Unique Wedding In Lockdown बिना बैंडबाजा-आतिशबाजी के रस्म पूरी, सैनिटाइजर व मास्क से बरातियों का स्वागत
लॉकडाउन के कारण इस बार वैवाहिक आयोजन बहुत की कम हो रहे हैं। जहां हो भी रहा है तो कई नियमों के तहत हो रहा है।
वाराणसी, जेएनएन। पीछे बराती आगे बैंडबाजा, ...आए दूल्हे राजा... किसी फिल्म का यह गीत तो हर शादी में गाया जाता है। इस पर बराती नाचते हुए कन्या के दरवाजे पर पहुंचते हैं लेकिन सोमवार वाराणसी के सारनाथ और सोनभद्र के शाहगंज के महुआंव गांव में शादी का ऐसा माहौल बना कि लोग न ही बराती न ही बैंडबाजा..आए सिर्फ दूल्हे राजा व पांच-छह लोग। लॉकडाउन के कारण इस बार वैवाहिक आयोजन बहुत की कम हो रहे हैं। जहां हो भी रहा है तो कई नियमों के तहत हो रहा है। इसके तहत पांच-छह बरातियों की मौजूदगी में शारीरिक दूरी का पालन करते हुए विवाह की रस्मे पूरी हो रही है। बरातियों का स्वागत सैनिटाइजर व मास्क से हुआ। बिना बैंड -बाजा, आतिशबाजी के साथ हुई शादी लोगों के लिए यादगार रहेगी।
सारनाथ में बराती सहित दूल्हा व दुल्हन ने लगाए मास्क
लॉकडाउन में सारनाथ के गंज मोहल्ले में सोमवार की दोपहर में आठ बरातियों की मौजूदगी में शारीरिक दूरी ला पालन संग विवाह के रस्मे पूरी करने के साथ बेटी की शादी हुई। बिना गाजा बाजा, आतिशबाजी से हुई शादी मोहल्ले वालों के लिए यादगार रहेगी। गंज मोहल्ले निवासी स्वर्गीय श्याम गुलाम की पुत्री ललिता की शादी18 मई को होनी तय हुई। परिवार वाले लॉकडाउन के चलते शादी टालने के विचार करने लगे लेकिन बाबा सारंगनाथ महादेव की कृपा से लड़की के चाचा राम गुलाम, पंचम, भाई प्रीतम, राकेश ने शादी कराने की अनुमति मांगी। सहमति होते ही चोलापुर के गोपुर गांव निवासी श्याम लाल ने अपने पुत्र राजकुमार सहित 8 लोगों को शादी के दिन बराती लाने की सहमति बनी तो सोमवार को शारीरिक दूरी का पालन के साथ दूल्हा व दुल्हन बरातियों ने भी मास्क लगाए।
सोनभद्र के शाहगंज में महज पांच बरातियों ने विदा कराया दुल्हन, घराती भी रहे पांच
सोनभद्र के शाहगंज क्षेत्र के महुआंव गांव में सोमवार को शादी का ऐसा माहौल बना कि लोग न ही बराती न ही बैंडबाजा..आए दूल्हे राजा... गुनगुनाने लगे। उल्टा गीत गाने के पीछे वजह यह रही कि यहां महज पांच लोगों ने आकर दुल्हन को विदा कराया। बरातियों का स्वागत सैनिटाइजर व मास्क से हुआ। यह वैवाहिक समारोह पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गया।
महुआंव पांडेय निवासी मंगला शर्मा की पुत्री सुनीता शर्मा की शादी मदैनिया करमा निवासी दिवाकर शर्मा के पुत्र प्रभाकर शर्मा से पूरे रीति-रिवाज से संपन्न हुई।इस शादी की सबसे खास बात यह रही की बरातियों की संख्या महज पांच थी। घराती पक्ष की तरफ से भी सिर्फ पांच लोग ही इस विवाह में शामिल हुए। शादी में शारीरिक दूरी का भी पूरी तरह से पालन किया गया। शादी के दौरान दूल्हा दुल्हन ने मास्क लगाकर सात फेरे लिए। ङ्क्षजदगी भर एक दूजे के साथ रहने की कसमें खाई। लड़की के पिता मंगला शर्मा ने बताया कि शादी पहले से ही तय थी। बहुत लोगों ने सलाह दिया की जब तक कोरोना वायरस का प्रसार खत्म नहीं हो जाता शादी कुछ महीनों के लिए रद कर दी जाए। मेरे मन में आया की शादी रद करने की बजाय उसी तिथि पर की जाए और नियमों का पूरी तरह से पालन किया जाए। इसलिए मैंने न तो कोई कार्ड बांटा न ही किसी तरह की व्यवस्था की। लड़के पक्ष के लोग भी पूरी तरह से हमारे साथ थे। जिसकी वजह से यह शादी संपन्न हो सकी। बरात 11 बजे दिन में पहुंची। बारातियों का स्वागत फूल की जगह सैनिटाइजर व मास्क लगाकर किया गया। इस दौरान शारीरिक दूरी का भी पूरी तरह से पालन किया गया। शादी के लिए बकायदा स्वीकृति ली गई और दिन में ही शादी को संपन्न कराया गया। इस अवसर पर लड़की के बड़े पिताजी जगदीश शर्मा व लड़की के भाई कमलेश शर्मा ने भाई के रस्म को निभाया।
कोरोनावायरस ने कई वर-वधुओं के अरमान तोड़े
इस वर्ष कोरोना संक्रमण काल में लॉकडाउन से कई वर वधू के जोड़े बनते बनते रह गए। खरमास खत्म होते ही बड़ी संख्या में लोग वर की तलाश में निकलते हैं। अपनी कन्या के लिए सुयोग्य वर तलाश कर तिलक और शादी के कार्यक्रम संपन्न करते हैं। देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से वर तलाशने वाले लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। जिससे हजारों वर और वधुओं के जोड़े इस वर्ष बनने से वंचित रह गए। गिने चुने ही पुराने रिश्तों या नजदीकी संबंधों में पहले से तय किए गए विवाह संपन्न हो रहे हैं। ग्रीष्म ऋतु में जहां एक एक लग्न तिथियों पर सैकड़ों शादियां होती रही हैं वहीं इस वर्ष दो चार शादियां सादे समारोह में औपचारिक रूप से पूरी कराई जा रही हैं। खरौना के कर्मकांडी ब्राह्मण चंद्रभान मिश्र ने कहा कि क्षेत्र में शादी तय कराने वाले तिलकहरुओं की आमद नहीं हो पाने से कई जोड़ों को अगले वर्ष तक की प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। इस वर्ष शादियों की संख्या न के बराबर है। हालांकि जोडिय़ां ऊपर वाले ही तय करते हैं लेकिन संबंधों को तलाशने वाले बुजुर्गों और कन्या पक्ष के अभिभावकों के आवागमन पर रोक से कई वर और वधू को इस वर्ष सुहाग का जोड़ा नसीब नहीं हो पाएगा।