Move to Jagran APP

मैसूर विश्‍वविद्यालय का आज शताब्‍दी वर्ष समारोह, जानिए BHU से क्‍या है संबंध

मैसूर विश्‍वविद्यालय के संस्‍थापक राजर्षि नालवडी कृष्‍णराज वाडियार का वाराणसी से भी खास रिश्‍ता रहा है। दरअसल मैसूर के राजा कृष्‍णराज वाडियार काशी हिंदू विश्‍वविद्यालय (बीएचयू) के पहले चांसलर थे और बीएचयू के हित में उन्‍होंने काफी कार्य किया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 01:06 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 05:23 PM (IST)
मैसूर विश्‍वविद्यालय का आज शताब्‍दी वर्ष समारोह, जानिए BHU से क्‍या है संबंध
दरअसल मैसूर के राजा कृष्‍णराज वाडियार काशी हिंदू विश्‍वविद्यालय (बीएचयू) के पहले चांसलर थे।

वाराणसी, जेएनएन। मैसूर विश्‍वविद्यालय के संस्‍थापक राजर्षि नालवडी कृष्‍णराज वाडियार का वाराणसी से भी खास रिश्‍ता रहा है। दरअसल मैसूर के राजा कृष्‍णराज वाडियार काशी हिंदू विश्‍वविद्यालय (बीएचयू) के पहले चांसलर थे। उनके द्वारा स्‍थापित मैसूर विश्‍वविद्यालय ने सोमवार को अपनी स्‍थापना का शताब्‍दी वर्ष भी पूरा कर लिया। माना जाता है कि महामना की बगिया बीएचयू की स्‍थापना के बाद से ही वह अपने राज्‍य में शिक्षा के प्रसार के लिए प्रयासरत थे और बीएचयू के बाद मैसूर विवि भी अस्तित्‍व में उनके प्रयासों से आया।

loksabha election banner

मैसूर के राजा के तौर पर कृष्‍णराज वाडियार ने वाराणसी में मदन मोहन मालवीय द्वारा बीएचयू की स्‍थापना के बाद पहले चांसलर के तौर पर उनकी नियुक्ति हुई थी। बीएचयू के हित में उन्‍होंने आर्थिक तौर पर बीएचयू को समृद्ध करने के साथ ही परिसर के विस्‍तार पर भी ध्‍यान दिया। सोमवार को वाराणसी के सांसद और पीएम नरेंद्र मोदी ने भी मैसूर विश्‍वविद्यालय के शताब्‍दी वर्ष समारोह को संबोधित कर बीएचयू से मैसूर के संबंधों को ताजा कर दिया।

कृष्ण राज वाडियार चतुर्थ को नलवडी कृष्ण राज वाडियार के नाम से भी जाना जाता है। आजादी से पूर्व के दौर में वह विश्व के सर्वाधिक धनी लोगों में भी गिने जाते थे। इतिहासकारों के अनुसार कृष्णा चतुर्थ मैसूर के वाडियार राजवंश के 24वें शासक थे जिन्‍होंने मैसूर राज्य पर 1950 तक शासन किया। कृष्ण राज का जन्म 4 जून 1884 को मैसूर के महल में हुआ था। वे महाराजा चमराजेन्द्र वोडेयार और महारानी वाणी विलास सन्निधना के बड़े बेटे थे। उन्‍होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा और प्रशिक्षण लोकरंजन महल में पी. राघवेंद्र राव से प्राप्त की। पश्चिमी शिक्षा के अतिरिक्त उनको संस्कृत, संगीत के साथ विविध भाषाओं में महारत हासिल थी। उन्हें ब्रिटिशकाल में प्रशासनिक सेवा का प्रारंभिक प्रशिक्षण बंबई सिविल सर्विस में दिया गया था।

मैसूर में उनके शासनकाल के दौरान कृष्णराज वाडियार ने अपने शहर को सबसे प्रगतिशील और आधुनिक राज्य बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। उनके शासनकाल को मैसूर के स्वर्णयुग के रूप में वर्णित किया जाता रहा है। महामना के निवेदन पर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के चांसलर के तौर पर भी वह बीएचयू के संरक्षक रहे और उसे भव्‍य बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। बीएचयू के साथ ही वह मैसूर विश्वविद्यालय के पहले कुलपति थे। माना जाता है कि यह पहला किसी भारतीय राज्य का चार्टर्ड विश्वविद्यालय था। कृष्णराज वाडियार चतुर्थ के शासनकाल के दौरान मैसूर एशिया में पनबिजली पैदा करने वाला पहला भारतीय राज्य था। उस दौर में सड़कों पर रोशनी वाला मैसूर पहला एशियाई शहर भी था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.