वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन का हाल - 'ई बनारस हौ, प्लेटफार्म के बहरवें रुक जाला कइयो डिब्बा'
कैंट रेलवे स्टेशन पर सुबह 11 बजे फरक्का एक्सप्रेस प्लेटफार्म नंबर 4 पर खड़ी तो हुई लेकिन स्टेशन छोटा होने की वजह से कुछ बोगियां बाहर ही रह गई जिससे यात्रियों को परेशानी हुई।
वाराणसी, जेएनएन। कैंट रेलवे स्टेशन पर सोमवार को सुबह 11 बजे फरक्का एक्सप्रेस के खड़ी होने पर जनरल कोच में सवार नथुनी प्रसाद गेट से देखे तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। उनकी जुबां से बोल फूटा ट्रेन हियें रुक गेलई ..। एक अन्य यात्री के सामान को प्लेटफार्म तक पहुंचाने को मौजूद कुली ने उनकी सुन बोला ई बनारस हौ, प्लेटफार्म के बहरवें रुक जाला ट्रेन क कई डिब्बा। परेशान गरीब परिवार आनन-फानन में ट्रैक पर उतरकर प्लेटफार्म की ओर बढ़ चला। फरक्का एक्सप्रेस सोमवार को प्लेटफार्म नंबर चार पर आकर रुकी।
उसके करीब आठ से दस कोच प्लेटफार्म के बाहर ही खड़े थे। जनरल कोच में बैठे नथुनी अपने कोच के प्लेटफार्म पर पहुंचने का इंतजार कर रहे थे। उन्हें बनारस में ही परिवार के साथ उतरना था। कोच में ही बैठे दूसरे लोगों का सामान उतरने लगा तो कौतूहलवश गेट से बाहर देखे तो प्लेटफार्म करीब 50 मीटर दूर नजर आया, जहां यात्री उतर एवं चढ़ रहे थे। बोले ट्रेन हियें रुक गेलई ..तो कुली ने जवाब दिया ई बनारस हौ, उतर जा ..। यात्री सुरक्षा को सर्वोपरि रखने वाले भारतीय रेल की बनारस में जमीनी सच्चाई यही है।
प्लेटफार्म के बाहर पार्सल पैकेटों के पहाड़, प्लेटफार्म पर पहुंचने को 50 से 60 मीटर तक गिट्टियों पर चलना यात्रियों के लिए आए दिन की मजबूरी बन गई है। रेलवे प्रशासन इन परेशानियों से अवगत भी है, लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा। री-मॉडलिंग योजना जमीन पर उतरते ही समस्याओं का निदान हो जाएगा। लेकिन कब, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। मंडुआडीह को लोहता से जोड़ने के लिए रेल अधिकारी कई बार टाइम लाइन जारी करने बावजूद उसे पूरा नहीं कर सके हैं। योजना के बेहद सुस्त अंदाज में जमीन पर उतरने से परेशानियां रोज मुंह बाए खड़ी रहतीं हैं।