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बलिया में बाढ़ की त्रासदी ; कल तक था सुंदर आशियाना, अब सड़क ही लोगों का ठिकाना

बाढ़ की त्रासदी से बलिया की एक बड़ी आबादी दुश्वारियों की जिंदगी जी रही है। कहीं मकान गिर रहे हैं तो कहीं घरों में बाढ़ का पनी प्रवेश कर जाने से सबकी जिंदगी ही नारकीय हो चली है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 10:15 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 09:22 AM (IST)
बलिया में बाढ़ की त्रासदी ; कल तक था सुंदर आशियाना, अब सड़क ही लोगों का ठिकाना
बलिया में बाढ़ की त्रासदी ; कल तक था सुंदर आशियाना, अब सड़क ही लोगों का ठिकाना

बलिया [लवकुश सिंह]। बाढ़ की त्रासदी से बलिया की एक बड़ी आबादी दुश्वारियों की जिंदगी जी रही है। कहीं मकान गिर रहे हैं तो कहीं घरों में बाढ़ का पनी प्रवेश कर जाने से सबकी जिंदगी ही नारकीय हो चली है। कटान के मुहाने पर खड़े घरों के लोग अपने हाथों ही अपना आशियाना उजाड़ रहे हैं। अपना आशियाना उजाड़ते समय पीडि़तों की मन रो रहा है। लेकिन उनके सामने अब दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है। जिले में लगभग 145 गांव अब बाढ़ की विभिषिका झेल रहे हैं। कटान के मुहाने पर स्थित बस्तियों में कल तक जहां बच्चे खेलते नजर आते थे, आलीशान मकान बस्ती की शोभा बढ़ाते थे, बुजुर्ग गांव की पगडंडियों पर टहलते नजर आते थे, गांव के बाजार जिसे गांव की भाषा में लोग चट्टी कहते हैं, वहां लोगों की हेमशा भीड़ रहती थी, अब वहां सबकुछ बदल गया है। जीवन भर मेहनत कर बनाए हुए मकान नदी में लगातार समाहित हो रहे हैं।

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कटान के मुहाने पर खड़े जिनके घर अभी नदी में समाहित नहीं हुए हैं, वे अपने घरों को तोडऩे के लिए अब मजदूर तक लगाए हैं। घर उजडऩे के बाद सभी का नया ठिकाना एनएच-31 सड़क बन गया है। घर का सामान सड़क पर बिखरा पड़ा है, भोजन बनाने के साधन भी उनके पास नहीं है। आसपास के गांव के लोग मदद लगे हैं। पीडि़तों के यहां तक सत्ता और विपक्ष के नेताओं के पांव जरूर पहुंच रहे हैं, लेकिन जिस तरह की मदद पीडि़तों को चाहिए वैसी मदद होती अभी भी नहीं दिख रही है। जयप्रकाशनगर, चांददियर से लेकर दूबे छपरा, केहरपर, मझौंवा, शहर व भरौली तक अब 145 गांवों की आबादी बाढ़ के चेपट में आ चुकी है। जिले में किसानों के हजारों एकड़ फसल भी नष्ट हो गए हैं। इसकी भरपाई सरकार करेगी या सभी को खद ही यह नुकसान सहना पड़ेगा, अभी कुछ कहा नहीं जा सकता।   

विभागीय लापरवाही से डूबे ये गांव

सुघर छपरा, चौबेछपरा, उदईछपरा, केहरपुर, गोपालपुर, दुबेछपरा, प्रसाद छपरा, बुधनचक, पांडेयपुर, गुदरी सिंह के टोला, मुरली छपरा, चिंतामणि राय के टोला, मिश्र गिरि के मठिया, मिश्र के हाता सहित एक दर्जन से अधिक गांवों की लगभग 40 हजार की आबादी तो अकारण प्रशासनिक लापरवाही के कारण दूबे छपरा रिंग बंधा टूटने के कारण बाढ़ के पानी में डूबने और उतराने लगी। अब इस गांव के भी अधिकांश लोग एनएच-31 पर शरण लिए हैं।

गंगा तट पर भगवान टोला में दहशत

जयप्रकाशनगर में भगवान टोला तो एकदम से गंगा नदी के तट पर है। कब नदी किसका घर बहा ले जाएगी कुछ कहा नहीं जा सकता। वहां से बलिया की ओर चलने पर इब्राहिमाबाद नौबरार, सिताबदियारा के लोग बीएसटी बांध पर प्लास्टिक का तिरपाल टांग सड़क मिले। सुविधाओं के बारे में पूछने पर बताया कि अभी तक तो कोई पूछने भी नहीं आया। बीएसटी बांध पर किनारे प्लास्टिक डाल कर अपने पूरे परिवार के साथ सभी अपना दिन काट रहे हैं।

कटान व बाढ से अब तक 42 मकान स्वाहा

बैरिया तहसील के केहरपुर में उच्च प्राथमिक विद्यालय सुघरछपरा, पानी टंकी केहरपुर, जच्चा-बच्चा केंद्र कटान में जाने के बाद जलेश्वर दुबे, जयप्रकाश ओझा, प्रभुनाथ ओझा, मदन ओझा के मकान भी नदी में समाहित हो चुके हैं। वहीं कटान के मुहाने पर स्थित अनिल ओझा, शिवजी सिंह, बब्लू ओझा ने अपना मकान खुद से उजाड़ा। इसी तरह चौबेछपरा में नंदजी यादव, लोहा यादव, शिवनाथ यादव, लल्लू यादव, राजेश यादव, अभिनंदन यादव, रविशंकर यादव, बेवा उर्मिला के मकान कटान में गिरे जबकि लखनदेव ङ्क्षसह, शिवजी शर्मा, ललन ओझा, निर्मल खरवार ने अपना मकान कटान में गिरने से पहले खुद से उजाड़ दिया।

बीएसटी बांध पर हमला बोल रही घाघरा

जिले के अंतिम छोर पर जयप्रकाशनगर जाने वाले मार्ग के बीएसटी बांध पर घाघरा भी लगातार हमला बोल रही है। यहां भी सठिया ढ़ाला के पास काफी खतरा है। हलांकि कटानरोधी कार्य यहां भी हुए हैं लेकिन उससे खतरा नहीं टला है। गंगा की तरह यदि घाघरा ने भी कटान के मामले में अपने तेवर तल्ख किए तो इस बांध के घेरे में तो लाखों की आबादी है। वहीं सिताबदियारा से भी सभी का संपर्क पूरी तरह टूट जाएगा। गनीमत है कि अभी पानी बढऩे के कारण वहां कटान नहीं हो रहा है। 


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