मंडुआडीह से नई दिल्ली जाने वाली शिवगंगा एक्सप्रेस में एक ही सीट के आए दो दावेदार
मंडुआडीह से नई दिल्ली जाने वाली शिवगंगा एक्सप्रेस 02559 में बुधवार को उस समय हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो गई जब एक ही सीट के दो दावेदार पहुंच गये।
वाराणसी, जेएनएन। मंडुआडीह से नई दिल्ली जाने वाली शिवगंगा एक्सप्रेस 02559 में बुधवार को उस समय हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो गई जब एक ही सीट के दो दावेदार पहुंच गये। उस सीट पर पहले से बैठे एक युवक को ट्रेन के अंदर पहुंचे एक बुजुर्ग व्यक्ति ने उन्हें उस सीट से हटने को कहा तो उक्त युवक ने कहा कि यह सीट मेरे नाम से आरक्षित है। जिस पर बुजुर्ग व्यक्ति ने भी अपना टिकट दिखाया उनका भी कोच नम्बर व सीट नम्बर वही था। इस पर दोनों लोगों में बहस होने लगी। देखते ही देखते आसपास मौजूद यात्रियों ने टिकट निरीक्षक को सूचना दी। मौके पर पहुंचे टिकट निरीक्षक ने दोनों लोगों का टिकट चेक किया तो बुजुर्ग व्यक्ति का टिकट 3 जून का ना होकर 4 जून का था जिस पर टिकट निरीक्षक ने बुजुर्ग को बताया की आपका टिकट गुरुवार का है तब जाकर मामला शांत हुआ।
दो लाइन बनवाकर स्टेशन परिसर में दी गयी एंट्री
बुधवार को शिवगंगा से जाने वाले यात्रियों की दो लाइन बनाकर स्टेशन परिसर में एंट्री दी गई। जहां पर थर्मल स्कैनिंग के बाद हाथ सेनेटाइजेशन कराते हुए उनका टिकट चेक कर उन्हें उनके कोच की तरफ जाने दिया गया।
आधी खाली सीटों के साथ गर्इ शिवगंगा
बुधवार को शिवगंगा के ए सी कोच, स्लीपर व जनरल कोच की 1460 सीटों पर केवल 810 यात्रियों ने अपना आरक्षण करवाया था जिसके चलते आधी ट्रेन खाली गई । इसके पूर्व बुधवार को सुबह 6 बजकर 55 मिनट पर नई दिल्ली मंडुआडीह शिवगंगा एक्सप्रेस 02560 आयी जिसमे 1268 यात्री मंडुआडीह स्टेशन पर उतरे और उनकी थर्मल स्कैनिंग करके उनको बाहर जाने दिया गया।
260 यात्रियों के साथ रवाना हुई कामायनी स्पेशल
महानगरों में फैली महामारी के चलते यात्री इनदिनों दिल्ली और मुंबई की तरफ रुख करने से कतरा रहे हैं। बुधवार को वाराणसी जंक्शन से प्रस्थान हुई कामायनी स्पेशल ट्रेन में महज 260 यात्री ही सवार थे। इस ट्रेन से मुंबई जाने के लिए 307 यात्रियों ने आरक्षण कराया था। प्रस्थान करने से पूर्व सभी यात्रियों को सुरक्षा व्यवस्था के बीच थर्मल स्कैनिंग कराया गया। द्वितीय प्रवेश द्वार से किसी को अंदर आने की अनुमति नहीं दी गई।
श्रमिकों से भी कम रहा आंकड़ा
श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सफर कर रहे श्रमिकों की तुलना में नियमित विशेष ट्रेनों को यात्री नहीं मिल रहे हैं। आम दिनों में जून माह में इस ट्रेन में कंफर्म टिकट पाने वालों की मारामारी होती थी।
आ अब लौट चले
केराकत निवासी दिनेश साहू ने बताया कि चार साल पहले मुंबई गए तो टैक्सी चलाना शुरू कर दिया। आज उनकी अपनी दो टैक्सी है। कहते हैं कि कितने दिन पेट को शांत रखेंगे। दीनदयाल उपाध्याय नगर के रहने वाले शमशुद्दीन मुंबई में पान की दुकान लगाते हैं कहा कि बहुत दिन दुकान बंद कर लिया। घर पर रहने से पेट नहीं भरेगा इसलिए वापस जा रहा हूं। कमलेश पांडेय रामनगर के रहने वाले हैं कहते हैं कि वहां पर एक सेठ की दुकान पर काम करता था छुट्टी लेकर आया अब सेठ बुला रहें हैं।