आज वाराणसी में गंगा में विसर्जित की जाएंगी गांधीवादी विचारक डाक्टर एसएन सुब्बा राव की अस्थियां
ख्यात गांधीवादी विचारक डॉक्टर एसएन सुब्बाराव की अस्थियां शुक्रवार शाम वाराणसी में गंगा में विसर्जित की जाएंगी। महादेव की नगरी काशी से अपार स्नेह रखने वाले सुब्बाराव ने एक दर्जन से अधिक शिविर शहर से लेकर गांव तक लगाए होंगे।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। ख्यात गांधीवादी विचारक डॉक्टर एसएन सुब्बाराव की अस्थियां शुक्रवार शाम गंगा में विसर्जित की जाएंगी। महादेव की नगरी काशी से अपार स्नेह रखने वाले सुब्बाराव ने एक दर्जन से अधिक शिविर शहर से लेकर गांव तक लगाए होंगे। इसमें उन्होंने राष्ट्रधर्म, समाज सेवा का मार्ग, अधिकार और दायित्व के बारे में बच्चों को बच्चा बनकर, बड़ों को बड़ा बनकर और वृद्ध जनों को उन्हीं के स्तर पर जाकर सिखाया समझाया होगा
चम्बल के मोहर सिंह, माधो सिंह व मलखान सिंह जैसे 654 खूंखार डाकुओं को 1972 एवं 1976 में आत्मसमर्पण कराने वाले प्रख्यात गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव का देहावसान 27 अक्टूबर 2021 को एसएमएस अस्पताल जयपुर में हो गया था।। वहां से उनका पार्थिव शरीर महात्मा गांधी सेवाश्रम जौरा मुरैना लाया गया। 28 अक्टूबर को आश्रम में ही अन्तिम संस्कार संपन्न हुआ। अस्थि कलश लेकर उनके अनुयायी चित्रकूट में मंदाकिनी नदी और संगम प्रयागराज में अस्थि विसर्जित कर बनारस आएंगे।
भारत जोड़ो यात्रा ने काशी से जोड़ा
1985 में भारत जोड़ो यात्रा के संदर्भ में सुब्बाराव बनारस आए थे। इसके बाद एक लंबी कड़ी बनती चली गई। बनारस के हर आमंत्रण को सहर्ष स्वीकार करते थे। बनारस से बहुत स्नेह रहा।
1986 और 1987 में बीएचयू में गंगा सेवा शिविर दो बार आयोजित हुआ, दोनों में आए थे। 1991 में जिस दिन राजीव गांधी की हत्या हुई उसी दिन से हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय में राष्ट्रीय एकता एवं साप्रदायिक सौहार्द युवा शिविर था। शहर में कर्फ्यू लगा था। उस दौरान पूरे शहर में शांति मार्च निकाले थे और दुर्गाकुंड तालाब पर श्रमदान कैंपरों ने किया था। उसके बाद 1993 में साप्रदायिक सौहार्द के लिए सद्भावना रेल लेकर भी बनारस आए थे। 1996 में सारनाथ में राष्ट्रीय एकता शिविर का आयोजन किया।
2006 में क्वींस कालेज में राष्ट्रीय एकता शिविर आयोजित हुआ। यह शिविर पहले काशी विद्यापीठ में आयोजित होना था। तत्कालीन राज्यपाल ने विद्यापीठ प्रशासन को कैंप नहीं करने दिया था। उसके बाद क्वींस कालेज में कैंप लगा और शिवपुर में तालाब की सफाई का कार्य कैंपरों ने किया। तत्कालीन जिलाधिकारी राजीव अग्रवाल भी श्रमदान करने पहुंचे थे। 2009 में गंगा बाल आनंद महोत्सव ऐतिहासिक और शानदार रहा। पूरे शहर ने नन्हें मुन्ने बच्चों का शाही स्वागत किया गया था। भाई जी कहते भी थे बनारस ने बता दिया कि उसका कितना बड़ा दिल है। आखिरी दिन हर बच्चा रुआंसा था। इतना आपसी स्नेह था। इसके अलावा जब भी बनारस की तरफ से ट्रेन गुजरी तो अवश्य कुछ समय देते थे। 07 फरवरी 1929 को बंगलुरु में जन्म हुआ और 27 अक्टूबर 2021 को जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में अंतिम सांस ली। अंत्येष्टि उनकी कर्मस्थली चंबल के दौरान क्षेत्र में 28 अक्टूबर को हुई।