सोनभद्र में कीटनाशक खाने से दो दर्जन गौरैया की मौत, बर्ड फ्लू नहीं इंसानी हरकतें
जुगैल थानांतर्गत छितिकपुरवा में शनिवार सुबह दो दर्जन गौरैया की मौत से सनसनी फैल गई। ग्रामीण अंकित के नीबू के पौधे पर बैठी गौरैया अचानक गिरने लगी। देखते-देखते दो दर्जन के करीब गौरैया की मौत हो गई। ग्रामीणों ने तत्काल सूचना जुगैल पुलिस और पशु चिकित्सा विभाग को दी।
सोनभद्र, जेएनएन। जुगैल थानांतर्गत छितिकपुरवा में शनिवार सुबह दो दर्जन गौरैया की मौत से सनसनी फैल गई। ग्रामीण अंकित के नीबू के पौधे पर बैठी गौरैया अचानक गिरने लगी। देखते-देखते दो दर्जन के करीब गौरैया की मौत हो गई। ग्रामीणों ने तत्काल मामले की सूचना जुगैल पुलिस और पशु चिकित्सा विभाग को दी। मौके पर पहुंचे पशु मित्र राम सूरत ने सैम्पल के तौर पर दो मृत गौरैया को लेने के साथ अन्य को मिट्टी में दफना दिया।
ग्रामीण अंकित ने बताया कि इससे पहले इसी गांव में कई कबूतर और धवर पक्षी की भी मौत हुई थी। शनिवार सुबह नीबू पर बैठी गौरैया अचानक गिरने के बाद तड़पने लगी। गौरैया के मौत के संबंध में पशु चिकित्सक डा. संजय ङ्क्षसह ने बताया कि बर्डफ्लू से इनकी मौत नहीं हुई है। वर्तमान में तमाम खेतों में कीटनाशक का प्रयोग किया जा रहा है। इन्हीं कीटनाशक युक्त फसलों के सेवन करने के कारण पक्षियों की मौत हो रही है। इसके अलावा भीषण ठंड के कारण भी पक्षियों की सेहत पर असर पड़ रहा है।
नहीं संभले तो गौरेया भी होंगी खत्म
अवैज्ञानिक तरीके से कीटनाशकों का उपयोग जीव-जंतुओं के लिए काल के समान साबित होने लगे हैं। हमारे-आपके सामने कई जीव देखते-देखते विलुप्त भी हो गए। कुछ विलुप्त होने के कगार पर हैं, बावजूद विभागीय उदासीनता के कारण लोगों द्वारा खेतों में मनमाने ढंग से कीटनाशकों का उपयोग किया जा रहा है।