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मीरजापुर में रामसागर स्थल के विकास के लिए पर्यटन विभाग ने बनाई कार्ययोजना

विंध्य पर्वत श्रृंखला के शेरवां के पहाड़ पर स्थित रामसागर स्थल के विकास के लिए शासन के निर्देश पर पर्यटन विभाग द्वारा कार्ययोजना तैयार की जा रही है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 09 Sep 2020 11:22 AM (IST)Updated: Wed, 09 Sep 2020 05:52 PM (IST)
मीरजापुर में रामसागर स्थल के विकास के लिए पर्यटन विभाग ने बनाई कार्ययोजना
मीरजापुर में रामसागर स्थल के विकास के लिए पर्यटन विभाग ने बनाई कार्ययोजना

मीरजापुर, जेएनएन। जनपद के सुदूर उत्तर-पूर्व दिशा में विंध्य पर्वत श्रृंखला के शेरवां के पहाड़ पर स्थित रामसागर स्थल के विकास के लिए शासन के निर्देश पर पर्यटन विभाग द्वारा कार्ययोजना तैयार की जा रही है। पहाड़ी के स्थलीय सत्यापन के लिए पर्यटन विभाग के अधिकारियों का दल वहां पहुंच कर देख चुका है। क्षेत्रीय ग्रामीण इस स्थल के विकास के लिए लंबे समय से मांग कर रहे थे।पर्यटन विभाग की रामसागर पहाड़ी पर बढ़ी हरकत से लोगों की खुशी का ठिकाना ही नहीं रह गया है ‌।शेरवां,जाफरखानी, लठिया सहिजनी,भाईपुर कला एवं भोकरौंध सहित अन्य कई गांवों में रामसागर पहाड़ी के विकास के लिए चल रही चर्चा से गांवों में जश्र का माहौल है। लोगों का कहना है कि नक्सल प्रभावित इलाके में पर्यटन स्थल के विकास से क्षेत्रीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने में काफी सहूलियत मिलेगी।

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अगस्त महीने मे भाईपुर कलां गांव निवासी आरएसएस पदाधिकारी आलोक कुमार श्रीवास्तव ने उ. प्र. सरकार के पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी से मुलाकात कर प्रार्थना पत्र लेकर रामसागर स्थल को पर्यटन स्थल के रूप मे विकसित किए जाने की मांग किया था।अब पर्यटन विभाग द्वारा रामसागर पहाड़ी को पर्यटन स्थल के रूप मे विकसित करने की योजना से लोगों को रामसागर धाम के विकास की संभावनाओं को बल मिल गया है।

 

रामसागर स्थल का धार्मिक महत्व एवं मान्यता

रामसागर धाम की पहाड़ी पर 2 मार्च 1979 को स्वामी धरणीधर रामानुज खड़ेश्वरी महाराज की प्रेरणा से क्षेत्रीय जन सहयोग से दक्षिणामुखी हनुमान मंदिर का निर्माण कराया गया। रामसागर कुंड मे स्थित हनुमान मूर्ति को निकाल कर दक्षिणा मुखी हनुमान मंदिर के बगल मे छोटा मंदिर बनाकर प्रतिष्ठत किया गया है। मंदिर के पीछे अदृश्य जल स्रोत का एक जरकुंड है।इस कुंड मे बारहों माह पानी रहता है।मान्यता है कि इस कुंड मे हनुमान जी रात्रि में स्नान करते है।पहाड़ पर रहने वाले एवं आने वाले सैलानी इस कुंड का पानी सिर्फ पीने के लिए उपयोग करते है।

पहाड़ी पर देवताओं के पद चिन्ह के निशान

अदृश्य जलस्रोत के कुंड के बगल मे नीचे पत्थर पर देवताओं के पद चिन्ह के निशान अब भी अंकित है।लोगों की मान्यता है,कि पहाड़ पर दिखने वाले पदचिन्ह हनुमान जी के है। रामसागर धाम मंदिर के नीचे पहाड़ी पर रामसागर कुंड है,जिसमे पानी बारहों माह भरा रहता है।कुंड के पास एक कुंआ और शिव जी का प्राचीन मंदिर है।रामसागर कुंड में बरसात के बाद पहाड़ी झरने का पानी आता रहता है।मान्यता है, कि कुंड में स्नान कर दक्षिणा मुखी हनुमान का दर्शन करने से सारे मनोरथ पूर्ण होते है।

सावन मे मंदिर परिसर में होता है कजरी महोत्सव

सावन महीने मे रामसागर धाम मे कजरी महोत्सव एवं कवि सम्मेलन आयोजित किया जाता है। इसके अलावा अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

सावन माह मे सैलानियों  के चहल-पहल से रहता है गुलजार

बरसात के मौसम मे बारिश के बाद जब बरसाती पानी रामसागर कुंड मे गिरता है ,तो सैलानी उसका लुत्फ उठाने के लिए अक्सर यहां आते रहते है।सावन महीने मे क्षेत्रीय लोग कुंड के पास बाटी चोखा का लुत्फ उठाते है, और कुंड मे स्नान करते है।कुंड मे कलकल करता झरने का गिरता पानी सैलानियों को अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है। रामसागर धाम में बारिश से बचने के लिए धर्मशाला का भी निर्माण कराया गया है।धाम मे बिजली नहीं रहने से शाम के बाद अंधेरा छा जाता है। रामसागर धाम पहुंचने के लिए शेरवां से तीन किलोमीटर उबड़- खाबड़ पहाड़ी पगडंडी के रास्ते को तय कर जाना पड़ता है।

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शासन द्वारा रामसागर स्थल के विकास के लिए कार्ययोजना मांगी गई है।कार्ययोजना बनाकर जल्द ही शासन को प्रेषित किया जाएगा। -नवीन कुमार सिंह, पर्यटन सूचना अधिकारी, मीरजापुर।


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