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नए रेल ट्रैक से ट्रेनों का परिचालन शुरू, काफी परिश्रम के बाद भी नहीं ठीक हो पाया पुराना रेलवे ट्रैक Ballia news

नए ट्रैक से रेल परिचालन सेवा शुरू हो गई है। 24 घंटे बाद दोहरीकरण के लिए बिछाई गई नई लाइन पर मालगाड़ी का ट्रायल करने के बाद परिचालन शुरू किया गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 05 Oct 2019 06:12 PM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 07:15 AM (IST)
नए रेल ट्रैक से ट्रेनों का परिचालन शुरू, काफी परिश्रम के बाद भी नहीं ठीक हो पाया पुराना रेलवे ट्रैक Ballia news
नए रेल ट्रैक से ट्रेनों का परिचालन शुरू, काफी परिश्रम के बाद भी नहीं ठीक हो पाया पुराना रेलवे ट्रैक Ballia news

बलिया, जेएनएन। वाराणसी-छपरा रूट पर नए ट्रैक से रेल परिचालन सेवा शुरू हो गई है। 24 घंटे बाद दोहरीकरण के लिए बिछाई गई नई लाइन पर मालगाड़ी का ट्रायल करने के बाद परिचालन शुरू किया गया। अभी इस रूट पर सभी ट्रेनों का परिचालन नहीं होगा। ट्रैक के दोनों तरफ से पानी का दबाव बने रहने के कारण 59 से 61 किमी पिलर तक दो किमी की जमीन दलदली हो गई है। 

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इस कारण पुरानी लाइन पर मरम्मत कार्य में बांधा बनी हुई है। शुक्रवार की रात से ही डीआरएम बीके पंजियार मौके पर कैम्प किए हुए है। उनकी देखरेख में कर्मचारियों ने ट्रैक पर पानी का दबाव कम करने के लिए ट्रैक के दोनों तरफ बोल्डर लगाने का कार्य युद्धस्तर पर चलता रहा। सुबह से मौसम साफ होने व धूप निकलने से मरम्मत कार्य में लगे कर्मचारियों के चेहरे पर मुस्कान दिखा। परिचालन बहाल करने के दबाव में अधिकारियों ने निर्णय लिया कि उक्त क्षतिग्रस्त रेल पटरी को छोड़ कर नई दूसरी लाइन जो अभी निर्माणाधीन है उसे ही तत्काल प्रभाव से ठीक कर इस्तेमाल में लाया जाए। इससे एक तो तत्काल परिचालन बहाल हो जाएगा। दूसरे इस समस्या के पुनरावृत्ति की संभावना भी काफी हद तक कम हो जाएगी। काफी विमर्श के बाद प्रिंसिपल चीफ इंजीनियर ने इस निर्णय को स्वीकृति दी और देर रात से ही पूरा यांत्रिक अमला सक्रिय हो गया। दोपहर बाद नए रेलवे ट्रेक से परिचालन शुरू कर दिया गया। 

नई लाइन पर नहीं चलेंगी इलेक्ट्रिक ट्रेनें  

डीआरएम की उपस्थिति में दोहरीकरण के लिए बिछाई गई नई रेलवे ट्रैक पर दोपहर बाद मालगाड़ी का ट्रायल किया। सब कुछ सही पाए जाने पर परिचालन शुरू कर दिया गया। पुरानी लाइन ठीक होने तक नई लाइन पर डीजल इंजन से परिचालन होता रहेगा। नई लाइन के उपर इलेक्ट्रिक लाइन नहीं बिछाई गई है। इसलिए इस रूट पर इलेक्ट्रिक ट्रेनों का परिचालन ठप्प रहेगा। राजधानी, सेनानी सहित कई लम्बी दूरी की ट्रेनें इलेक्ट्रिक इंजन से चलाई जाती थी जो अब डीजल इंजन से चलेंगी।  

मिट्टी की फिसलन पर नहीं जमे रेलवे के पांव 

अपनी पुरानी आदत से वर्षो से रेलवे को परेशान करने वाली बोहा की दलदली मिट्टी ने बीते एक सप्ताह में पूरे रेल महकमें की। रातों की नींद उड़ा दी। बीते रविवार से शुरू हुई समस्या पर काफी मेहनत के बाद रेलवे ने कुछ हद तक कामयाबी पाई लेकिन यह इंतजाम महज 90 घंटो के भीतर आधे अधूरे परिचालन को भी नहीं झेल पाया। नतीजतन शुक्रवार को एक बार फिर 4008 डाउन सदभावना के बांसडीहरोड से बलिया पहुचने की कवायद में पटरियों ने ऐसा तमाशा दिखाया कि मौके पर काम करवा रहे रेल पथ निरीक्षकों की सांसे फूलने लगी।

इसके बाद तत्काल कंट्रोल को सूचना प्रेषित की गई और उक्त सेक्शन को तत्काल ब्लाक कर दिया गया। इसके बाद मौके पर जमीन में धंसी पटरियों को देखकर रेलवे के अधिकारी भी अचंभित हो गए कि आखिरकार इस ट्रैक से रेल सकुशल गुजर कैसे किया गया। इसके लिए जिम्मेदारों को अधिकारियों की फटकार भी सुनने को मिली कि आखिरकार इस हाल में यात्रियों से भरी रेलगाड़ी को लाइन क्लियर कैसे मिल गया। फिलहाल किसी अप्रिय घटना के ना होने से इस तरफ लोगों का ध्यान नहीं जा सका। लेकिन उक्त समस्या में कई गयी लापरवाही पर अधिकारियों ने सख्त तेवर दिखाए हैं। फिलहाल उक्त जमीन ने रेलवे की पूरी यांत्रिक व्यवस्था को सीधी चुनौती दे डाली है।


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