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यूपी के पहले दलदली ट्रैक पर 50 की रफ्तार से दौड़ी ट्रेन, बलिया-बांसडीहरोड रेलखंड को आस्ट्रिया के बैडफारमेशन ट्रीटमेंट से बनाया गतिमान

बलिया से बांसडीहरोड रेलखंड पर तीन किलोमीटर (किमी संख्या 59 से 62) का हिस्सा दलदली है। इसे पार करते समय यात्रियों की सांसें थम सी जाती थीं। इस खतरनाक ट्रैक को 50 किमी की रफ्तार से दौडऩे लायक बना दिया गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 20 Jul 2021 09:10 AM (IST)Updated: Tue, 20 Jul 2021 09:10 AM (IST)
यूपी के पहले दलदली ट्रैक पर 50 की रफ्तार से दौड़ी ट्रेन, बलिया-बांसडीहरोड रेलखंड को आस्ट्रिया के बैडफारमेशन ट्रीटमेंट से बनाया गतिमान
बलिया-बांसडीह रोड रेल खंड के पिलर नंबर 59 से 62 के मध्य नए ट्रैक से गुजरती ट्रेन ।

बलिया, संग्राम सिंह। बलिया से बांसडीहरोड रेलखंड पर तीन किलोमीटर (किमी संख्या 59 से 62) का हिस्सा दलदली है। इसे पार करते समय यात्रियों की सांसें थम सी जाती थीं। यहां ट्रेन 10 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा की रफ्तार से ही चल पा रही थी, लेकिन अब इस खतरनाक ट्रैक को 50 किमी की रफ्तार से दौडऩे लायक बना दिया गया है। यह मुमकिन हुआ है बैडफारमेशन ट्रीटमेंट से।

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दरअसल यहां काली मिट्टी का क्षेत्र है और ट्रैक पानी से घिरा है। यह इलाका डूब क्षेत्र घोषित है। रेलवे इसका दोहरीकरण कर रहा है। दो साल पहले वर्ष 2019 में यह ट्रैक धंस गया था। इसके चलते ट्रेनें दूसरे रेलमार्ग से गुजारी जाने लगीं, लेकिन समस्या बढ़ती गई। आरडीएसओ (रेलवे डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन) ने सर्वे के बाद बैडफारमेशन ट्रीटमेेंट (आस्ट्रिया की तकनीक) से ट्रैक को गतिमान बनाने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। दिल्ली की एचएमबीएस टेक्सटाइल प्राइवेट लिमिटेड को प्रोजेक्ट का जिम्मा सौंपा गया। जीओ ग्रिड और जीओ टेक्सटाइल की मदद से बेहतर ट्रैक तैयार कर लिया गया है।

ऐसे हुआ दलदल ट्रैक का बैडफारमेशन ट्रीटमेंट

ट्रैक के नीचे की काली मिट्टी डेढ़ मीटर गहराई तक निकाली गई। आठ मीटर चौड़ा क्षेत्र समतल किया गया। फिर जीओ टेक्सटाइल फाइबर टुकड़ा बिछाया गया। इस पर सफेद बालू की मोटी लेयर चढ़ाई गई। इसके ऊपर तीन किलोमीटर लंबा और आठ मीटर चौड़ा जीओ ग्रिड फाइबर बिछाया। फिर जीरो से 20 एमएम तक आकार के मिक्स स्टोन चिप्स (विशेष स्वायल) की करीब डेढ़ मीटर मोटी परत चढ़ाई गई है। इसके ऊपर गिट्टी बिछाकर स्लीपर और पटरी रखकर जाम कर दिया गया। बलिया से छपरा तक दोहरीकरण कार्य 450 करोड़ रुपये के खर्च से किया जा रहा है।

असोम, महाराष्ट्र और राजस्थान में हुआ इस तकनीक पर काम

पूर्वोत्तर रेलवे के निर्माण इकाई के अधिशासी अभियंता शिवशरण ने बताया कि उत्तर प्रदेश में यह तकनीक नई है। इस विधि से आइडीएसओ वसई रोड से कल्याण (महाराष्ट्र) व पुणे अहमदनगर रेल खंड (महाराष्ट्र), बंगलुरू से हसन रेल खंड (कर्नाटक) जबकि वलसद से बड़ोदरा रेलवे लाइन (गुजरात) पर प्रभावी की गई है। उप्र में कई इलाके हैं, जहां इससे ट्रैक को ठीक किया जा सकता है।

हरियाणा से मंगाया जीओ ग्रिड

प्रोजेक्ट में प्रयुक्त जीओ ग्रिड को हरियाणा के सोनीपत से मंगाया गया था। यह प्लास्टिक का जाल होता है। उच्च गुणवत्ता की प्लास्टिक होने से इसकी स्ट्रेंथ अधिक होती है। सडऩे का खतरा नहीं होता। जीओ टेक्सटाइल भी हरियाणा से आई। यह विशेष तरह के टेक्सटाइल (प्लास्टिक कोटेट) लेयर होती है, जो पानी को रोकता है।

ट्रैक को और तेज बनाने की कोशिश चल रही है

यह प्रयोग फिलहाल बलिया से छपरा रेलखंड स्थित बांसडीहरोड के पास सफल हो गया है। इस ट्रैक को और तेज बनाने की कोशिश चल रही है।

-विवेक नंदन, अधिशासी अभियंता, बलिया निर्माण, पूर्वोत्तर रेलवे।


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