वाराणसी में बैंक फर्जीवाड़ा में मुख्य साजिशकर्ता समेत दो गिरफ्तार, केनरा बैंक की शाखाओं में धोखाधड़ी
केनरा बैंक की शाखाओं में नकली सोना जमा कर गोल्ड लोन लेने के फर्जीवाड़ा में मंडुआडीह पुलिस ने मंगलवार को भिखारीपुर हाइडिल के पास से मुख्य साजिशकर्ता व बैंक के अधिकृत स्वर्ण मूल्यांकन कर्ता रवींद्र सेठ समेत दो को गिरफ्तार किया है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। केनरा बैंक की शाखाओं में नकली सोना जमा कर गोल्ड लोन लेने के फर्जीवाड़ा में मंडुआडीह पुलिस ने मंगलवार को भिखारीपुर हाइडिल के पास से मुख्य साजिशकर्ता व बैंक के अधिकृत स्वर्ण मूल्यांकन कर्ता रवींद्र सेठ समेत दो को गिरफ्तार किया है। इनके द्वारा बैंक को 85 लाख रुपये की चपत लगाई गई है। मूल्यांकन कर्ता आदमपुर के कोनिया का रहने वाला है। वहीं गिरफ्तार दूसरा आरोपित विजय प्रजापति लक्सा थाना क्षेत्र के जद्दूमंडी का निवासी है। पुलिस ने यह कार्रवाई इलेक्ट्रानिक सर्विलांस व मुखबिर के जरिए की। इस मामले में 10 आरोपित गत 22 अगस्त को जेल भेजे जा चुके हैं, जबकि एक ने कोर्ट में समर्पण किया था। इस फर्जीवाड़ा में मंडुआडीह में दो व कैंट थाने में एक मुकदमा दर्ज किया गया था, जिसमें 17 लोग आरोपित बनाए गए हैं। चार आरोपितों की तलाश अब भी पुलिस कर रही है।
प्रति लोन पर मिलते थे 25 हजार
रवींद्र सेठ ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि वह केनरा व आइसीआइसीआइ बैंक की कई शाखाओं में अधिकृत स्वर्ण मूल्यांकन कर्ता के रूप में कार्यरत था। कोविड -19 महामारी के दौर में उसकी दोस्ती पूर्व में गिरफ्तार आरोपित प्रतीक रस्तोगी से हुई थी। दोनों ने पैसा कमाने के लिए साजिश रची। उसने प्रतीक को बताया कि वह केनरा बैंक की शाखाओं में स्वर्ण मूल्यांकन कर्ता है, यदि वह कम कैरेट के सोने के आभूषण बैंक की लहरतारा व अर्दली बाजार शाखा में जमा कराएगा तो उसे गोल्ड लोन आसानी से पास करा देगा।
आभूषण की शुद्धता की जांस उसे ही करनी है। साजिश के तहत प्रतीक रस्तोगी ने अपने जानने वाले कई लोगों के आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज लेकर उन्हें भी पैसे का लालच दिया। प्रतीक नकली सोने के आभूषण देकर उन्हें बैंक की शाखाओं में गोल्ड लोन के लिए भेजता था। लोन पास पास हो जाता था, क्योंकि उनकी शुद्धता की जांच वह खुद करता था। पैसा सीधे लोन लेने वाले के बैंक खाते में जाता था, जिसे प्रतीक उन लोगों के खाते से पैसा निकलवा कर शर्त के अनुसार पांच से 10 हजार रुपये कमीशन के रूप में दे देता था। उसे भी प्रति लोन पर 20 से 25 हजार रुपये मिलते थे। शेष पैसा प्रतीक प्रतीक अपने पास रखता था। इस मामले में पुलिस के सक्रिय होने पर वह अपने साथी विजय प्रजापति के साथ मुंबई भागने के फिराक में था कि तभी पकड़ लिया गया।