक नदारद रहने से मूर्ति व्यवसायियों व उत्पादकों में काफी निराशा थी, लेकिन ज्यों ज्यों दीपोत्सव का पर्व नजदीक आ रहा है मार्केट भी ग्राहकों से गुलजार होने लगा है। इस बार सबसे अभी तक ट्रेनों के सुचारू आवागमन शुरू न होने के कारण दूरस्थ बिहार और मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के व्यापारियों की आमद पिछले वर्षों की अपेक्षा कम है। इस बार पूर्वांचल समेत सीमा से लगे हुए बिहार प्रदेश के व्यापारी अपने माल वाहन लेकर आ रहे हैं और माल लेकर जा रहे हैं। वहीं स्थानीय कारखानेदारों को सिर्फ यही चिंता सता रही है कि किसी तरह माल पूरा बिक जाए।

साढ़े तीन सौ से अधिक है कारखाना

चुनार में बनी पीओपी की मूर्तियां सबसे अधिक पूर्वांचल समेत लखनऊ, कानपुर, रायबरेली, प्रयागराज समेत अन्य जिलों में बिकती हैं। बता दें कि यहां पर छोटे बड़े मिलाकर कुल साढ़े तीन सौ से अधिक कारखाने हैं, और घरों में कुटीर उद्योग के रूप में होने वाला यह व्यवसाय भी चुनार नगरी की पहचान के साथ धीरे-धीरे जुड़ चुका है।

क्या बोले स्थानीय उत्पादक

हर बार इस समय तक आधे से अधिक माल खत्म हो जाता था, लेकिन इस बार कोरोना संकट के कारण व्यापारियों के आने की गति पिछली बार की तरह नहीं है। उत्पादन पहले से ही कम हुआ है। अब मंडी में व्यापारियों के आने के बाद ठीक ठाक व्यापार की आस जगी है। -अवधेश वर्मा, मूर्ति निर्माता व कारोबारी

करीब आठ से नौ महीने तक इसी काम में लगकर मूर्तियां तैयार की जाती हैं। ढलाई से लेकर रंगाई और मूर्तियों को रूप देने का काम अलग-अलग लोगों के जिम्मे है। कोरोना से पहले ही ढलाई हो चुकी थी। बाजार में व्यापारियों की आमद होने से ऐसा लग रहा है कि माल बिक जाएगा। -प्रदीप गुप्ता, मूर्ति उत्पादक

प्लास्टर आफ पेरिस के साथ क्राकरी संबंधी और भी बहुत सी रेंज बाहर का व्यापारी लेकर जाता है। इस बार कोरोना संकट के कारण व्यापार की गति पिछली बार से धीमी है। एक पखवारे से बाजार में बाहर के व्यापारी आ रहे हैं लेकिन माल खरीदने थोड़ा झिझक रहे हैं। ऐसी उम्मीद है कि दीपावली तक माल पूरा बिक जाएगा। -मुन्ना कुरैशी उर्फ बकुल्लन, स्थानीय कारोबारी

अभी तक ट्रेनों का सुचारू संचालन न होने से व्यापार पर असर पड़ा है। बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से आने वाले फुटकर कारोबारियों की आमद बेहद कम है। ट्रेनों का संचालन न होने से एक दो नग ले जाने वाले हजारों की संख्या में आने वाले व्यापारी इस बार नहीं आ पा रहे हैं। फिलहाल कारोबार धीरे धीरे गति पकड़ रहा है। -समर्थ सिंह पटेल, मूर्ति व क्राकरी कारोबारी

क्या बोले बाहर के व्यापारी

इस बार कोरोना संकट के कारण व्यापार पर असर पड़ा है। पिछले सालों की तुलना में माल कम खरीदा गया है। हर बार सितंबर महीने में ही चुनार आकर खरीदारी कर लेते थे ताकि मन माफिक माल मिल जाए, लेकिन इस बार काफी सोच विचार करना पड़ा।-सुभाष चंद्र, जौनपुर

पिछले करीब 12 साल से चुनार का माल ले जाकर बेचते हैं। इस बार कोरोना संकट के चलते स्थितियां काफी बदली हुई हैं। माल खरीदने के पहले सोच विचार करना पड़ रहा है। चुनार का हर माल अच्छा है लेकिन इस बार चुनिंदा आइटम ही ले रहे हैं। - प्रकाश केशरी, मुंगराबादशाहपुर

इस बार कोरोना के चलते हर व्यापार मंदा हुआ है। हिंदू रीति रिवाज के हिसाब से त्यौहार लोग पूजा तो करेंगे ही इसके लिए माल पिछले बार से अधिक खरीदा है। यहां की मूर्तिया किफायती होने के साथ ही सुंदर होती हैं जिसकी डिमांड है। - राजेंद्र गुप्ता, माहुल आजमगढ़

व्यापार में उतार चढ़ाव लगा रहता है, लेकिन कोरोना संकट की काली छाया हर व्यवसाय पर पड़ी है। करीब 10 सालों से चुनार की बनी पीओपी की मूर्तियां दीपावली पर लेजाकर बेचते हैं। यहां की बनी मूर्तियां अपनी फिनिशिंग और दाम की वजह से लोगों को काफी पसंद आती हैं। - नितिन कुमार, प्रयागराज


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