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फ‍िर चर्चा में सोनभद्र का उभ्भा गांव, 11 लोगों के नरसंहार के बाद 55 ग्रामीणों पर भी एफआइआर का आदेश

घोरावल कोतवाली क्षेत्र के उभ्भा गांव में 17 जुलाई को हुए नरसंहार मामले में एक अक्‍टूबर के बाद से अब नया मोड़ सामने आने लगा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 12:08 PM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 12:08 PM (IST)
फ‍िर चर्चा में सोनभद्र का उभ्भा गांव, 11 लोगों के नरसंहार के बाद 55 ग्रामीणों पर भी एफआइआर का आदेश
फ‍िर चर्चा में सोनभद्र का उभ्भा गांव, 11 लोगों के नरसंहार के बाद 55 ग्रामीणों पर भी एफआइआर का आदेश

सोनभद्र, जेएनएन। घोरावल कोतवाली क्षेत्र के उभ्भा गांव में 17 जुलाई को हुए नरसंहार मामले में एक अक्‍टूबर के बाद से अब नया मोड़ सामने आने लगा है। मुख्य आरोपित ग्राम प्रधान यज्ञ दत्त के भाई निधि दत्त की पत्नी देवकली के वाद पर न्यायालय ने 55 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी करने के बाद गांव में फैसले की जानकारी आने के बाद से ही सुगबुगाहट शुरू हो गई है। अदालत की ओर से इस मामले में कुछ नामजद और लगभग 30-35 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमे का आदेश न्यायालय अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने घोरावल कोतवाली पुलिस को जारी किया है। अब पुलिस के लिए भी अदालत का यह फैसला नया सिरदर्द साबित हो रहा है।  

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अधिवक्ता शेषनारायण दीक्षित के मुताबिक 17 जुलाई को हुई घटना के बाद देवकली ने न्यायालय में वाद दाखिल कर कहा कि उसके परिवार व पट्टीदारों ने जमीन ली थी। उस जमीन पर उसी गांव के एक जाति विशेष के लोग काबिज होने के फिराक में लगे हुए थे। 17 जुलाई को जब बैनामा ली हुई जमीन पर देवकली के पति व परिवार के अन्य लोग ट्रैक्ट्रर लेकर खेती करने गए तो वहां गोलबंद होकर जाति विशेष के लोगों ने लाठी-डंडे, तीर-धनुष से हमला कर दिया। उनके साथ उनके कुछ रिश्तेदार भी थे। इस दौरान अपना बचाव करने के लिए उनके पति व यज्ञदत्त ने फायरिंग की। दोनों पक्ष से लोग घायल हुए लेकिन पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई। देवकली के आवेदन पत्र पर सुनवाई करने के बाद न्यायालय ने कुल 55 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए आदेश दिया है जिसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। 

दो अक्‍टूबर को गांव में इस फैसले की जानकारी सामने आने के बाद गांव में एक बार फ‍िर से देश भर में सियासी हलचल मचाने वाला यह कांड चर्चा में आ गया। वहीं सियासी हलकों में भी अब नए सिरे से अदालत के इस फैलसे को लेकर मंथन और रणनीति शुरू हो गई है। हालांकि पुलिस प्रशासन की ओर से दो अक्‍टूबर को इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं किए जाने की जानकारी सामने आई है। जिला प्रशासन भी अब इस फैसले को लेकर मंथन करने में जुटा हुआ है कि बड़ी मुश्किल से थमा आक्रोश कहीं दोबारा न सिर उठा ले। 


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