सोनभद्र के बिल्ली- मारकुंडी घाटी में 2012 में 12 और 2015 में आठ श्रमिकों की हो चुकी है मौत
सोनभद्र में खनन और उसपर भी मानक विहीन अवैध खनन की वजह से हादसों का लंबा दौर जिला झेल चुका है। यहां पर लाशों के ढेर पर अवैध खनन करने का दस्तूर काफी पुराना है।
सोनभद्र, जेएनएन। जिले में खनन और उसपर भी मानक विहीन अवैध खनन की वजह से हादसों का लंबा दौर जिला झेल चुका है। यहां पर लाशों के ढेर पर अवैध खनन करने का दस्तूर काफी पुराना है। खनन के मानक को ताख पर रखकर कीतमी पत्थरों का खनन लंबे समय से धड़ल्ले से होता रहा है। हालांकि प्रशासन की सख्ती पर कुछ माह तक खदान संचालक सही रास्ते को अख्तियार करते हैं लेकिन कुछ दिनों बाद सब कुछ पुराने ढर्रे पर वापस चल पड़ता है। पत्थर खदानों में विस्फोट की कहानी भी अवैध खनन से जुदा नहीं है।
ओबरा थाना क्षेत्र के बिल्ली मारकुंडी रासपहरी में अवैध खदान में 27 फरवरी 2012 को पूरी पहाड़ी ही भरभरा कर गिर गई थी। इस हादसे में काम कर रहे 11 श्रमिक कार्य स्थल पर ही दफन हो गए थे। इन श्रमिकों के शरीर से मांस का हिस्सा मिला था। एक घायल श्रमिक की उपचार के दौरान मौत हो गई थी। दिल को दहला देने वाले इस हादसे के बाद भी अवैध खनन व मानक की अनदेखी खत्म नहीं हुई थी और इसके बाद 15 अक्टूबर 2015 को एक और खदान हादसे ने आठ श्रमिकों को लील लिया था। अवैध खनन के साथ ही विस्फोट की घटनाएं भी बिना लेखा-जोखा के जनपद में होती रहीं है।
ओबरा के बिल्ली-मारकुंडी में अवैध तरीके से विस्फोट से आठ श्रमिकों की मौत हुई थी। मानक से कहीं अधिक खनन से खाई में तब्दील हुई खदानों में खड़ी पहाड़ी पर विस्फोट के लिए ड्रिल करना किसी जंग में जाने से भी खतरनाक होता है। अवैध खनन व मानक की अनदेखी का ही नतीजा रहा है कि पत्थर खदानों में बड़े-बड़े हादसे होते रहे हैं। ओबरा का बिल्ली मारकुंडी हो या फिर डाला का बारी क्षेत्र वैध खदानों से अधिक यहां अवैध खदानें हैं, लेकिन प्रशासन व संबंधित महकमे की सख्ती के चलते अवैध खदानों का संचालन कम हुआ है और हादसों में कमी भी आई है।
खनन के लिए तय हैं यह मानक
-पारेषण लाइन के टावर से 50 मीटर के दायरे में खनन नहीं होना चाहिए।
-रात में नहीं हो सकता खनन।
-किसी बस्ती के सौ मीटर दायरे में नहीं हो सकता खनन।
-खनन में मशीनों मसलन पोकलेन, जेसीबी का प्रयोग है वर्जित।
-गहराई में नहीं समानांतर खनन ही है वैध।
-खदान में एक साथ दो वाहनों के आने-जाने का हो संपर्क मार्ग।
-खनन क्षेत्र में पेयजल, चिकित्सा का हो पर्याप्त इंतजाम।
-धूल से बचाव के लिए खदान में होता रहे पानी का छिड़काव।
-10 मीटर गहरी खदानों में खनन प्रतिबंधित।
-एक खदान में 20 मजदूर से अधिक नहीं कर सकते काम।
-दो टीपर से अधिक वाहनों से ढुलाई नहीं।
-एक खदान में 80 होल से अधिक की ब्लाङ्क्षस्टग नहीं।
-मजदूरों की सुरक्षा के लिए हेलमेट व बेल्ट जरूरी।
-श्रम अधिनियम के तहत मजदूरों का हो मानदेय।